जनजातीय समुदाय को नौकरी और राजनीति में मिलेगा आरक्षण, 20 जिले में जनजातीय छात्रों के लिए बनेंगे छात्रावास
एलजी मनोज सिन्हा ने घोषणा करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय को नौकरी तथा राजनीति में आरक्षण मिलेगा। उन्होंने कहा कि हर जिले में जनजातीय छात्र और छात्राओं के लिए छात्रावास बनाए जाएंगे और उनकी संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक 7 छात्रावास बनने की कगार पर है। इसके अलावा राज्य सरकार ने 79 अतिरिक्त छात्रावासों और पांच नए एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। उन्होंने कहा कि जनजातीय पर्यटक गांव विकसित का फैसला किया गया है, जिसके तहत 15 गांव पहले चरण में चयनित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि तीन करोड़ की लागत से इस पर काम शुरू होगा। इसके अलावा जनजातीय उपकेंद्रों, सड़क, बिजली, आंगनबाड़ी केंद्रों पर काम जल्द शुरू होगा। एसकेआईसी में गुज्जर-बक्करवाल और गद्दी-सिप्पी समुदाय को वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत व सामुदायिक अधिकार प्रमाणपत्र वितरण समारोह के दौरान एलजी मनोज सिन्हा ने यह जानकारी दी। एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि 28 करोड़ रुपये की लागत से आठ स्थानों पर आदिवासियों के लिए पारगमन (ट्रांजिट) आवास बनाने का भी निर्णय लिया गया है, इतना ही नहीं भविष्य में ऐसे और आवास बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर ट्रांजिट आवास में 150-200 लोग रह सकते हैं और उनके जानवरों को भी रखने के लिए एक विशेष इंतजाम होंगे। जिन क्षेत्रों में सामुदायिक अधिकार दिए जा रहे हैं, उन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि तत्काल उपलब्ध कराई जाएगी। क्लस्टर जनजातीय मॉडल गांव के लिए 73 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो अब तक सर्वाधिक है। मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन जनजातीय समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न स्तरों पर लगातार काम कर रहा है और उनके विकास और बेहतरी के लिए मिशन मोड में काम करेगा।मनोज सिन्हा ने आगे कहा कि वन और जनजातीय समुदाय की पीढ़ियों से सह-अस्तित्व में हैं और वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने से निश्चित रूप से उनके जीवन की स्थिति बदल जाएगी। वे अपने विकास के लिए संसाधनों तक पहुंच के साथ आत्मनिर्भर बनेंगे। उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के अलावा भी समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के लिए अनेक योजनाएं जम्मू-कश्मीर प्रशासन चला रहा है। इस समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने में हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आदिवासियों को सशक्त बनाना किसी मस्जिद या मंदिर में प्रार्थना करने से ज्यादा पवित्र काम है। इस दौरान एलजी सिन्हा ने जनजातीय समुदाय से आग्रह किया कि वे भी अपने परिवार के सदस्यों की तरह वन और वन्यजीवों की रक्षा करें और जैव विविधता को बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करें। श्रीनगर के एसकेआईसीसी में आयोजित कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मनोज सिन्हा ने बताया कि 1 दिसंबर, 2020 को कानूनी रूप से वन अधिकार अधिनियम लागू करने का कानून बनाया गया था। जिसके बाद करीब 20 हजार के आसपास आवेदन आए हैं। बता दें कि बीते सोमवार को अनेकों लोगों को प्रमाण पत्र दिए गए थे। वहीं बाकी सभी लोगों को 75 दिनों में प्रमाण पत्र सौंप दिए जाएंगे।