दर्शन कीजिये श्रीनगर के प्राचीन पंडरथान शिव मंदिर के, जानिए 10वीं सदी में स्थापित इस शिव स्थान की कहानी

22 Apr 2020 02:02:39

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श्रीनगर में स्थित पंडरथान शिव मंदिर घाटी के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। आज भी यहां पर दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। माना जाता है कि कश्मीर में शिल्पविद्या की शुरूआत भी इसी पंडरथान शिव मंदिर से हुई थी।
 

इतिहास-

 पंडरथान शिव मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में हुआ था। इतिहास के मुताबिक कश्मीर में शिल्पकला की शुरूआत भी इसी मंदिर से हुई थी, जो बाद में घाटी के अन्य भागों में देखने को मिलती है। इस मंदिर की बुनियाद हाथियों की कतार से घिरी है, जो इस पवित्र स्थान को शक्ति प्रदान करती है। पत्थऱों से बनी ऊंची छत एक अलंकृत पट्टी द्वारा दो खण्डों में विभाजित है। वहीं मुख्य द्वार के ऊपर शिव की आकृति अंकित है, जो पशुपति वर्ग की उत्पति का प्रतीक है। मंदिर में स्थापित यह मूर्ति यह भी सिद्ध करती है कि यह मंदिर  भगवान शिव का प्राचीन स्थान है।  मंदिर का कक्ष अंदर से बिल्कुल साधारण है। केवल अन्दरूनी भाग पर आकर्षण कलाकारी है। मंदिर के मध्य भाग में स्थित आकृति कुशल कारीगरी का एक अद्भुत नमूना है। मंदिर के शिखर पर वर्गाकार पत्थर पर अंकित माला के मनकों से घिरा 12 पंखुड़ियों वाला कमल एक विशेष कलाकृति है। अवंतिपुर से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित यह मंदिर इस युग की दूसरी शिल्पकला आकृति है जो छोटा होने के बावजूद कलाकृति का अद्भुत नमूना है। आधुनिक गांव पण्डरथान मूल संस्कृत शब्द “पुरानाधिष्ठान” है। जहां महाराजा अशोक ने श्रीनगर शहर का शिलान्यास किया था और छठवीं शताब्दी के अन्त में यह पुरातन कश्मीर की राजधानी था। इसके बाद इसका स्थानांतरण परावश से नापुर क्षेत्र में किया, जो अब श्रीनगर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु अलग-अलग जगहों से आते है। 
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