30 जून 1990 श्रीनगर, इस्लामिक आतंकियों से बेखौफ़ एक रिटायर्ड बुजुर्ग और उनकी नृशंस हत्या की कहानी #KashmiriHinduExodus

30 Jun 2020 12:21:35
 
 terrorists kill kashmiri
 
 जून, 1990 तक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और दूसरे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों ने श्रीनगर में एक समानांतर सरकार चलाने की कोशिश शुरू कर दी थी। सैंकड़ों कश्मीरी हिंदूओं की हत्या की जा चुकी थी, पुलिस और प्रशासन इसको रोकने में नाकाम था। फारूख अब्दुल्ला की साजिश के चलते 26 मई 1990 को केंद्र सरकार ने राज्यपाल जगमोहन की हटा दिया था और रॉ चीफ रहे गिरीश चंद्र सक्सेना को राज्यपाल नियुक्त किया गया था। आतंकी कश्मीरी हिंदूओं के घरों पर पोस्टर चिपकाकर, अखबारों में विज्ञापन देकर हिंदूओं को घाटी छोड़ने की धमकी दे रहे थे।
 
 
श्रीनगर के अली कदल इलाके में कुतुबुद्दीनपोरा में रहने वाले रिटायर्ड सरकारी अफसर दीनानाथ धर को भी आतंकियों ने घाटी छोड़ने की धमकी दी। आतंकियों की नजर उनकी प्रॉपर्टी पर थी, लेकिन अपनी बुजुर्ग मां, एक 40 साला छोटे भाई औऱ 32 साल की बहन के साथ रहने वाले दीना नाथ धर ने आतंकियों की धमकी से डरने से इंकार कर दिया और अपनी सरजमीं को छोड़ने से साफ इंकार कर दिया। आतंकियों ने लगातार धमकी देना जारी रखा।
 
 
30 जून 1990 के दिन दीना नाथ अपने मां के साथ घर पर अकेले थे, तभी कई आतंकी उनके घर में घुसे, बुजुर्ग मां गिड़गिड़ाई लेकिन आतंकियों ने उनकी एक न सुनी और दीना नाथ को कई गोलियां मारकर फरार हो गये। घायल बेटे को अस्पताल पहुंचाने के लिए बुजुर्ग मां ने पड़ोसियों से मदद मांगी, लेकिन आतंकियों के डर से कोई सामने नहीं आया। घायल दीनानाथ को किसी तरह एसएमएचएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन यहां भी समय पर सही उपचार न होने की वजह से दीनानाथ को नहीं बचाया जा सका।
 
 
नतीज़ा वहीं हुआ, पुलिस ने हत्यारों के खिलाफ मामला तो दर्ज किया। लेकिन हत्यारों को कभी सज़ा नहीं मिल सकी और इस घटना के बाद श्रीनगर में भी हिंदूओं में और दहशत का माहौल गहरा गया। हिंदूओं ने और तेज़ी से श्रीनगर छोड़ना शुरू कर दिया, इसके साथ इस्लामिक आतंकियों ने और तेज़ी से प्रॉपर्टी कर कब्जा करना शुरू कर दिया।
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