उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- “जम्मू-कश्मीर के बजट में कृषि को मिलेगी प्राथमिकता”
जम्मू-कश्मीर
में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बजट में इसकी हिस्सेदारी अधिक सुनिश्चित
की जायेगी। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बीते सोमवार को
गुलशन ग्राउंड के पुलिस आडिटोरियम में आयोजित हार्टि-एक्सपो 2021 कार्यक्रम
में यह बात कही। उन्होंने कहा इससे खेती और बागवानी का और अधिक विकास हो
सकेगा। कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। इनमें सभी
बातों का पूरा ध्यान रखा गया है। मनोज सिन्हा ने कहा कि सरकार कृषि और
बागवानी के विकास के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने किसानों से कहा कि
स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देना और बड़ा बाजार उपलब्ध कराना ही सरकार की
प्राथमिकता में है।
मनोज
सिन्हा ने कहा कि सरकार बागवानी और कृषि की हर संभव जरूरतों को पूरा करने
की दिशा में प्रयासरत है। किसानों को नई तकनीक की जानकारी दी जा रही है।
उपराज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में मंडियों को आधुनिक किया जाएगा। इसका लाभ
किसानों को होगा। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वह किसानों को गलत
जानकारियां न दें। उपराज्यपाल ने कहा कि किसानों की बेहतरी के लिए जम्मू
कश्मीर के सभी 20 जिलों में अगले तीन माह में फार्मर प्रोड्यूसर
आर्गनाइजेशन संस्थाएं स्थापित की जाएंगी। ये संस्थाएं किसानों और बागवानों
को मार्केटिंग, व्यवसाय की राह दिखाएंगी। हर पंचायत में मुफ्त थ्रैशर
उपलब्ध कराया जायेगा। वहीं तीन हजार सीसी के ट्रैक्टर पर रोड टैक्स माफ
किया जायेगा। इसके अलावा पावर टिल्लर मशीन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में कृषि क्षेत्र में बेहतरी
के लिए जो काम हो रहे हैं, उनसे देश को विश्व में पहचान मिली है। तीन कोल्ड
स्टोरेज भी बनेंगे। जम्मू कश्मीर की खेती और बागवानी के बारे में
उपराज्यपाल ने कहा कि सरकार ने नैफेड के साथ एमओयू साइन किया है। इसके तहत
उच्च किस्म के सेब, अखरोट, आम, स्ट्राबेरी, लीची की खेती अगले पांच वर्ष
में 5500 हेक्टेयर में की जाएगी। 500 करोड़ रुपये की लागत से तीन कोल्ड
स्टोर कठुआ एवं उत्तरी-दक्षिणी कश्मीर में स्थापित किए जाएंगे। मनोज सिन्हा
ने कहा कि हाल ही में उन्होंने नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री से
आग्रह किया था कि जम्मू-कश्मीर में ड्राई पोर्ट स्थापित किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय उडनों को शुरू किया जाए। इससे किसानों के उत्पादों का
निर्यात किया जा सकेगा। नीति आयोग से भी आग्रह किया गया है कि जिस तरह से
केसर मिशन चलाया गया है उसी तरह से विशेष तौर पर कुछ अन्य उत्पादों के लिए
भी मिशन मोड पर कार्यक्रम शुरू किए जाएं।