5 फरवरी, 1984, जेकेएलएफ आतंकी मकबूल बट्ट की रिहाई की साजिश और बर्मिंघम में डिप्लोमैट रविंद्र महात्रे की नृशंस हत्या
   05-फ़रवरी-2021


JKLF terrorist Maqbool Bu
 
बर्मिंघम, इंग्लैंड में 86, न्यू स्ट्रीट पर भारत के वाणिज्य दूतावास में रविंद्र महात्रे असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर तैनात थे। डिप्टी कमिश्नर बलदेव कोहली इंडियन हाई कमिश्नर डॉ सैयद मोहम्मद के रिटायरमेंट की तैयारी के लिए लंदन में थे। लिहाजा बर्मिंघम में वाणिज्य दूतावास की जिम्मेदारी रविंद्र महात्रे के जिम्मे थी। दूतावास के आसपास दक्षिण एशियाई प्रवासियों की खासी आबादी थी। सामने ही पाकिस्तान का भी वाणिज्य दूतावास मौजूद था।
 
3 फरवरी, 1984, को वक्त के पाबंद 49 वर्षीय रविंद्र महात्रे शाम ठीक 5 बजे ऑफिस खत्म होते ही घर के लिए निकले। पिछले 18 महीनों से रविंद्र महात्रे का यही रूटीन थी। ऑफिस से निकलकर बस पकड़कर बार्टले ग्रीन में स्थित घर पहुंचते थे, जो मात्र 2 मील दूर था। 7 बज गये लेकिन रविंद्र महात्रे घर नहीं पहुंचे। उनकी पत्नी शोभा ने दूतावास ऑफिस में फोन मिलाया। पता चला वो तो हमेशा की तरह वक्त से घर के लिए निकल गये थे।
 
घर न पहुंचने से घबराई शोभा ने लंदन डिप्टी कमिश्नर बलदेव कोहली को फोन किया। जिन्होंने शोभा को तसल्ली दी और जल्द खोजबीन करने को कहा। रूटीन के पाबंद रविंद्र महात्रे के घर न पहुंचने की खबर से दूतावास में भी बैचनी बढ़ गयी। उन्होंने 9 बजे तक इंतजार किया और फिर बर्मिंघम पुलिस में पहले शिकायत दर्ज करायी। लेकिन अगली सुबह तक कोई सूचना न मिली। सुबह पुलिस और दूतावास के लोगों ने अस्पताल और सूनी सड़कों की खोजबीन शुरु कर दी। इस आशंका में कि कहीं कोई सड़क हादसा तो नहीं हुआ।
 

JKLF terrorist Maqbool BuMaqbool Bhat (left) and JKLF co-founder Hashim Qureshi (center) 
 
लेकिन इससे पहले लंदन में बीती रात 3 बजे अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रायटर्स के ऑफिस में एक हाथ से लिखा हुए नोट पहुंचा। जिसमें टूटी-फूटी अंग्रेजी में लिखा था कि “हमने इंडियन डिप्लोमैट को अगवा कर लिया है औऱ अगर हमारी मांगे नहीं मानी गयी तो उसकी हत्या कर दी जायेगी।” नोट में आतंकियों ने खुद को कश्मीर लिबरेशन आर्मी के नाम से संबोधित किया था। मांगों में आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक आतंकी मकबूल बट्ट की रिहाई की मांग शामिल थी। इसके अलावा 1971 में इंडियन एयरक्राफ्ट को हाईजैक करने वाले, जो कि मकबूल बट्ट के साथी थे, 2 आतंकियों समेत 7 अन्य आतंकियों को छोड़ने की मांग रखी गयी थी। इन 7 सात आतंकियों को श्रीनगर वन-डे क्रिकेच मैच के दौरान हिंसा भड़काने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
 
इसके अलावा इस नोट में 1 मिलियन पाउंड की भी मांग की गयी थी। लेकिन नोट में ये कहीं नहीं लिखा था। कि इंडियन डिप्लोमैट कहां, किस देश में अगवा किया गया है। क्योंकि तब तक रविंद्र महात्रे की किडनैपिंग की खबर की भी पुष्टि नहीं हुई थी। नोट में कहां, किससे बातचीत करनी है। इसकी भी जानकारी नहीं थी। क्योंकि आमतौर पर इस तरह की आतंकी साजिशों में मांगों को पूरा करने और बातचीत का एक चैनल हमेशा तय होता है। इस बीच कश्मीर लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन का नाम भी पहले नहीं सुना गया था। लिहाजा रायटर्स ने इसको फर्जी समझकर ज्यादा महत्व नहीं दिया।
 
लेकिन रायटर्स ने लंदन में स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस को इसकी जानकारी जरूर दे दी। उधर बर्मिंघम में रविंद्र महात्रे के गायब होने की कोई वजह स्पष्ट नहीं हो पायी थी। लेकिन सुबह तक रायटर्स को एक और नोट आया जिसमें इस बार बातचीत के लिए जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकी जुबैर अंसारी के जरिये संपर्क करने के लिए कहा गया था।
 
जुबैर अंसारी, अलगाववादी आतंकी संगठन जेकेएलफ का आतंकी था। जोकि मकबूल बट्ट के साथ कई आतंकी वारदातों में शामिल रहा था। वो बर्मिंघम में ही एक्टिव था। जिसके घर पर फोन आया कि सबसे पहले मकबूल बट्ट को रिहा किया जाये। जुबैर अंसारी के पुलिस को बताया कि आतंकियों ने उन्हें आगे का मोल-भाव या बातचीत के लिए ‘अधिकृत’ किया है। इससे स्पष्ट हो गया था कि ये सब पाकिस्तान की शह पर जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट की ही साजिश थी।
 
4 फरवरी, लगभग 24 घंटे बीत गये। लेकिन कुछ नहीं हुआ। भारत सरकार ने सख्त रूख अपनाते हुए आतंकी मकबूल बट्ट को तुरंत रिहा करने का फैसला नहीं लिया। आतंकियों ने कुछ घंटों की डेडलाइन बीत जाने के बाद शाम 7 बजे, दो बार फिर फोन किया और डेडलाइन रात 10 बजे तक कर दी। नियति की विडंबना देखिए उस दिन रविंद्र महात्रे की 15 वर्षीय बेटी आशा का जन्मदिन था। महात्रे ये दिन अपने परिवार के साथ मनाने की योजना बना रहे थे, लेकिन...।
 

रात 10 बजे आतंकी जुबैर असांरी के पास एक फोन और जिसमें धमकी दी गयी कि भारत सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, अब इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे। आतंकियों की इस धमकी की हकीकत 5 फरवरी, रविवार शाम, अपहरण के 48 घंटे बीत जाने के बाद सामने आयी।

 
 
 
5 फरवरी, शाम, बर्मिंघम से 40 मील दूर हिंकले, लेसिस्टरशायर इलाके में जॉएस टैलिस नाम की महिला अपनी कार से जा रही थी। तभी सड़क के बीचोंबीच उनको एक अधेड़ शख्स की बॉडी दिखायी थी। जिसके सिर और छाती में 2 गोलियां मारी गयीं थी। जांच में पता चला कि ये भारत के डिप्लोमैट रविंद्र महात्रे ही हैं।
6 फरवरी, सोमवार सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में क्राइसिस-ग्रुप की मींटिग हुई। जिसमें इस आतंकी वारदात में पाकिस्तान के हाथ होने की सूचना भी दी गयी।
 
सुबह 10 बजे पीएम ने कैबिनेट कमेटी ऑफ पोलिटिकल अफेयर्स के साथ आपातकालीन मीटिंग बुलायी। जिसमें तिहाड़ जेल में बंद जेकेएलएफ के आतंकी मकबूल बट्ट को कानूनी तौर पर जितना जल्दी हो तुरंत फांसी पर लटकाया जाया। जिसको फांसी की सजा हो चुकी थी। तुरंत कलकत्ता (कोलकाता) में मौजूद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को आधिकारिक संदेश भेजा गया और जहां राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दया-याचिका को खारिज कर दिया।
 
गृह मंत्रालय में ट्रबल-शूटर माने जाने वाले पी.पी नैयर को तुरंत जम्मू कश्मीर रवाना किया गया। ताकि वहां किसी तरह की कोई गड़बड़ न हो। तमाम दूतावासों को सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दे दिये गये।
 
11 फरवरी, 1984, रविंद्र महात्रे के बलिदान के 6 दिन बाद दिल्ली की एक सर्द सुबह जेकेएलएफ के आतंकी मकबूल बट्ट को फांसी पर चढ़ा दिया गया।