अमर बलिदानी मेजर अजय सिंह जसरोटिया अपनी जान देकर 6 साथियों की जान बचाई
लेह हाईवे पर 17 हजार फुट ऊंची तोलोलिंग चोटी पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों की लगातार जारी बमबारी के बीच मेजर अजय जसरोटिया ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। खुद गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अपने छह घायल साथियों को बमबारी के बीच से सुरक्षित निकाल कर खुद को मातृभूमि की बलिवेदी को समर्पित कर दिया। मेजर अजय जसरोटिया को आपरेशन विजय में अदम्य साहस का प्रदर्शन करने पर सेना मेडल से (मरणोपरांत) सम्मानित किया गया।
13 अप्रैल 1971 में बीएसएफ के डीआईजी रहे अर्जुन सिंह जसरोटिया के घर पैदा हुए मेजर अजय सिंह जसरोटिया के दादा ले. कर्नल खजूर सिंह भी भारतीय सेना में अपनी बहादुरी का परिचय दे चुके थे। अपने परिवार की गौरव गाथा को आगे बढ़ाते हुए 1996 में अजय सिंह जसरोटिया भारतीय सेना में शामिल हुए।
सेना में शामिल होने के तीन साल बाद ही वह दिन आ गया जिसका हर सैनिक को बेसब्री से इंतजार रहता है। आपरेशन विजय में उन्हें मातृ भूमि की सेवा करने का मौका मिला और उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। हम सभी देशभक्त अमर बलिदानी कारगिल नायकों का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें शत-शत नमन करते हैं।