गणतंत्र दिवस के मौके पर इन 6 वीर जवानों को मिला शौर्य चक्र

26 Jan 2020 20:37:56

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71 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय सेना के अलग-अलग रेजिमेंट के 6 जवानों को शौर्य चक्र सम्मान मिला। जिसमें जाट रेजिमेंट के शहीद नायब सूबेदार सोमबीर, 11 गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट कर्नल ज्योति लामा, सेना के वायु रक्षा कोर के मेजर बिजेंद्र सिंह, पैराशूट रेजिमेंट के नायब सूबेदार नरेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के नायक नरेश कुमार और बिहार रेजिमेंट के सिपाही करमदेव ओरांव का नाम शामिल है। इन सभी जवानों को यह पदक उनके वीरता और साहस के लिये मिला है।
 
 
शहीद नायब सूबेदार सोमबीर को जम्मू-कश्मीर में एक अभियान के दौरान आतंकियों को मार गिराया था। लेकिन वह इस अभियान में शहीद हो गये थे। भारत सरकार की तरफ से सूबेदार सोमबीर को युद्ध के दौरान उनके साहस और वीरता के लिये शौर्य पदक सम्मान मिला।
 
वहीं लेफ्टिनेंट कर्नल ज्योति लामा ने पिछले साल जुलाई में मणिपुर में दो आतंकियों को मार गिराया था। साथ ही उस इलाके में उनके नेतृत्व में 14 आतंकियों को पकड़ा भी गया था। भारत सरकार की तरफ से उन्हें यह पदक उनकी वीरता और साहस के लिये मिला।
 
 
नियंत्रण रेखा पर चल रहे ऑपरेशन के दौरान सिपाही कर्मदेव ओरांव को गोली लगी थी। जिसके बाद भी उन्होंने साहस और वीरता का परिचय देते हुये 9 ग्रेनेड दागे और दो आतंकियों को मार गिराया। सिपाही कर्मदेव को भी घायल अवस्था में होने के बावजूद वीरता के साथ लड़ने और आतंकियों मार गिराने के लिये शौर्य चक्र सम्मान मिला।
 
 
पैराशूट रेजिमेंट (स्पेशल फोर्स) के नायब सुबेदार नरेंद्र सिंह को नियंत्रण रेखा पर चल रहे ऑपरेशन के दौरान दो आतंकियों को मार गिराने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा रहा है। जिन आतंकियों को नरेंद्र सिंह ने मार गिराया उनकी योजना भारतीय सेना की चौकियों पर हमला करने की थी।
 
 
नायक नरेश कुमार ने सीमा के पास एक गांव में ऑपरेशन के दौरान सही इनपुट मिलने के बाद साहस का परिचय देते हुये दो आतंकियों को मार गिराया। नायक नरेश को उनके इस वीरता के लिये शौर्य चक्र सम्मान मिला।
 
 
मेजर बिजेंद्र सिंह ने मणिपुर में एक ऑपरेशन के दौरान दो आतंकियों को मार गिराया था। भारत सरकार उन्हें उनकी वीरता और साहस के लिये इस शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
 
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शौर्य चक्र सम्मान
 
यह सम्मान युद्ध के दौरान सैनिकों को उनके वीरता, साहस और बलिदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान सैनिकों को मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता में यह पदक कीर्ति चक्र के बाद आता है।
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