20-जुलाई-2019 |
उसी साल जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा पर भी आतंकियों ने हमला किया था। विधानसभा पर हमले से तीन महीने पहले सावन में अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों पर लश्कर-ए-तय्यबा के एक आतंकवादी ने हमला किया था। 21 जुलाई को तड़के करीब 1 बजे शेषनाग झील के पास कैंप में सो रहे श्रद्धालुओं पर एक आतंकी ने ग्रेनेड फेंका। इसके बाद वह अस्तबल में जाकर छुप गया। जैसे ही पुलिस मौके पर पहुँची, उसने अपनी असॉल्ट राइफल से डीएसपी प्रवीण कुमार और एएसआई सखी अकबर को मार डाला।
बाद में जब आर्मी पहुँची तो आतंकी ने उन पर भी हमला किया। जवानों ने सवेरे 7 बजे तक उस आतंकी को मार गिराया। लेकिन तब तक वह 12 लोगों की जान ले चुका था जिसमें पुलिस अधिकारी प्रवीण कुमार और अकबर के अलावा 6 तीर्थयात्री और 4 लोकल सामान ले जाने वाले निर्दोष लोग शामिल थे। इस हमले में लगभग सुरक्षाबलों समेत 15 लोग घायल भी हुए थे। आतंकवादी के पास से एक AK-56 राइफल, 4 मैगज़ीन और कुछ मज़हबी उन्माद फ़ैलाने वाले कागज़ात भी बरामद हुए थे।
आतंकवादी अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले इसलिए करते हैं ताकि हिन्दू श्रद्धालु डर के मारे जम्मू कश्मीर जाना ही छोड़ दें। जिहादी तत्वों द्वारा ऐसे हमले करना यह दिखाता है कि जिन्हें कुछ लोग कथित आज़ादी का हीरो मानते हैं वे दूसरे रिलिजन के लोगों के प्रति कितने आक्रामक हैं।