J&K में वनों के विस्तार के लिए 233 करोड़ रुपये की मंजूरी, आईटी आधारित तकनीक से बढ़ेगा वृक्षारोपण

27 Feb 2021 13:08:39

JK_1  H x W: 0

 
जम्मू-कश्मीर में वनों के विस्तार के लिए आईटी आधारित तकनीक का उपयोग किया जायेगा। इसके लिए वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी आधुनिक जीआईस, जीपीएस, आईसीटी, ड्रोन और मोबाइल एप को इस्तेमाल करेंगे। मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने बीते शुक्रवार को कंपनसेटरी एफारेस्ट्रेशन फंड मैनेजमेंट व प्लानिंग अथॉरिटी (कैं पा) की स्टीरिंग कमेटी की बैठक में वन क्षेत्र के विस्तार के लिए कई दिशा निर्देश दिये हैं। बैठक के दौरान वार्षिक योजना ऑपरेशन (एओपीएस) वर्ष 2021-22 के लिए कई फैसले लिए गये हैं। वनों के डिजिटल मानचित्र तैयार करने के साथ वास्तविक निगरानी को सुनिश्चित किया जायेगा। इसमें प्रमुख रूप से जम्मू कश्मीर वन व संबद्ध विभागों के लिए 233 करोड़ रुपये के परिव्यय की वार्षिक योजना संचालन (एपीओ) को मंजूरी दी गई।
 



इसके साथ ही 74.47 लाख पौधों के रोपण और 13926 हेक्टेयर क्षेत्र के वनीकरण की परिकल्पना की गई है। इसमें पौधों का उत्पादन, क्षति की संख्या, जंगल की आग की रोकथाम और नियंत्रण आदि गतिविधियां शामिल हैं। बैठक में बताया गया कि वन क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सीमाओं का डिजिटाइजेशन, अग्नि सुरक्षा तंत्र, वन क्षति रिपोर्टिंग में आईटी तकनीक का उपयोग आदि पहल की गई है। विशेष परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने विशेष रूप से रामबन बनिहाल खंड में एनएच-44 पर वुलर झील के कैचमेंट क्षेत्र के विस्तार, तोसामिदान के पुनर्वास और स्लिप क्षेत्रों के स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिये हैं। दोनों डिवीजनों में शहर के जंगलों को विकसित करने के साथ औद्योगिक स्टेट, सड़कों और स्कूलों समेत सार्वजनिक भवनों के आसपास वृक्षारोपण करने को कहा है। विभाग ने कैंपा के कार्यों की बारीकी से निगरानी करने के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र बनाया है। इसमें क्षेत्र स्तरीय निरीक्षण, विभागीय निगरानी समितियां, विभागीय वेबसाइट पर जीपीएस निर्देशांक, कैंपा कार्यों का तृतीय पक्ष मूल्यांकन और ग्राम पंचायत समितियों की भागीदारी शामिल है।
Powered By Sangraha 9.0