इमरान खान की बढ़ेगी मुसीबत !
पीएम पद से हटाये जाने के बाद से ही इमरान खान ने पाकिस्तान में बवाल खड़ा कर रखा है। उनकी मांग है, तुरंत चुनाव। लेकिन पर्दे के पीछे इमरान खान नये आर्मी चीफ की पसंदीदा तैनाती चाहते थे, बदले में चुनाव कुछ महीनों बाद भी हो तो चलता। लेकिन इमरान खान के अरमानों पर पानी फिर गया, इसी कड़ी में इमरान प्लान-बी के तहत पहले से ही 26 नवंबर से रावलपिंडी में धरने की घोषणा कर चुके हैं। पिंडी मतलब... आर्मी हेडक्वार्टर पर दबाव बनाने की कोशिश। प्लान के मुताबिक लाखों की भीड़ पिंडी में जमा होगी तो आर्मी को दबाव में आकर इमरान खान को दोबारा सत्ता पर बिठाना ही पड़ेगा।
इधर राष्ट्रपति राशिद अल्वी भी कुल 25 दिनों तक नये आर्मी चीफ की तैनाती को साइन न करके टाल कर रख सकते हैं। एक तरफ इमरान सड़क पर दबाव बनायें, दूसरी तरफ राष्ट्रपति अल्वी इस तैनाती को लटकाकर रखें। लेकिन कानूनन राष्ट्रपति ज्यादा से ज्यादा 25 दिनों तक ही फैसले को अटका कर रख सकते हैं, अंतत: उनको पीएम के फैसले पर मुहर लगानी ही होगी। यानि 25 दिनों में इमरान खान रावलपिंडी में माहौल न बना पाये तो... इमरान खान के पास इसके बाद कोई चारा नहीं बचेगा। इसके बाद वो नये आर्मी चीफ से बातचीत करने लायक भी न बचेंगे। लिहाजा ऐसा करना इमरान खान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अगर इमरान खान चुपचाप नये आर्मी चीफ की तैनाती मान भी लेते हैं, तो अब वो रावलपिंडी जाकर क्या करेंगे। इस पर भी संशय बना हुआ है। ऐसे में पीटीआई के लहजे में थोड़ी भी नरमी इमरान खान की पॉलिटिक्स के लिए ही खतरनाक साबित होगी। मतलब किसी भी कीमत पर इमरान खान को राजनीतिक आग की आंच बढ़ाये रखनी पड़ेगी, जब तक कि इलेक्शन न हो। लेकिन क्या नये आर्मी चीफ इस आंच को बनाये रखने की इजाजत देंगे। जानकार मानते हैं... नहीं।
29 नवंबर को ख़त्म हो रहा है जनरल बाजवा का कार्यकाल
बता दें कि पाकिस्तान के वर्तमान आर्मी चीफ जनरल बाजवा 3 साल के एक्स्टेंशन के बाद 29 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। बाजवा ने सेवा में और विस्तार से खुद ही इनकार कर दिया था, जिसके बाद नए आर्मी चीफ की नियुक्ति हुई है। पाकिस्तान में CJCS सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है, लेकिन सैनिकों की लामबंदी, नियुक्तियों और स्थानांतरण सहित प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं। पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हुए हैं और मुल्क पर आधे से ज्यादा वक्त सेना का शासन रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं सुरक्षा और विदेश नीति में फौज का काफी दखल रहता है।
सेना प्रमुख की रेस में ये लोग थे शामिल
पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर काफी समय से अनिश्चितता जारी थी। पाकिस्तान सरकार को जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेने के लिए कई वरिष्ठ जनरल के नाम मिले थे। लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर के अलावा लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा (कमांडर 10 कोर), लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास (चीफ ऑफ जनरल स्टाफ), लेफ्टिनेंट जनरल नोमान महमूद (राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष), लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद (कमांडर बहावलपुर कोर) और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर (कमांडर गुजरांवाला कोर) के नाम आर्मी चीफ के लिए भेजे गए थे।