27 मई, कारगिल युद्ध; साथी पायलट को बचाने के लिए एलओसी पार करने वाले डेयरडेविल पायलट अजय आहूजा की वीरगाथा

27 May 2021 00:25:26

Ajay Ahuja_1  H 
 
1999 कारगिल युद्ध की शुरूआत में इंडियन एयरफोर्स के स्कवैड्रन लीडर अजय आहूजा वो नाम है, जिसने अपने साथी पायलट की जान बचाने के लिए अपना मिग-21 लेकर एलओसी पार कर दुश्मन के कब्जे वाली सीमा में जा घुसे। जहां उन्होंने वीरगति हासिल की।
 
जीवन परिचय-
 
अजय आहूजा का जन्म राजस्थान के कोटा शहर में हुआ था। कोटा के ही सेंट पॉल सीनियर सेकेंड्री स्कूल ने अजय आहूजा ने स्कूल की पढ़ाई की थी। इसके बाद एनडीए ज्वाइन करने के बाद 14 जून 1985 को उन्होंने एक फायटर पायलट के तौर पर इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन की।
 
1997 में स्कवैड्रन लीडर के तौर पर अजय आहूजा की पोस्टिंग भटिंडा, पंजाब के किल्ली भिसियाना एयरबेस पर हुई। कारगिल युद्ध की शुरुआत के कुछ दिन पहले ही उनको स्कवैड्रन 17, गोल्डन एरोज़ के फ्लाइट कमांडर के तौर पर नियुक्ति मिली थी।
 
वीरगाथा
 
27 मई, 1999 को कारगिल युद्ध के शुरुआती दिनों तत्कालीन जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर ऑपरेशन सफेद सागर के अंतर्गत इंडियन एयरफोर्स ने एक टोही मिशन शुरू किया। इस ऑपरेशन का मकसद था, एलओसी पर भारतीय सीमा में कब्जा कर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजीशन का पता लगाना। एक विमान मिग-27 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता थे, दूसरे विमान मिग-21 में स्कवैड्रन लीडर अजय आहूजा फ्लाइट कमांडर थे। दोनों विमान एलओसी पर उड़ान भर रहे थे। इस बीच उन्हें सूचना मिली कि मिशन में साथी फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को अपने मिग-27 विमान में आग लगने की वजह से बाहर इजेक्ट करना पड़ा और संभवत: पैराशूट के जरिये वो दुश्मन के कब्जे वाले क्षेत्र में लैंड कर सकते हैं।
 

Ajay Ahuja_1  H 
 
 
स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा के पास दो रास्ते थे, या तो वो साथी पायलट की टोह लें या एयरबेस पर वापस लौट आयें। लेकिन उन्होंने जान की परवाह न करते हुए अपने साथी की लोकेशन का पता लगाने के लिए दुश्मन के कब्जे वाले क्षेत्र में दाखिल हो गये। इस दौरान पहले से एंटी-एयरक्राफ्ट गन से लैस पाकिस्तानी सैनिकों ने उन पर गोलाबारी शुरू कर दी। जिसमें उनका विमान भी क्षतिग्रस्त हो गया और विमान में आग लग गयी। आहूजा ने नियंत्रण कक्ष को एक रेडियो मैसेज दिया-
 
"हरक्यूलिस मुझे लगता है मेरे विमान पर हमला हुआ है, किसी मिसाइल हमले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, मैं अपने विमान से निकल रहा हूँ."
 
इसके बाद उनका पैराशूट दुश्मन के कब्जे वाले क्षेत्र में ही लैंड किया। उनका संपर्क टूट चुका था। दरअसल पाकिस्तानी सैनिकों ने अजय़ आहूजा को बंधक बना लिया था।
 
जब पाकिस्तान ने उनका शव भारत को सौंपा तो पाकिस्तानी सेना ने बताय़ा कि उनकी मौत पैराशूट की लैंडिग के वक्त ही टकराने से हुई। लेकिन जांच में पता चला कि लैंडिंग के दौरान उनका पैर फ्रैक्चर जरूर हुआ था। लेकिन उन्होंने जिंदा लैंडिंग की थी। बल्कि उनको करीब से गोली मारी गयी थी। साफ था कि स्कवैड्रन लीडर अजय आहूजा की मौत एक कोल्ड ब्लडेड मर्डर था।
 
 
Ajay Ahuja_2  H
 
हालांकि फ्लाइट लेफ्ट‍िनेंट नचिकेता 8 दिन बाद पाकिस्‍तानी कैद से सुरक्षित भारत लौट आए थे। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा के अदम्य साहस और वीरता के लिए 15 अगस्त, 1999 को उन्हें मरणोपरांत 'वीर चक्र' से सम्मानित किया गया था। कारगिल युद्ध को दशकों बीत जाने के बाद भी इस युद्ध में बलिदान देने वाले सपूतों का जब भी नाम लिया जाता है, तो स्कवैड्रन लीडर अजय आहूजा का नाम सबसे अग्रणी नामों में शुमार होता है। देश उनके इस बलिदान का हमेशा ऋणी रहेगा।
 
 
Powered By Sangraha 9.0