जानिए कौन थे J&K के राष्ट्रवादी नेता कर्नल पीर मोहम्मद खान, जिन्होंने बाद में संभाली जन संघ की कमान
पीर मोहम्मद खान जम्मू-कश्मीर राज्य के आखिरी डोगरा शासक हरिसिंह के फौज में कर्नल थे। आज ही के दिन यानी 128 साल पहले 9 सितंबर 1892 के दिन उनका जन्म हुआ था। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में उनका नाम आज भी राष्ट्रवादी नेताओं में शुमार है। पं प्रेमनाथ डोगरा की मृत्यु के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ के पहले अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। जम्मू-कश्मीर राज्य में उन्होंने शेख अब्दुल्ला के अलगाववादी नीति के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई थी। आजादी के बाद महाराजा हरि सिंह की फौज के कई सेना अधिकारी और कर्मचारियों ने शुत्र से हाथ मिला लिया था। लेकिन पीर मोहम्मद खान हमेशा महाराजा के सामने चट्टान की तरह खड़े होकर उनकी रक्षा की थी।
महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र यानी 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' पर साइन किया था। लेकिन उधर पीएम जवाहरलाल नेहरु के करीबी शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर को आजाद देश बनाने का सपना देख रहे थे। लेकिन शेख अब्दुल्ला को पता था कि आजाद जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान ज्यादा देर आजाद रहने नहीं देगा और उस पर कब्जा कर लेगा । इसलिये जम्मू कश्मीर को स्थायी रुप से आजाद रखने के लिये शेख को केवल भारतीय सेना की सुरक्षा चाहिये थी और इसी के लिये वह जवाहर लाल नेहरु के पीछे-पीछे घूम रहे थे। इतना ही नहीं जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला किया था। तब भी पंडित नेहरू रियासत का विलय भारत में स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं थे। संकट के उस वक्त भी उनकी शर्त थी कि पहले सत्ता शेख अब्दुल्ला को सौंप दो तभी जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय स्वीकारा जायेगा और सेना भेजी जायेगी। यही कारण था कि महाराजा को विलय पत्र के साथ अलग से यह भी लिख कर देना पड़ा कि अब्दुल्ला को आपातकालीन प्रशासक बनाया जा रहा है। शेख अब्दुल्ला के आपातकालीन शासक बनाये जाने के पहले ही षड्यंत्र के मुताबिक महाराजा हरि सिंह की फौज के कई सैन्य अधिकारी दुश्मनों से मिल गये थे। लेकिन कर्नल पीर मोहम्मद खान महाराजा के प्रति पूर्ण रूप से वफादार थे। उन्होंने उस वक्त एक सराहनीय काम करते हुये जम्मू-कश्मीरी मिलिटिया और कैडेट कॉर्प्स का गठन किया। जिसके बाद उन्होंने भारतीय सेनाओं की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और महाराजा के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की रखवाली की थी।
पं प्रेमनाथ डोगरा की मृत्यु के बाद –
प्रजा परिषद् आंदोलन के नेता पंडित प्रेमनाथ डोगरा की मुत्यु 20 मार्च 1972 के दिन हुई थी। पंडित प्रेमनाथ की मृत्यु के बाद से ही भारतीय राज्य जनसंघ में एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी क्योंकि पार्टी के कुछ प्रमुख कार्यकर्ता जनसंघ के विरोधियों की चालों के शिकार थे। पार्टी को एक अच्छे नेतृत्व के लिए पार्टी के कई नेताओं ने कर्नल पीर मोहम्मद से संपर्क किया। जिसके बाद सभी नेताओं की सहमति से पार्टी ने कर्नल पीर मोहम्मद को जम्मू-कश्मीर राज्य का जन संघ अध्यक्ष चुना था। जम्मू-कश्मीर राज्य में अलगाववाद नीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुये कर्नल पीर मोहम्मद खान का 23 जनवरी 1982 के दिन निधन हो गया।
J&K उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान
कर्नल पीर मोहम्मद खान के पोते फारूक खान वर्ष 1984 बैच में राज्य पुलिस सेवा में शामिल हुये थे। जिसके बाद उन्हें वर्ष 1994 में आइपीएस कैडर मिला था। उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार समेत कई सम्मान मिले हैं। वहीं फारूक खान के पिता सरवर खान भी राज्य पुलिस के तेज तर्रार अधिकारियों में से एक थे।