कुपवाड़ा में पहली बार पीओजेके की एक महिला लड़ रही है DDC चुनाव, अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद मिला चुनाव लड़ने का अधिकार
   05-दिसंबर-2020


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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान से आये शरणार्थी, वाल्मिकी और गुरखा आदि समुदाय के लोगों को वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला है। पहले इन समुदाय के लोगों के पास सिर्फ संसदीय चुनाव में मतदान का अधिकार था। अनुच्छेद 370 निरस्त होने के पहले तक ये सभी समुदाय के लोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा, पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान से वंचित रहते थे। लेकिन अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद ये सभी लोग वोट भी डाल सकते हैं और चुनाव भी लड़ सकते हैं। कुपवाड़ा जिले के जिला विकास परिषद चुनाव में पीओजेके निवासी एक महिला भी सुर्खियों में है। दरअसल पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फराबाद की रहने वाली सुमिया सदफ इस बार कुपवाड़ा जिले के द्रगमुला इलाके  से डीडीसी चुनाव लड़ रही हैं। सुमिया सदफ ने करीब 10 साल पहले कुपवाड़ा जिले के एक स्थानीय आतंकी से शादी की थी। जिसके बाद दोनों आतंकी ट्रेनिंग के लिए सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंच गये थे। लेकिन फिर उग्रवादी पुनर्वास नीति के तहत नेपाल का रास्ता अपनाते हुये घाटी में वापस लौट आये। फिलहाल सुमिया सरकार की तरफ से चलाई जा रही एसआरएलएम स्कीम में काम कर रही हैं, लेकिन अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद उन्हें बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में खड़े होने का हक मिला है, जिसके बाद उसने चुनाव में उतरने का फैसला किया है। क्षेत्र के चुनाव अफसर ने बताया कि द्रगमूला सीट से 12 उम्मीदवार खड़े हैं, जिसमें सुमिया चुनाव लड़ने वाली इकलौती पीओजेके की महिला है।
 



बता दें कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर की सुमिया सदफ पहली महिला नहीं हैं, जो चुनाव लड़ रही हैं। बीते दो साल पहले 2018 में पीओजेके की आरिफा और दिलशादा जिन्होंने पूर्व आतंकवादियों से शादी की थी, उन्होंने भी चुनाव लड़ा था और कुपवाड़ा में पंचायत पदों पर जीत हासिल की थी। मीडिया से बातचीत में सुमिया सदफ ने कहा कि मैं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हूं, द्रगमूला इलाके में बहुत से लोगों की मदद करती हूं। सदफ ने कहा कि लोगों ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा था। जिसके बाद मैं चुनावी मैदान में सबके सामने आई हूं।
 


उन्होंने आगे कहा कि मेरा राजनीति से कोई संबंध नहीं है। स्थानीय लोगों ने विशेष रूप से महिलाओं ने मुझे नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए राजी कराया था। वे मुझ पर भरोसा करते हैं और मुझे प्यार करते हैं। मुझे कभी नहीं लगता कि मैं कश्मीर के दूसरे हिस्से से हूं। एक सवाल के जवाब में  सदाफ ने कहा कि सरकार के लिए सभी को रोजगार देना मुश्किल है। लेकिन अगर मैं जीतती हूं, तो मैं लोगों को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित करूंगी। सभी में एक उद्यमी होने की क्षमता है और यहां हम इस विषय पर लोगों का ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विशेषकर महिलाएं अपने उद्यम शुरू कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर मेरा जन्म स्थान है और कुपवाड़ा मेरे पति का जन्म स्थान है। मैं दोनों हिस्सों से प्यार करती हूं और दोनों तरफ शांति और विकास की कामना करती हूं।