जम्मू-कश्मीर में हिमस्खलन और बर्फीले तूफान के बीच “सीआरपीएफ मददगार” की टीम वहां के स्थानीय नागरिकों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है। देश की सरहद की रक्षा करने के साथ ही इस बर्फीले तूफान के मौसम में सीआरपीएफ की टीम जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की भी रक्षा कर रही है। सीआरपीएफ की टीम राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में मौसम की मार झेल रहे लोगों की हर संभव मदद कर रही है।
सीआरपीएफ मददगार की ऐसी ही कुछ कहानियां है, जो आपके दिल को छू जायेंगी
सीआरपीएफ जवानों ने भूखे नन्हें बच्चों तक पहुंचाया खाना
अभी हाल ही में सीआरपीएफ के जवानों ने 12 किलोमीटर पैदल चलकर भूखे नन्हें बच्चों तक खाना पहुंचाया था। बीते शनिवार को रामबन के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर लैंड स्लाइड के बीच फंसे एक परिवार ने सीआरपीएफ मददगार की टीम से सम्पर्क किया और बताया कि उनके छोटे बच्चे कई घंटों से भूखे है और उनके पास खाने के लिये कुछ भी नहीं है और बाहर रास्ता बंद है। फिर क्या था, सीआरपीएफ जवान तुरंत खाना लेकर निकल पड़ी। लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं था, लैंड स्लाइड के कारण सभी रास्ते बंद थे, गाड़ी नहीं जा सकती थी। जिसके बाद जवान पैदल 12 किलोमीटर का सफर तय करके बच्चों तक पहुंचे और उन्हें खाना दिया था।
उरी के करीब 10 परिवार जिनका भूस्खलन के कारण घर टूट गया था। उन्हें सीआरपीएफ की टीम ने पास के ही स्कूल में रहने की जगह दिलाई। साथ ही उन्हें ठंड से बचने के लिये कंबल, कपड़े और खाने का सामान मुहैया करा रही है। सीआरपीएफ मददगार की मदद के कारण ही इस ठंड में काफी हद इन परिवार की दिक्कत दूर हो गई है।
सीआरपीएफ के जवान ने बचाई एक नन्ही बच्ची की जान
श्रीनगर के जीबी पंत अस्पताल में अभी कुछ दिनों पहले एक बच्ची का जन्म हुआ था। लेकिन डाक्टरों ने बताया कि बच्ची की हालत ठीक नहीं है , उसे खून की जरुरत है। बच्ची के पिता ने बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें कही भी बच्ची के ब्लड ग्रुप का खून नहीं मिला। आखिर में उन्होंने सीआरपीएफ मददगार की टीम से संपर्क किया। जिसके बाद सीआरपीएफ ने जम्मू-कश्मीर में तैनात सभी यूनिटों को इसकी जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद सीआरपीएफ के जवान ज्ञान चंद्र ने बच्ची के पिता से सम्पर्क किया और बताया कि उनका ब्लड ग्रुप बच्ची के ब्लड ग्रुप से मिलता है। जवान ने अपना खून देकर उस नन्ही बच्ची की जान बचाई।
ऐसे ही श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती राशिद को भी किडनी के इलाज के लिये एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप चाहिये था। राशिद के परिवार को जब कही से खून नहीं मिल पाया तब उन्होंने सीआरपीएफ मददगार की टीम से संपर्क किया। जिसके बाद सीआरपीएफ के जवान जीएच नाबी ने बिना देर किये रासिद को खून देने के लिये अस्पताल पहुंच गये। खून मिलने के बाद डाक्टरों ने राशिद का सफलतापूर्वक इलाज किया।
सीआरपीएफ मददगार टीम के मदद की कहानी यही नहीं खत्म होती है। सीआरपीएफ की टीम ने जम्मू-कश्मीर राज्य सहित पूरे देश में जहां भी देश की जनता को मदद की जरुरत होती है, वहां पहुंचकर लोगों की मदद करती है। देश के बार्डर की रक्षा करने के साथ ही सीआरपीएफ की टीम देश के नागरिकों की भी रक्षा के लिये सदैव तैयार रहती है।