देश में जब भी अमेरिकी राष्ट्रपति का दौरा हुआ है, कश्मीर घाटी का इतिहास रहा है कि वहां इंटरनेशनल मीडिया की कवरेज को देखते हुए हिंसक प्रदर्शन का थियेटर सजाया जाता था। लेकिन कश्मीर घाटी के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 दिवसीय दौरे पर हैं और कश्मीर घाटी के किसी हिस्से में न तो कोई प्रदर्शन हुआ और न ही अलगाववादी हुर्रियत नेताओं ने किसी बंद का ऐलान किया। तमाम अलगावादी नेताओं ने इस बार चुप रहने में ही भलाई समझी। यहां तक कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने भी इस दौरे पर कोई बयान जारी नहीं किया।
हालांकि सोमवार को विंटर सीज़न के ब्रेक के बाद दोबारा स्कूल खुले, जिसके बाद घाटी में खासी चहल-पहल रही। सोमवार को करीब 10 लाख छात्रों ने अपने क्लास में वापसी की। इसको लेकर भी अलगाववादियों ने कोई बयान नहीं दिया।
कश्मीर घाटी में शांति बहाली को बयां करती 2 तस्वीरें, स्कूल और बाज़ार
उधर सुरक्षा एजेंसियों ने भी दौरे को ध्यान में रखते हुए घाटी में रेड-अलर्ट जारी कर रखा है। हाईवे और महत्तवपूर्ण इलाकों में एक्स्ट्रा मोबाइल बंकर बनाये गये हैं। आतंकियों की संभावित गतिविधियों को रोकने के ऑपरेशन चलाये जा रहे हैं।
आपको बता दें कि पिछले मार्च 2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे से ठीक पहले छत्तीसिंहपुरा में इस्लामिक आतंकियों ने 36 सिखों का कत्लेआम किया था। उस दौरान अलगाववादियों के बंद के आव्हान के बाद घाटी में भारी हिंसा देखने को मिली थी।
इसके बाद नवंबर 2010 में राष्ट्रपति ओबामा के दौरे के दौरान भी अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज़ उमर फारूख ने बंद का ऐलान किया था। जिसके बाद घाटी में पत्थरबाज़ी हुई थी।
जनवरी 2015 में मोदी सरकार के दौरान राष्ट्रपति ओबामा के दूसरे दौरे पर भी घाटी में खासी हिंसा का माहौल बनाया गया था। अलगावावादियों ने बंद का ऐलान किया था। जिसके बाद घाटी के कईं इलाकों पत्थरबाज़ी और हिंसा देखने को मिली थी।