विदेशी राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल अपने दूसरे दिन के दौरे पर गुरुवार की सुबह जम्मू पहुंचा है। जहां पर प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस, सेना, प्रशासन के अधिकारियों, समेत उपराज्यपाल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने सबसे पहले चिनार कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों से मुलाकात की। लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने विदेशी प्रतिनिधिमंडल को राज्य और नियंत्रण रेखा की सुरक्षा स्थिति से अवगत कराया।
विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल से मुलाकात की और उनसे वर्तमान की न्यायिक और सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की।
जिसके बाद विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की। जीसी मुर्मू ने विदेशी प्रतिनिधिमंडल को राज्य की स्थिति और विकास योजना कार्यों के बारें में विस्तार से बताया। मुर्मू ने केंद्र सरकारी द्वारा लागू योजनाओं और आगामी योजनाओं और जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नागरिकों को मिल रहे लाभ के बारे में विस्तार से बताया ।
विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम से भी मुलाकात की। बीवीआर सुब्रमण्यम ने प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कार्यप्रणाली और सुरक्षास्थिति के बारे में विस्तार से बताया।
मैक्सिको के राजनयिक एफएस लोटेफ़ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर में क्या स्थिति है, हमें इसकी पूरी तस्वीर मिल गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सामान्य स्थिति लौट रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि मुश्किलें नहीं हैं। लेकिन अधिकारियों द्वारा स्थिति में लगातार सुधार करने का प्रयास जारी है।
दौरे पर गये हंस डैनबर्ग कैस्टेलानोस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज हमने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्य सचिव और उपराज्यपाल के साथ बहुत अच्छी मुलाकात की। उन तीनों ने हमें बहुत अच्छी तरह से बताया कि जम्मू-कश्मीर में चीजें कैसे विकास की ओर आगे बढ़ेंगी।
बता दें कि इससे पहले बुधवार को अपनी पहले दिन की यात्रा पर विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर घाटी का दौरा किया था। जहां पर उन्होंने स्थानीय नागरिकों, प्रशासन और घाटी के व्यापारियों से मुलाकात की थी। अपनी दो दिवसीय यात्रा के बाद विदेशी प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के लिए रवाना हो जायेगी। इस प्रतिनिधिमंडल में जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, न्यूजीलैंड, मैक्सिको, इटली, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रिया, उजबेकिस्तान, पोलैंड सहित 25 देशों के राजनयिक शामिल है।