4 फरवरी 2018 को एलओसी पर वीरगति पाने वाले कैप्टन कपिल कुंडू, रायफलमैन शुभम सिंह, रायफलमैन रामअवतार और हवलदार रोशनलाल की शौर्यगाथा
    04-फ़रवरी-2021

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4 फरवरी 2018 आज के ही दिन पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में बिना किसी उकसावे के अचानक सीज़फायर का उल्लंघन शुरु कर दिया था। जिसमें भारत के 4 साहसी जवानों ने वीरगति हासिल की। आज उसी हमले की तीसरी बरसी है। उन वीर सैनिकों में शामिल थे, कैप्टन कपिल कुंडू जो कि गुरुग्राम में रंसिका के रहने वाले थे। जम्मू-कश्मीर के कठुआ से राइफलमैन शुभम सिंह, मध्य प्रदेश के ग्वालियर से राइफलमैन रामअवतार और जम्मू-कश्मीर के साम्बा से हवलदार रोशन लाल। चारों उस वक़्त राजौरी के भिम्बर इलाके में एलओसी पर तैनात थे।
 
 
पाकिस्तान के इस हमले का पूरे देश में विरोध हुआ, सभी वीर हुतात्माओं के गाँवों में मातम छाया हुआ था। हर कोई अपने जवानों के बलिदान का बदला लेना चाहता था। भारतीय सेना ने इस हमले का माकूल जवाब दिया और पाकिस्तान की कई चौकियां नेस्तानाबूद कर दी।
 
 
आज चारों सैनिकों के अदम्य साहस और वीरता का उदाहरण देना मुश्किल है। कैप्टन कपिल जो की मात्र 23 वर्ष के थे, 6 दिन बाद यानि 10 फरवरी को उनका जन्मदिन था। लेकिन इतनी छोटी उम्र में ही वो देश के लिए शहीद हो गया।
 
 
हवलदार रोशन लाल के दो बच्चे थे, जिन्होंने अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी। राइफलमैन राम अवतार जिनकी बेटी भी मात्र 3 महीने की थी। राइफलमैन शुभम सिंह जिनकी उम्र मात्र 23 वर्ष की थी। जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता, जो अपने सभी दोस्तों में से होनहार था। दोस्तों की तरह कॉरपोरेट जॉब कर सुकून की ज़िदगी गुजार सकता था। लेकिन उसने भी देश-सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और उसके लिए जान भी गवां दी। शुभम कुछ ही दिनों में छुट्टियों के लिए अपने घर जाने वाला था। वो घर आया जरूर लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
 
 
शहीद हवलदार रोशन लाल के 16 वर्षीय बेटे अभिनंदन की सिर्फ एक दिन पहले 3 फरवरी 2018 की शाम उनकी अपने पिता के साथ अंतिम बार बात हुई थी। अभिनंदन ने अपने पिता की शहादत पर गर्व करते हुए कहा कि उसके पिता ने देश की रक्षा कि खातिर वीरगति पायी है और वो सेना में भर्ती होकर अपने पापा के सपने को पूरा करेगा। हम उन जवानों को वापस तो नहीं ला सकते लेकिन आज उनकी वीरगति की वर्षगाँठ के दिन उन्हें याद करके उन्हें सम्मान तो दे ही सकते है।