केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला, मेडिकल कोर्सेस में OBC कैंडिडेट्स को 27% और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा

29 Jul 2021 19:41:32
 
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 केंद्र सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला लिया है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को 27% और आर्थिक रूप से कमजोर कैंडिडेट्स को 10 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा। यह फैसला 2021-22 के सेशन से लागू होगा। बता दें कि हर साल ऑल इंडिया कोटा स्कीम के तहत एमबीबीएस  एमएस, बीडीएस, एमडीएस डेंटल, मेडिकल और डिप्लोमा में 5,550 कैंडिडेट्स को इसका फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में 26 जुलाई को बैठक की थी और वे पहले भी इन वर्गों को आरक्षण दिए जाने की बात कह चुके थे। गौरतलब है कि बीते 26 जुलाई को हुई मीटिंग के 3 दिन बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके जानकारी दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश में पिछड़े और कमजोर आय वर्ग के उत्थान के लिए उन्हें आरक्षण देने को सरकार प्रतिबद्ध है।
 



बता दें कि सरकार के इस फैसले के बाद एमबीबीएस में करीब 1,500 ओबीसी कैंडिडेट्स और पीजी में 2,500 ओबीसी कैंडिडेट्स को हर साल इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अलावा एमबीबीएस में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 550 और पोस्ट ग्रेजुएशन में करीब 1,000 कैंडिडेट हर साल इस आरक्षण से लाभान्वित होंगे।

क्या है AIQ स्कीम?

ऑल इंडिया कोटा स्कीम 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य दूसरे राज्य के स्टूडेंट्स को अन्य राज्यों में भी आरक्षण का लाभ उठाने में सक्षम बनाना था। साल 2008 तक ऑल इंडिया कोटा स्कीम में कोई आरक्षण नहीं था। लेकिन  साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने इस स्कीम में अनुसूचित जाति के लिए 15% और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5% आरक्षण की शुरुआत की थी। बता दें कि साल 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कैंडिडेट्स को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक संवैधानिक संशोधन किया गया था। इसके मुताबिक मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में सीटें बढ़ाई गई, ताकि अनारक्षित वर्ग पर इसका कोई असर ना पड़े। लेकिन इस श्रेणी को ऑल इंडिया कोटा योजना में शामिल नहीं किया गया था।

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