कश्मीरी हिंदूओं को सरकार वापस घाटी में बसायेगी। सरकार जल्द ही अपना वादा पूरा करके उन्हें वापस उनके घर कश्मीर लेकर जायेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर में 30 साल पहले 4 लाख लोग विस्थापित हुए थे और उन्हें कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। मीडिया का कवरेज सही मुद्दों पर भी होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में हजारों कश्मीरी हिंदू मारे गये , लाखों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गये थे और आज वर्तमान में अस्थायी कॉलोनियों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए आज तक कोई आवाज नहीं उठाया है। यदि यह धर्मनिरपेक्षता है, तो मैं इस धर्मनिरपेक्षता से सहमत नहीं हूं।
गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में स्थिति बिल्कुल सामान्य है, कोई भी वहां जा सकता है। लेकिन अगर वहां कोई भड़काने वाला भाषण देगा तो सरकार को उसके खिलाफ कदम उठाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर जाने के लिए सरकार हर किसी को इजाजत दे रही है। वहां पर सिर्फ एहतियातन कुछ नेताओं को नजरबंद रखा गया है।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उन्होंने कहा कि हमारा मन शुद्ध है और हम शुद्ध मन से काम करते है। उन्होंने कहा कि हमने कभी भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो मुस्लिमों की नागरिकता छीन सकता है।
सीएए प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि सीएए के समर्थन में करीब 20 गुना ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन किया, लेकिन उन्होंने पत्थर नहीं चलाया, बसें नहीं जलाई है। उन्होंने लोकतांत्रित तरीके से प्रदर्शन किया और सीएए का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि संसद से सीएए कानून लागू होने के बाद राजस्थान में कांग्रेंस ने 74 पाकिस्तानी हिंदूओं को नागरिकता दी है।
जम्मू-कश्मीर में पीएसए के तहत नेताओं की हिरासत को लेकर अमित शाह ने कहा कि नेताओं की नजरबंदी पर निर्णय स्थानीय प्रशासन द्वारा लिया जाता है। केंद्र सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गये नेताओं के पास सभी कानूनी सहायता उपलब्ध है, वह हाईकोर्ट , सुप्रीम कोर्ट जा सकते है।
गृह मंत्री ने कहा कि मैंने 13 वर्ष की आयु से राजनीति में हूं। राजनीति में मेरा अपना स्वार्थ कुछ नहीं है, जो देश के लिए अच्छा है, वहीं मेरे लिए भी अच्छा है।