1 अगस्त, 2000, जब पहलगाम के अमरनाथ कैंप पर हुआ था अब तक सबसे बड़ा आतंकी हमला
   01-अगस्त-2019

 
कश्मीर घाटी में अमरनाथ यात्रा हमेशा आतंक के साये में रहती है। 1990 के बाद अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमलों में काफी बढ़ोत्तरी आ गयी थी। लेकिन श्री अमरनाथ गुफा के दर्शन की पावन यात्रा पर सबसे बड़ा हमला हुआ था आज से ठीक 19 साल पहले।
 
1 अगस्त 2000 को 1 जुलाई से शुरु हुई अमरनाथ यात्रा को 1 महीना पूरा हो चुका था। हजारों श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन करके अपने घर लौट चुके थे और सैंकड़ों यात्री दर्शन यात्रा करने के लिए पहलगाम और बालटाल कैंप में इंतजार में थे। पहाड़ी और खतरनाक रास्ता होने के कारण शाम के बाद किसी भी यात्री को अमरनाथ यात्रा के लिए चढ़ाई करना मना था। शाम होने के बाद श्रद्धालुओं को रास्ते में बने अनेकों कैंप में रुकना होता था, जहां उनके सोने और खाने की व्यवस्था होती थी। उस कैंप में से एक था पहलगाम कैंप जहां पर सैकड़ों श्रद्धालु रुके हुए थे। 1 अगस्त कि वो शाम पहलगाम कैंप में रुके उन सैकड़ो श्रद्धालुओं, कश्मीरियों के लिए किसी खौफनाक शाम से कम नहीं थी।
 
 
शाम के करीब 6 बजे थे पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण चारों तरफ अंधेरा हो गया था। सैंकड़ों यात्री श्रद्धालु कैंप में भगवान शिव के जयकारे लगा रहे थे, तो कुछ लोग खाने पीने के इंतजाम में लगे हुए थे। कई श्रद्धालु संगठनों की तरफ से लगे भंडारे में भोजन लेने के लिए लाइन लगाकर खड़े थे। कैंप में उस वक्त तक सब कुछ ठीक था, तभी करीब 6 बजकर 45 मिनट पर दो आंतकवादियों ने कैंप में घुस करकर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरु कर दी। जब तक कुछ समझ में आता तब तक देखते ही देखते पूरे कैंप में अफरा-तफरी मच गयी। लोग अपनी जान बचने के लिए इधर उधर भागने लगे। आतंकी करीब 15 मिनट तक लगातार गोलीबारी करते रहे। उसके बाद आतंकी इत्मीनान से फरार हो गये।
 
अब कैंप में भगवान शिव के जयकारों की जगह सिर्फ चीखें सुनाई दे रही थी। सभी लोग उस भीड़ में अपने परिवार के लोगों को खोजने लगे। बाद में आये सरकारी आंकड़ों से पता चला की उस खौफनाक घटना में 32 बेगुनाह लोगों की जान गई और करीब 60 से ज्यादा लोग उसमें घायल हुए थे। जिसमें श्रद्धालुओं के साथ कई कश्मीरी भी शामिल थे। जो कैंप में छोटी-मोटी दुकान लगाने या फिर पोर्टर का काम करते थे। पाकिस्तान परस्त आतंकियों के इस हमले में एक बार फिर कश्मीरी भी निशाना बनें।
 
ये अमरनाथ यात्रा पर अब तक का सबसे बड़ा हमला था। जाहिर है न सिर्फ जम्मू कश्मीर में बल्कि पूरे देश में इसके बाद जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। लोगों ने मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला औऱ केंद्र सरकार पर जमकर सवाल उठाये। इसके बाद 3 अगस्त को खुद प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पहलगाम कैंप का दौरा किया और पीड़ितों से मिले। यहां पर पीएम ने आश्वस्त किया कि आतंकियों पर जल्द कार्रवाई होगी। साथ ही इसके बाद अमरनाथ यात्रियों के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये जाने लगे।
 
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली, जोकि कश्मीर घाटी में लगातार हमले करने में शामिल था। इसका सरगना हाफिज सईद पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा था।
 
अमरनाथ यात्रियों पर कब-कब हमला हुआ ?
 
 
साल 1993 में आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा पर पहली बार हमला किया था। जिसमें तीन लोगों कि जान गई थी।
 
साल 1994 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों पर दूसरा आतंकी हमला किया। जिसमें दो यात्रियों की मौत हुई थी।
 
साल 1995 और 1996 में भी आतंकियों ने हमला किया था, लेकिन इस बार आतंकी सफल नहीं हुए और सभी यात्री बच गये।
 
साल 2000 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा पर अभी तक के सबसे बड़े हमले को अंजाम दिया। जिसमें 32 यात्रियों की मौत हुई और 60 ज्यादा लोग घायल हुए थे।
 
साल 2001 के 20 जुलाई को आतंकियों ने फिर श्रद्धालुओं पर हमला किया । इस बार 12 लोगों की जान गई।
 
साल 2000 में आतंकियों ने श्रीनगर में अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे श्रद्धालुओं की प्राइवेट टैक्सी पर हमला किया। जिसमें दो यात्रियों की मौत हो गई।
 
साल 2002 में आतंकियों ने पहलगाम के ननवान कैंप में हमला किया था। जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी।
 
साल 2006 में आतंकियों ने फिर अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया। आतंकियों ने इस बार अमरनाथ यात्रियों की बस पर ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी।

2006 के हमले के करीब 11 साल के बाद आतंकियों ने फिर अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया। इस बार आतंकियों ने अनंतनाग में यात्रियों की बस पर अंधाधुंध फायरिंग किया। जिसमें 7 अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हो गये थे।

 
देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी घटना के 1 दिन बाद 3 अगस्त को पीड़ितों के परिवार से मिलने गये थे।