कोरोना वायरस: गांदरबल में मां खीर भवानी मंदिर में नहीं होगा वार्षिक मेले का आयोजन
    25-मई-2020


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कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में सभी धार्मिक स्थान बंद है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में स्थित मां खीर भवानी मंदिर में भी इस साल वार्षिक मेले और यात्रा का आयोजन नहीं किया जाएगा। धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष मुबारक सिंह ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि आगामी 30 मई को होने वाली वार्षिक खीर भवानी मेले और यात्रा को ट्रस्ट ने रद्द करने का फैसला किया हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट ने यह फैसला लिया हैं। मुबारक सिंह ने कहा कि सार्वजनिक तौर पर नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना जरूरी हैं। उन्होंने राज्य के नागरिको से भी अपील की है कि घरों में ही पूजा-अर्चना करें । हालांकि यात्रा रद्द होने के बावजूद मंदिर के पूजारी द्वारा 30 मई को मंदिर में परंपरा के अनुसार सभी विधि विधान के साथ माता खीर भवानी की आरती और पूजा-अर्चना होगी। जिसका सोशल मीडिया के जरिए मंदिर परिसर से लाइव प्रसारण किया जाएगा।
 
 


बता दें कि गांदरबल के तुलामुल्ला गांव में स्थित मां खीर भवानी के मंदिर में हर वर्ष अष्टमी मेले का धूमधाम से आयोजन किया जाता था। इस अवसर पर हजारों प्रवासी कश्मीरी हिन्दू श्रद्धालू माँ के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते थे। रागनी का खीर भवानी मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। वहीं मां खीर भवानी की आसपास की मुस्लिम आबादी में भी खासी मान्यता है। पुरानी भाईचारे की परंपरा को निभाते हुए मंदिर के आसपास रहने वाले मुस्लिम हर साल भवानी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को छोटे मिट्टी के बर्तनों में दूध की पेशकश करते हैं। मान्यता के मुताबिक त्यौहार के दिन आसपास के मुस्लिम भी अपने घरों में मीट नहीं पकाते। कश्मीरी पंडित भी यदि मंदिर आने से पहले मांसाहारी भोजन करते हैं तो वे मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करते हैं।
 
 
 
 

मंदिर के पवित्र तालाब का पानी है कश्मीर में परिस्थितियों का सूचक
 

 
कश्मीरी पंडितों का मानना है कि मंदिर में पवित्र तालाब के पानी का रंग अगले 12 महीनों की घटनाओं को दर्शाता है। स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक तालाब के पानी का रंग उन घटनाओं का अनुमान जाहिर करता है, जो अगले 12 महीनों में अगले त्यौहार तक सामने आएंगी। पानी का रंग अगर काला हो तो हिंसा और पीड़ा को दर्शाता है, जबकि दूधिया या हल्का हरा रंग शांति और समृद्धि का सूचक है। कहते हैं कि कश्मीर में आयी बाढ़ से पहले भी यहां पानी का रंग बदला था।
 

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