इटली और ईरान में चायनीज़ वाइरस की तबाही, 'वन बेल्ट-वन रोड' से "वन-बेल्ट-वन रोड-वन वायरस" तक
   20-मार्च-2020
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चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वाइरस से दुनिया के 126 देश संक्रमित हो गए हैं. 19 मार्च तक लगभग 221917 मरीज़ इससे पीड़ित हैं और 8999 लोगों की मौत हो चुकी है. चूंकि यह वाइरस चीन से ही फैला इसलिए यहाँ सबसे अधिक संक्रमित लोग हैं और यहीं सबसे अधिक लोग मरे हैं. परन्तु हैरानी इस बात की है कि चीन के बाद दूसरा नंबर पर इटली और तीसरे नंबर पर ईरान है. यह तथ्य हैरान इसलिए करता है क्योंकि दोनों ही देश इस बीमारी के केंद्र, चीन से भौगोलिक रूप से बहुत दूर स्थित हैं.
सच यह है कि दोनों ही देश चीन से 'वन बेल्ट वन रोड ' प्रोजेक्ट OBOR से जुड़े हुए हैं.
 
 
चीन OBOR के नाम से दरअसल इंफ्रास्ट्रचर में निवेश के बहाने अपनी विदेश नीति चला रहा है. यह समझने के लिए चीन के काम करने के तरीके को समझना आवश्यक है- जिस किसी देश में चीन सुविधाएँ बनाने यानि इंफ्रास्ट्रचर विकास का प्रोजेक्ट शुरू करता है, उस देश को चीन के ही बैंक से प्रोजेक्ट की फंडिंग लेनी पड़ती है, काम का कॉन्ट्रैक्ट भी हमेशा चीन के कंपनी को ही मिलता है और इसलिए सारा कच्चा सामान और काम करने वाले भी चीन से ही आते हैं. ज़ाहिर है कि इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा फायदा खुद चीन को होता है.
 
 
 
OBOR से चीन को कई परोक्ष और अपरोक्ष फायदे होते हैं, जैसे कि चीनी सामन के लिए नए बाजार और चीनी सामान के लिए लगातार माँग, चीनी लोगों के लिए रोज़गार, साथ ही अन्य देशों के प्राकृतिक संसाधन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ठिकानों तक चीन को पहुँच आसानी से मिल जाती है . चीन का असली मकसद है व्यवसाय के साथ साथ अपना भू-राजनीतिक/ जिओ पोलिटिकल प्रभाव यूरोप और अफ्रीका के देशों में भी बढ़ाना.
 
 
 
 
 
 
इस OBOR का चीन को बहुत फायदा हुआ है, विशेषतः सामरिक क्षेत्र में, परन्तु चीन के साथ प्रोजेक्ट में जुड़े देश केवल घाटे में रहे. कम से कम 8 देशों को अपने स्ट्रैटेजिक एसेट्स चीन का क़र्ज़ उतरने चीन को ही दे देने पड़े. इस सबके बावजूद इटली और ईरान ने तत्परता से OBOR प्रोजेक्ट के साथ शुरू कर दिया इस आशा में कि वामपंथी चीन अपने आर्थिक सामर्थ्य के दम पर इन देशों को आर्थिक समस्याओं से उबरने में मदद करेगा. और आज दोनों देश इस निर्णय की बहुत बड़ी कीमत चुका रहे हैं.
 
 
 
इटली में क्या हुआ -
 
 
इटली की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी थी, और देश में बेरोज़गारी 33 % पर चली गयी. इस समस्या ठोस समाधान निकलने के बजाय इटली की सरकार ने चीन से हाथ मिलाने का शार्टकट अपनाया और यूरोपियन यूनियन और अमेरिका द्वारा दी गयी चेतावनियों के बावजूद इटली ने OBOR प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए. इस तरह ठीक एक साल पहले, मार्च 2019 में G7 देशों में से चीन के साथ OBOR शुरू करनेवाला, इटली पहला और एकमात्र देश बन गया.
 
 
 
इस एक साल के भीतर, चीन इटली की अर्थ व्यवस्था की मुख्यधारा में पहुँच गया. OBOR डील के चलते इटली ने अपने सभी सेक्टर चाइनीस निवेशकों के लिए खोल दिए, यहाँ तक की इटली के चार सबसे बड़े पोर्ट्स में चीन के कंपनियों के पैसे लगे हैं, और इसलिए उनकी भागीदारी है. यह होता रहा और इटली की सरकार इसे नज़रअंदाज़ करती रही.
 
 
 
लोम्बार्डी और टस्कनी में सबसे अधिक चीन से निवेश किया गया और लगभग एक साल बाद, फरवरी 21 2020 को लोम्बार्डी से ही वुहान के कोरोना वायरस का पहला मरीज़ पाया गया. आज चीन के बाद इटली में ही कोरोना के सबसे अधिक केस हैं और लोम्बार्डी सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर है. आज पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है. इटली में अब तक 2978 लोग कोरोना के कारण मारे गए, 19 मार्च को केवल एक दिन में इटली में सबसे अधिक 475 लोगों की मौत हो गयी.
 
 
 
 
किस्सा ईरान का -
 
 
न्यूक्लियर शक्ति बनने के ईरान के प्रयास पर न सिर्फ अमेरिका ने प्रतिरोध खड़ा किया बल्कि कई प्रतिबन्ध भी लगवा दिए, जिसका सबसे बुरा प्रभाव ईरान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा. ये प्रतिबन्ध अमेरिका ने 2018 में दोबारा लागू कर दिए, और ईरान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी. देश में जनता का विरोध और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों से जूझता ईरान अब पश्चिमी देशों से भी अलग थलग पड़ गया. ऐसे में डूबते का सहारा बना चीन. ईरान से तेल खरीदना, ईरान के हथियार बेचना और काफी हद तक न्यूक्लियर तकनीकी ईरान तक पहुँचाने का काम चीन बदस्तूर करता रहा.
 
 
 
अंततः 2019 में ईरान ने आधिकारिक तौर पर चीन के साथ OBOR पर हस्ताक्षर कर दिए. चीन के लिए ईरान एक महत्वपूर्ण साथी था क्योंकि ईरान के पास तेल के भण्डार तो हैं ही, साथ ही चीन के 2000 कि. मी. लंबी, पश्चिम चीन से टर्की होते हुए यूरोप तक जाने वाली महत्वकांक्षी रोड प्रोजेक्ट में बीच में ईरान भी है, और यह सड़क तेहरान होते हुए टर्की जाने वाली है.
 
 
 
 
कोरोना ईरान में फैलने के बाद अब ईरानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने पता किया है कि ईरान में कोरोना कि शुरुआत क़्वोम शहर से हुई. वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार चीन रेलवे इंजिनीरिंग कारपोरेशन 2 .7 बिलियन डॉलर्स की लागत से क़्वोम से हाई स्पीड रेल लाइन बना रहा है. चीन से आये कई तकनीकी एक्सपर्ट क़्वोम की नज़दीक ही न्यूक्लियर पवार प्लांट का पुनर्निर्माण कर रहे हैं. ईरानी स्वास्थ्य अधिकारियों को संदेह है कि चीन से आये टेक्नीशियन या चीन जाने वाले ईरानी व्यापारियों से कोरोना वायरस ईरान पहुँचा और क़्वोम से ईरान की अन्य राज्यों में भी फैल गया.
 
 
 
 
क़ुम में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जुम्मे की नमाज़ बंद करने से मना किया
 
 
दुर्भाग्यवश ईरानी धर्मगुरु और ईरानी सरकार दोनों ही इस मामले में सुस्त रहे. धर्म गुरुओं ने क़्वोम में जुम्मे की नमाज़ को फरवरी अंत तक बंद करने से मना कर दिया. इसके कारण संक्रमित लोगों ने बहुत से दुसरे लोगों को संक्रमित कर दिया. हालाँकि 1 फरवरी से ईरान सरकार ने चीन की लिए अपनी विमान सेवाओं पर रोक लगा दी, लेकिन, इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड की, ग़ैर सरकारी विमान सेवा महन एयर चलती रही. वाल स्ट्रीट जर्नल की खबर की अनुसार, 1 फरवरी से 9 फरवरी की बीच इस एयरलाइन ने तेहरान और चीन की बीच 8 उड़ने भरीं, जिसमें चायनीस और ईरानी यात्रियों को उनके देश लाया ले जाया गया. इससे, ईरान की ऊँचे ओहदों में काम करनेवाले अफसरों को कोरोना से पीड़ित होने का कारण समझ आ जाता है, जिसमें उप राष्ट्रपति, जहाँगीरी और 20 सांसदों का भी समावेश है.
 
 
 
मोहम्मद मिर मोहम्मदी, खमेनी की सलाहकार, कोरोना वायरस से मरने वाले ईरान सरकार सबसे बड़े सरकारी अफसर थे.
इस समय ईरान कोरोना से प्रभावित देशों में तीसरे स्थान पर है, अब तक 1100 से अधिक लोगों की कोरोना से यहाँ मृत्यु हो गयी है और करीब 17361 लोग अब तक इस से संक्रमित हैं. माना जा रहा है की मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है, पर ईरान की सरकार सही आंकड़े छुपा रही है.
 
 
 
 
 
इलन बरमान, अमेरिकन फॉरेन पालिसी कॉउन्सिल. की उपाध्यक्ष की अनुसार, ईरान में कोरोना वो कर दिखायेगा तो पश्चिमी ताकतें नहीं कर पाईं, जो है धार्मिक कट्टरवादी शासन का तख्ता पलट.....
 
 
इटली और ईरान एक दुसरे से बिलकुल अलग अलग हैं, परन्तु दोनों देशों की शासकों ने अपनी जनता की भलाई को ताक पर रखकर, अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की लिए चीन से साथ हाथ मिलाया और आज दोनों ही उस ग़लती का खामियाज़ा भुगत रहे हैं, दोनों की अर्थव्यवस्था और भी संकट में हैं और बहुत बुरी हालत में पहुँच गयी हैं.