JK Now की खबर पर लगी मुहर ; जनरल आसिम मुनीर बनें पाकिस्तान के नए सेना अध्यक्ष
   24-नवंबर-2022

New Army Chief Of Pakistan Asim Muneer  
 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने नये चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की तैनाती पर फैसला कर लिया है। फिलहाल क्वार्टरमास्टर जनरल के पद पर तैनात ले. जनरल आसिम मुनीर (Gen Asim Muneer) पाकिस्तान का नया सेना अध्यक्ष (Pakistan Army Chief) घोषित किया गया है। इसके अलावा ले. जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को चेयरमैन ऑफ ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ बनाया गया है, जोकि सेना की तीनों कोर के ज्वाइंट चीफ होते हैं।
 
 
2 दिन पहले आर्मी हेडक्वार्टर ने 6 टॉप जनरल के नाम आर्मी चीफ और सीजेसीएस की तैनाती के लिए भेजे गये थे। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इनमें से ले. जनरल फैज हमीद को आर्मी चीफ बनवाने के लिए दबाव बना रहे थे। लेकिन पीएम शाहबाज शरीफ ने वरीयता के आधार पर 6 जनरलों में सबसे ऊपर आमिस मुनीर के नाम पर मुहर लगा दी। मौजूदा आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का एक्सटेंशन का समय 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
 
 
आपको बता दें कि JK Now ने 13 नवंबर तो ही आपको बता दिया था कि आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ बनने वाले हैं। लिहाजा JK Now की उस खबर पर आखिरकार मुहर लगी और आसिम मुनीर नए आर्मी चीफ बनाए गए।
 
 New Army Chief Of Pakistan
 
 
New Army Chief Of Pakistan
 
कौन हैं जनरल आसिम मुनीर ?
 
आसिम मुनीर 3-स्टार जनरल हैं, जिनको जनरल बाजवा ने अक्टूबर 2018 में आईएसआई चीफ बनाया था। उससे पहले वो कुछ महीनों के लिए आर्मी इंटेलिजेंस के डीजी के पद पर तैनात थे। लेकिन आईएसआई चीफ के समय आसिम मुनीर ने तत्कालीन पीएम इमरान खान की बातें न मानने से कई बार इंकार कर दिया था। इमरान खान आईएसआई के जरिये विपक्षी पार्टियों और अपनी ही पार्टी के सदस्यों को काबू में रखना चाहते थे। नतीजे में इमरान खान के दवाब में 8 महीनों बाद ही जुलाई 2019 में आसिम मुनीर को हटाकर ले. जनरल फैज हमीद को नया आईएसआई डीजी बना दिया गया। आसिम मुनीर का तब से ही इमरान खान से छत्तीस का आंकड़ा है।
 
 
आसिम मुनीर पर एक्सटॉर्शन का आरोप 
 
 
इमरान खान इसीलिए किसी भी कीमत पर आसिम मुनीर को आर्मी चीफ बनने से रोकना चाहते थे और पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ के पद पर फैज हमीद की तैनाती चाहते थे। इमरान खान का लॉन्ग मार्च इसी स्ट्रैटेजी का हिस्सा था। जून 2021 में आसिम मुनीर पर एक बिजनेसमैन व मास्टर टाइल्स के सीईओ शेख महमूद इकबाल ने 90 करोड़ रू एक्सटॉर्शन मनी लेने का आरोप लगाया था। इस पर शेख इकबाल ने तत्कालीन पीएम इमरान खान को चिट्ठी लिखकर बताया था कि कैसे आसिम मुनीर वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं। जाहिर है इस पर जांच नहीं हुई।
 
 
इसके अलावा पाकिस्तानी की कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के धरने के पीछे भी आसिम मुनीर का हाथ बताया जाता रहा है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस काजी फैज ईसा ने अपने फैसले में आसिम मुनीर समेत कई आर्मी ऑफिसरों का नाम लिया था कि कैसे ये टीएलपी जैसे संगठनों के सहारे देश की राजनीति में उथल-पुथल मचाते रहे हैं। लेकिन जस्टिस फैज ईसा के इस फैसले के बाद उनके परिवार पर ही धांधली व मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगा दिये गये। जिसकी जांच अभी तक चल रही है।
 
 
 
 
इमरान खान की बढ़ेगी मुसीबत !
 
 
पीएम पद से हटाये जाने के बाद से ही इमरान खान ने पाकिस्तान में बवाल खड़ा कर रखा है। उनकी मांग है, तुरंत चुनाव। लेकिन पर्दे के पीछे इमरान खान नये आर्मी चीफ की पसंदीदा तैनाती चाहते थे, बदले में चुनाव कुछ महीनों बाद भी हो तो चलता। लेकिन इमरान खान के अरमानों पर पानी फिर गया, इसी कड़ी में इमरान प्लान-बी के तहत पहले से ही 26 नवंबर से रावलपिंडी में धरने की घोषणा कर चुके हैं। पिंडी मतलब... आर्मी हेडक्वार्टर पर दबाव बनाने की कोशिश। प्लान के मुताबिक लाखों की भीड़ पिंडी में जमा होगी तो आर्मी को दबाव में आकर इमरान खान को दोबारा सत्ता पर बिठाना ही पड़ेगा।
 
 
इधर राष्ट्रपति राशिद अल्वी भी कुल 25 दिनों तक नये आर्मी चीफ की तैनाती को साइन न करके टाल कर रख सकते हैं। एक तरफ इमरान सड़क पर दबाव बनायें, दूसरी तरफ राष्ट्रपति अल्वी इस तैनाती को लटकाकर रखें। लेकिन कानूनन राष्ट्रपति ज्यादा से ज्यादा 25 दिनों तक ही फैसले को अटका कर रख सकते हैं, अंतत: उनको पीएम के फैसले पर मुहर लगानी ही होगी। यानि 25 दिनों में इमरान खान रावलपिंडी में माहौल न बना पाये तो... इमरान खान के पास इसके बाद कोई चारा नहीं बचेगा। इसके बाद वो नये आर्मी चीफ से बातचीत करने लायक भी न बचेंगे। लिहाजा ऐसा करना इमरान खान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
 
 
अगर इमरान खान चुपचाप नये आर्मी चीफ की तैनाती मान भी लेते हैं, तो अब वो रावलपिंडी जाकर क्या करेंगे। इस पर भी संशय बना हुआ है। ऐसे में पीटीआई के लहजे में थोड़ी भी नरमी इमरान खान की पॉलिटिक्स के लिए ही खतरनाक साबित होगी। मतलब किसी भी कीमत पर इमरान खान को राजनीतिक आग की आंच बढ़ाये रखनी पड़ेगी, जब तक कि इलेक्शन न हो। लेकिन क्या नये आर्मी चीफ इस आंच को बनाये रखने की इजाजत देंगे। जानकार मानते हैं... नहीं।
 
 
29 नवंबर को ख़त्म हो रहा है जनरल बाजवा का कार्यकाल
 
 
बता दें कि पाकिस्तान के वर्तमान आर्मी चीफ जनरल बाजवा 3 साल के एक्स्टेंशन के बाद 29 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। बाजवा ने सेवा में और विस्तार से खुद ही इनकार कर दिया था, जिसके बाद नए आर्मी चीफ की नियुक्ति हुई है। पाकिस्तान में CJCS सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है, लेकिन सैनिकों की लामबंदी, नियुक्तियों और स्थानांतरण सहित प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं। पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हुए हैं और मुल्क पर आधे से ज्यादा वक्त सेना का शासन रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं सुरक्षा और विदेश नीति में फौज का काफी दखल रहता है।
 
 
सेना प्रमुख की रेस में ये लोग थे शामिल
 
 
पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर काफी समय से अनिश्चितता जारी थी। पाकिस्तान सरकार को जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेने के लिए कई वरिष्ठ जनरल के नाम मिले थे। लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर के अलावा लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा (कमांडर 10 कोर), लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास (चीफ ऑफ जनरल स्टाफ), लेफ्टिनेंट जनरल नोमान महमूद (राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष), लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद (कमांडर बहावलपुर कोर) और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर (कमांडर गुजरांवाला कोर) के नाम आर्मी चीफ के लिए भेजे गए थे।