सैन्य बातचीत के बीच चीन की नई चाल , LAC पर तैनात किये 20 हजार से ज्यादा सैनिक
   01-जुलाई-2020


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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत जारी है। लेकिन इस बीच चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीब 20 हजार से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की है। भारतीय सेना भी सतर्क होकर गंभीरता के साथ शिनजियांग में तैनात 10 से 12 हजार चीनी सैनिकों की गतिविधियों को करीब से देख रहा है। न्यूज एजेंसी एएनआई को शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी के पास लगभग दो डिवीजनों पर 20 हजार सैनिकों की तैनाती की है। इसके अलावा चीन ने एक और टुकड़ी 10 हजार सैनिकों को उत्तरी शिनजियांग प्रांत में तैनात किया है। जो लगभग 1 हजार किलोमीटर की दूरी पर है और समतल इलाका होने के कारण उसे भारतीय सैनिकों के मोर्चे तक पहुंचने में अधिकतम 48 घंटे का समय लगेगा। सूत्रों ने बताया कि सेना भारतीय क्षेत्र के पास तैनात चीनी सैनिकों की मूवमेंट पर भी करीब से नजर रख रही है। सूत्रों ने कहा कि भारत और चीन बीते 6 सप्ताह से अधिक समय से कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन चीन की ओर से सैनिकों की संख्या या उपकरणों में कोई कमी नहीं आई है।
 

एएनआई रिपोर्ट के मुताबिक ने तिब्बत क्षेत्र में चीन की तरफ से आम तौर पर दो टुकड़ियां होती हैं, लेकिन इस बार उन्होंने भारतीय चौकियों से करीब 2,000 किलोमीटर दूर दो और टुकड़ियां तैनात की हैं। सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने भी स्थिति संभाल ली है और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के आस-पास के स्थानों पर कम से कम दो और डिवीजनों को बढ़ा दिया है। साथ ही भारतीय वायुसेना द्वारा टैंक्स और बीएमपी-2 इन्फैंट्री के साथ कॉम्बैट व्हीकल भी हवाई रास्ते से लाये जा चुके हैं। दौलत बेग ओल्डी यानी डीबीओ में भी आर्म्ड ब्रिगेड मोर्चा संभाल चुकी है। फिलहाल पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा का जिम्मा त्रिशूल इन्फेंट्री डिवीजन के पास है। यहां इसकी तीन ब्रिगेड तैनात हैं। सूत्रों के मुताबिक चीन डीबीओ से गलवान और काराकोरम तक बढ़ने की कोशिश कर रहा है। जिसको देखते हुये भारत वहां पर एक और डिवीजन की तैनाती पर विचार कर रहा है।
 
 

पेंगौंग त्सो लेक से कुछ दूरी पर फिंगर 4 का इलाका है। यहां चीनी सेना का बेस है। लेक में चीन ने पेट्रोलिंग के लिए कई बड़ी बोट्स और सैन्य वाहन की तैनाती की है। फिंगर 5 से 8 के बीच चीन ने सड़क भी बनाई है। सूत्रों की माने तो यहां से वह अपने सैनिकों को मोर्चे पर भारत की तुलना में ज्यादा जल्दी भेज सकता है। लेक के करीब चीन मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक बीते 18 और 19 मई के बीच पेंगौंग लेक के पास चीन के करीब 2,500 सैनिक लेक की तरफ बढ़े थे। उस वक्त भारत के वहां पर सिर्फ 200 जवान थे। चीन नहीं चाहता था कि फिंगर 3 एरिया के आगे भारतीय जवान पेट्रोलिंग करें। दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सितंबर-अक्टूबर में बर्फबारी शुरू होने के पहले तनाव कम नहीं होगा। क्योंकि तब यहां तैनाती बेहद मुश्किल होगी। भारत भी जानता है कि तनाव लंबा चलेगा। भारतीय सेना ने स्थिति के मुताबिक तैयारियां भी की हैं। सूत्रों के अनुसार गर्मियों में गलवान नदी में बहाव तेज होता है। तब यहां चीनी फौज को काफी मुश्किल होती है। लेकिन चीन के लिए सर्दियों में आसानी होगी, क्योंकि लेक बर्फ में तब्दील हो जाता है। चीनी सैनिकों से हर स्थिति में निपटने के लिए भारतीय सैना तैयार है।