आतंकी से सैनिक बने बलिदानी नजीर अहमद वानी की शौर्यगाथा ; जिन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से किया गया सम्मानित
    25-नवंबर-2022
 
Lance Naik Nazir Ahmad Wani
 
 
अमर बलिदानी लांस नायक नजीर अहमद वानी (Lance Naik Nazir Ahmed Wani) एक ऐसा नाम जो खुद भी एक वक्त में आतंकवादी थे। नजीर वानी ने एक वक्त में आतंकियों से हाथ मिलाकर अपने हाथों में हथियार थाम लिया था। किंतु समय रहते उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर उन्होंने आतंक का रास्ता छोड़ भारतीय सेना में भर्ती होने का मन बना लिया। 2004 में नजीर अहमद वानी ने भारतीय सेना में अपने करियर की शुरुआत टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से की थी। लांस नायक वानी जब तक जिंदा रहे वह एक सच्चे और बहादुर सैनिक की तरह चैलेंजिंग मिशन में बढ़-चढ़ कर भाग लेते रहे और आतंक विरोधी अभियानों में सबसे आगे रहते थे। इस कड़ी में आपको बताते हैं भारत मां के इस लाल के पराक्रम की पूरी कहानी।
 
 
आतंक के रास्ते से सैनिक बनने का सफ़र 
 
 
लांस नायक नजीर अहमद वानी कश्मीर संभाग के कुलगाम जिले के चेकी अश्मुजी के रहने वाले थे। उन्होंने 2004 में टेरीटोरियल आर्मी की 162 वीं बटालियन के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। 162 टेरीटोरियल आर्मी के इस बटालियन में बड़े पैमानें पर ‘इख्वानी’ शामिल हैं। दरअसल 'इख्वानी' उन्हें कहा जाता है जो कभी आतंकी होते हैं और बाद में आत्मसमर्पण करने के बाद वो अपनी इच्छा से भारतीय सेना में शामिल हो जाते हैं।
 
 
लिहाजा नजीर अहमद वानी भी इस तरह से सेना में शामिल होकर आतंक विरोधी अभियानों का हिस्सा बन गए। बता दें कि 162 टेरीटोरियल आर्मी के सैनिक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्थानीय क्षेत्रों से आने वाले इन सैनिकों के पास अपना एक मजबूत नेटवर्क होता है, जिसकी मदद से वे आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में जानकारी को आसानी से ट्रैक करने में सक्षम होते हैं।
 
 
25 नवंबर, 2018
 
 
25 नवंबर, 2018 ये तारीख थी जब सेना को कश्मीर संभाग के हीरापुर गांव के एक मकान में भारी मात्रा में घातक हथियारों से लैस हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के 6 आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली। सेना की जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री के लांस नायक नजीर अहमद वानी और उनकी टीम को इन आतंकियों के खिलाफ अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई। लांस नायक वानी ने इस ऑपरेशन में आगे बढ़ते हुए सबसे पहले उन रास्तों को बंद करने का फैसला किया जिसकी मदद से आतंकी बचकर भाग सकते थे। उस स्थान पर नजीर अहमद ने खुद मोर्चा संभाला।
 
 
नजीर अहमद वानी ने 2 आतंकियों को उतारा मौत के घाट
 
 
सेना से चारों तरफ से खुद को घिरा देख आतंकवादी पूरी तरह से घबरा गए और आनन-फानन में अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।आतंकियों की इस गोलीबारी के बीच नजीर अहमद वानी ने अपने जान की परवाह ना करते हुए आतंकियों से आमने सामने की लडाई लड़ी। इस मुठभेड़ में नायक नजीर अहमद वानी ने 2 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। उसी दौरान नायक नजीर वानी को एक पाकिस्तानी आतंकी भागता हुआ नजर आया। नजीर ने बिना समय गंवाते भागते हुए उस आतंकी को धर दबोचा और दोनों में जमकर गुत्थम गुत्था हुई। इस दौरान नायक नजीर गोलियां लगने के कारण घायल हो गए थे। परंतु घायल होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। नायक नजीर अहमद वानी ने अपने असाधारण साहस का परिचय देते हुए उस आतंकवादी को घायल कर दिया ताकि सुरक्षाबलों को वो नुकसान न पहुंचा सके।
 
 
Encounter
 
मुठभेड़ में सभी आतंकियों का हुआ खात्मा
 
 
सेना के इस मुठभेड़ में सभी 6 आतंकवादी मौत के घाट उतार दिए गए। हालांकि इस मुठभेड़ के दौरान लांस नायक नजीर अहमद वानी गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। सेना ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया किन्तु अस्पताल में इलाज के दौरान नायक नजीर वानी जिंदगी से अपनी जंग हार गए और वीरगति को प्राप्त हो गए। आतंक के रास्ते से सेना में भर्ती हुए लांस नायक नजीर अहमद वानी हमेशा ये चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में हमेशा सामान्य और शांतिपूर्ण माहौल बना रहे।
 
 
सेना पदक और अशोक चक्र से किया गया सम्मानित
 
 
उनकी निडरता और वीरता का प्रमाण इस बात से मिलता है कि उन्हें 2007 और 2018 में वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था। वह जोखिम भरे अभियानों से कभी पीछे नहीं हटे और आगे बढ़कर इन अभियानों में देश के दुश्मनों से लोहा लिया। लांस नायक वानी की असाधारण वीरता और अदम्य साहस के लिए 26 जनवरी 2019 को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान मरणोपरांत शांति काल के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। उस वक्त के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी को यह सम्मान दिया गया। यह पहला मौका था जब जम्मू कश्मीर के किसी जवान को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
 

Lance Naik Nazir Ahamd Wani Ashok Chakra 
 
सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई
 
 
लांस नायक नजीर अहमद वानी को 2 बार 2007 और 2018 में साहसी कार्यों के लिए सेना पदक से भी सम्मानित किया गया था। लांस नायक वानी के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा 2 बेटे अतहर (20) और शाहिद (18) हैं। 26 नवंबर को उनके गांव में उनके पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ कब्र में दफनाया गया। उनके पार्थिव शरीर को जब उनके गांव लाया गया तो उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ था। उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में कश्मीरी इकट्ठा हुए थे और सभी की आँखें नम थीं। माँ भारती के ऐसे बहादुर सिपाही की पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन।
 
 
J&K Lance Naik Nazir Ahamad
 
Lance Naik Nazir Ahamd Wani J&K