भागवद् गीता ने कैसे बदला विश्व के महानतम वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, संगीतकारों व बुद्धिजीवियों का जीवन; गीता जयंती विशेष में जानिए
   03-दिसंबर-2022

Albert Einstein Geeta
 
 
गीता का संदेश न तो उन लोगों के लिए मनोरंजन के रूप में नहीं किया गया था जो स्वार्थी उद्देश्यों की खोज में सांसारिक जीवन जीने के बाद थक गए हों और न ही ऐसे सांसारिक जीवन जीने के लिए एक प्रारंभिक पाठ के रूप में; बल्कि किसी को अपना सांसारिक जीवन कैसे जीना चाहिए कि वह मुक्त (मोक्ष) हो सके और सांसारिक जीवन में मनुष्य के रूप में अपने सच्चे कर्तव्य का पालन कर सके, इस हेतु दार्शनिक सलाह की दृष्टि देने के लिए दिया गया था । -बाल गंगाधर तिलक, "गीता रहस्य"
 
 
गीता जयंती
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी 2079 विक्रम संवत
(3 दिसम्बर 2022)
 
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे।
 
पूरे विश्व भर में मात्र श्रीमद भगवत गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष गीता जयंती महोत्सव (मोक्षदा एकादशी) 3 दिसंबर 2022 को शनिवार के दिन है।
 
हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ भगवद्गीता भारत के महान महाकाव्य महाभारत का एक छोटा अंग है। महाभारत प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है जिसमें मानव जीवन के महत्वपूर्ण पक्षों को बहुत ही विस्तार के साथ वर्णन किया गया है। महाभारत लगभग 110000 श्लोकों के साथ विश्व के महाकाव्य ग्रंथों इलियड और ओडिसी संयुक्त से सात गुना और बाइबल से तीन गुना बड़ा है। वास्तव में, यह कई गाथाओं का एक पूरा पुस्तकालय है। महाकाव्य की छठी पुस्तक में पांडवों और कौरवों के बीच महान लड़ाई से ठीक पहले की घटना भगवत गीता का कथानक है।
 
भगवद गीता हिंदू धर्म की सबसे लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है, जो विश्व भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी गई गीता में 700 श्लोक हैं। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन के सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मोह में फंसता देख उनके कर्म और कर्तव्य से अवगत कराया और जीवन की वास्तविकता से उनका सामना करवाया उन्होंने अर्जुन की सभी शंकाओं को दूर किया उनके बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद्गीता है। जो आज भी लोगों को सही-गलत में फर्क समझने एवं जीवन को ठीक तरीके से जीने का तरीका सिखाती है।पौराणिक मान्यताओं और विद्वानों की कालगणना के अनुसार भगवान कृष्ण ने गीता 5160 वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन अर्जुन को गीत का ज्ञान दिया था।
 
 
 
दुनिया की महान विभूतियों द्वारा प्रायः गीता का उल्लेख किया जाता है। इन महान हस्तियों का मानना है कि गीता के माध्यम उन्हें अपने जीवन में मार्गदर्शन मिलता है। भगवद गीता ने अनगिनत लोगों को प्रेरणा दी है और उनके जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रेरणा का परिणाम है कि भगवद गीता को 80 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
 
 
सामान्यतया गीता को जीवन जीने मार्ग दिखाने की सीख देने वाले धार्मिक ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। किन्तु वह अब केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में ही नहीं देखी जाती है, बल्कि वह कई मंचों पर दर्शनशास्त्र और उच्च प्रबंधन का हिस्सा बन गई है। भगवद गीता की लोकप्रियता का परिणाम है कि वह भारत की सीमाओं से परे अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुकी है, वह विश्व के सभी प्रमुख देशों में लोकप्रिय है। भगवद गीता ने दुनिया के कई महान और प्रसिद्ध लोगों को न केवल प्रभावित किया है बल्कि उनके जीवन को भी पूरी तरह से बदल दिया।
 
Albert Einstein Geeta
 अल्बर्ट आइंसटीन
 
अल्बर्ट आइंसटीन जर्मनी में जन्मे भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके अलावा आम लोगों के बीच, उनके द्वारा दिया गया द्रव्य ऊर्जा संबंध का सिद्धांत लोकप्रिय है। इसी के अंतर्गत उन्होंने ऊर्जा= द्रव्यमानxप्रकाश का वेग2 का प्रसिद्ध सूत्र दिया। उन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य और फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव को प्रतिपादित करने के लिए 1921 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। जिसकी कारण भौतिक विज्ञान के क्वांटम का सिद्धांत को स्थापित करने में सहायता मिली।
 
 
आइंसटीन भगवद गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि “ जब मैंने भगवद गीता को पढ़ा तो मुझे पता चला कि ईश्वर ने कैसे दुनिया को बनाया है और मुझे यह अनुभव हुआ कि प्रकृति ने हर वस्तु कितनी प्रचुरता में प्रदान की है।” हम इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि भगवद गीता ने मुझे कठिन परिश्रम करने के लिए कितना प्रेरित किया है। मैं आप सब से कहना चाहता हूं कि गीता को जरूर पढ़े और आप खुद देखेंगे कि उसने आपके जीवन को कितना प्रभावित किया है।

Henry David Thoreau  हेनरी डेविड थोरो
 
 
हेनरी डेविड थोरो अमेरिका के प्रसिद्ध प्रकृतिवादी, दार्शनिक, कवि थे। उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता अपनी किताब वाल्डेन के लिए मिली। इसके अलावा वह अपने निबंध सविनय अवज्ञा के लिए भी जाने जाते हैं। जो कि एक ऐसे राज्य के विरुद्ध अवज्ञा की बात करता है, जो अपने नागरिकों के साथ अन्याय करता है। थोरो की किताबें, निबंध, कविताएं , 20 से ज्यादा वॉल्यूम में प्रकाशित की गई हैं।
 
 
हेनरी भारतीय दर्शन और अध्यात्म से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध किताब “वाल्डेन” में भगवद गीता का कई बार उल्लेख किया है। वह किताब के पहले अध्याय में ही लिखते हैं “ पूरब के देशों के दर्शन की तुलना की जाय तो वह सबसे ज्यादा भगवत गीता से प्रभावित हैं।”

J Robert Oppenheime जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर
 
अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक कहा जाता है। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में हिरोशिमा और नागासकी पर किए गए परमाणु हमले में शामिल थे। परमाणु हमले के बाद उन्होंने भगवद गीता का उल्लेख करते हुए कहा था कि उन्हें उस वक्त भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश याद आया। जब वह अर्जुन से कहते हैं कि तुम केवल अपना कर्त्तव्य निभाओ। “मैं अब मृत्यु हूं और दुनिया को खत्म करने वाला बन गया हूं” बाद में ओपेनहाइमर ने कहा कि भगवद गीता ने उनके जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है। उन्होंने परमाणु परीक्षण के विषय में बाद में गीता का उल्लेख करते हुए कहा “हम जानते है कि दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी, कुछ लोग खुश होंगे, कुछ रोएंगे, ज्यादातर लोग चुप रहेंगे। मुझे गीता की पंक्तियां याद आ रही है कि भगवान विष्णु राजकुमार को उसका कर्तव्य समझाते रहे हैं और वह उसे अपना बहुभुजी रूप दिखा रहे हैं।”
 
 
ओपेनहाइमर ने परमाणु विस्फोट के प्रयोग का सफलता के बाद गीता के इस श्लोक का भी उल्लेख किया था
 
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त: ।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे
येऽवस्थिता: प्रत्यनीकेषु योधा:॥
 
(श्री भगवान बोले- मैं लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ महाकाल हूँ। इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूँ। इसलिए जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, वे सब तेरे बिना भी नहीं रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध न करने पर भी इन सबका नाश हो जाएगा।)
 

Thomas Merton 
थॉमस मर्टन
 
थॉमस मर्टन एक अमेरिकी भिझु, लेखक, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता और धर्माचार्य थे। 26 मई 1949 को वह पादरी बनाए गए और उनको नया नाम फादर लुईस दिया गया। उन्होंने 27 साल में करीब 50 किताबें लिखी। जो कि प्रमुख रूप में आध्यात्मिक, सामाजिक न्याय और शांतिवाद पर आधारित थी। उनका सबसे अच्छा काम उनकी आत्मकथा “द सेवन स्टोरी माउंटेन” को माना जाता है। मर्टन की विशेषज्ञता दूसरे धर्मों को समझने में काफी अच्छी रही है। खास तौर से उन्होंने पूरब के देशों के अध्यात्म की व्याख्या पश्चिम की दुनिया तक पहुंचे में अहम भूमिका निभाई है। वह लगातार एशिया के प्रमुख आध्यात्मिक गुरूओं और लेखकों से संवाद करते रहते थे। उन्होंने दलाई लामा, जापान के लेखक डी.टी.सुजुकी, थाइलैंड के बौद्ध भिक्षु बुद्धदशा, विएतनाम के भिक्षु थिक्ष नाथ हान आदि से संवाद किया।
 
भगवद गीता के बारे में क्या लिखा: गीता का मतलब होता है गीत, ठीक उस तरह जिस तरह से बाइबिल में सोलोमन के गीत हैं, जिसे “गीतों का गीत” कहा जाता है। इसी तरह हिंदू धर्म के लिए भगवद गीता, लोगों को जीवन का रहस्य समझाती है। वह लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाती है। लेकिन इन गुणों के अलावा भी गीता में बहुत कुछ है। वह लोगों को अपने दैनिक कर्त्तव्य को पूरा करने में कर्म को महत्व देती है।

sunita williams सुनीता विलियम्स
 
सुनीता विलियम्स एक अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक और नौसेना अधिकारी थी। उनके पास किसी महिला द्वारा अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त तक चलने का रिकॉर्ड है। उन्होंने 50 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष मे चलने का रिकॉर्ड बनाया था। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के 14 वें और 15 वें मिशन की सदस्य भी थी। इसके अलावा वह 2012 में मिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर और मिशन 33 की कमांडर भी रह चुकी हैं।
 
जब वह अंतरिक्ष मिशन के लिए जा रही थीं, तो उस वक्त अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति और भगवद गीता लेकर गईं थी। उस वक्त उनसे जब यह पूछा गया था कि वह अंतरिक्ष में क्यों गीता और भगवान गणेश की मूर्ति लेकर गई थीं? उस वक्त उन्होंने जवाब दिया था-
 
ये आध्यात्मिक चीजें हैं जो अपने आप को, जीवन को, आस-पास की दुनिया को प्रतिबिंबित करने और चीजों को दूसरे तरीके से देखने के लिए हैं। मुझे लगा कि ऐसे में समय में काफी उपयुक्त है।" उन्होंने इसके अलावा यह भी कहा कि गीता के जरिए उन चीजों को समझने में मदद मिली है कि जो वह कर रही है, उसे करने का कारण क्या है। साथ ही मुझे अपने जीवन का उद्देश्य समझने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मुझे अपने आपको जमीन से जुड़े रहने का भी सबक मिला है।
टी.एस.इलियट
 
अमेरिकी कवि पर भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव था। उन्होंने 1911-1914 की अवधि में हावर्ड में भारतीय दर्शन और संस्कृत का अध्ययन किया। उन्होंने अपनी कविता “द ड्राई साल्वेजेस” में भगवद गीता में कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का उल्लेख किया है। जिसके जरिए उन्होंने भूत और भविष्य के बीच के संबंध को भी समझाया। यही नहीं इसके जरिए उन्होंने लोगों को यह राह दिखाई कि अपने व्यक्तिगत फायदे की जगह ईश्वर को पाने के पीछे भागो। उन्होंने इस संबंध में गीता के अहम पंक्तियों का भी उल्लेख किया—
 
“आप इस भवसागर (दुनिया) में आए हैं और आपका शरीर उसके थपेड़ों को सहेगा, जो भी कुछ आपके जीवन में घटेगा वह निहित है। इसलिए कृष्ण युद्ध के मैदान में अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध छोड़ कर जाओ नहीं बल्कि आगे बढ़ो।”
 

Rudolf Steiner रूडोल्फ स्टेनर
 
रूडोल्फ जोसेफ लॉरेंज स्टेनर ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज सुधारक थे। स्टेनर को लोकप्रियता 19 वीं शताब्दी में अपने साहित्यिक आलोचनाओं और द फिलॉफिसी ऑफ फ्रीडम के जरिए मिली। बीसवीं शताब्दी में उन्होंने एक आध्यात्मिक आंदोलन एंथ्रोपोसोफी की शुरूआत की। उन्होंने गीता की व्याख्या करते हुए कहा “जीवन और सृजन को समझने का भगवद गीता पूरा ज्ञान देती है। इसे समझने के लिए मनुष्य को अपनी आत्मा को शुद्ध करना बेहद जरूरी है।” भगवान कृष्ण युद्ध के मैदान में दुविधा में फंसे कृष्ण को दुनिया के रहस्य को बताते हुए हुए योग का रास्ता समझाते हैं। स्टेनर कहते हैं कोई व्यक्ति कर्म, प्रशिक्षण और बुद्धि से कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है, उसका उदाहरण कृष्ण हैं।
 
इसके अलावा वह अपने अध्ययन से यह भी बताते हैं कि कैसे कृष्ण द्वारा लोगों को बताया गया आध्यात्म और ईसा मसीह द्वारा लोगों को बाहरी जीवन में मानवता का रास्ता दिखाना एक-दूसरे के पूरक हैं।
 

Warren Hastings वारेन हेस्टिंग्स
 
ब्रिटिश शासन में भारत के बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने गीता के अंग्रेजी अनुवाद में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने इसके लिए अंग्रेजी अनुवादक चार्ल्स विलिकिंस का भरपूर सहयोग किया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने गीता के अंग्रेजी अनुवाद की प्रति ईस्ट इंडिया कंपनी के चेयरमैन को भेंट की थी। और उस वक्त उनसे कहा था कि भगवद गीता “महान मौलिकता का प्रदर्शन, मानव के उद्भव की पराकाष्ठा, तर्क और कल्पना का अप्रतिम रुप है, और मानव जाति के सभी ज्ञात धर्मों के बीच एकल अपवाद है”
 

Ralph Waldo Emerson  रॉल्फ वाल्डो इमरसन
 
रॉल्फ अमेरिका के निबंधकार, प्रवक्ता, कवि और दार्शनिक थे, जिन्होंने ट्रांसेडेंटलिस्ट आंदोलन की 19 वी शताब्दी के मध्य में अगुवाई की थी। वह व्यक्तिवाद के अग्रणी दार्शनिकों में से एक थे। उनके दर्जनों निबंध और 1500 से ज्यादा व्याख्यान अमेरिका में प्रकाशित हुए।
 
वह धीरे-धीरे अपने सहयोगियों की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं से दूर होते गए। और अपने अनुभवों के आधार पर ट्रांसेडेंटलिज्म का दर्शन शास्त्र “नेचर” को लोगों को सामने रखा। उसके बाद उन्होंने अपने कामों के ऊपर “द अमेरिकन स्कॉलर” नाम से भाषण भी दिया। जिसे बाद में वेडल होल्म्स सीनियर ने अमेरका की “स्वतंत्रता का बुद्धिजीवियों का घोषणा पत्र” कहा। इसी दौरान उनका फ्रांसीसी दार्शनिक विक्टर कजिन के जरिए भारतीय दर्शन से साक्षात्कार हुआ। उन्होंने गीता के बारे में लिखा “मैंने भगवद गीता के साथ बेहतरीन दिन बताया। जैसे लग रहा था कि कोई साम्राज्य हमसे बात कर रहा है, उसमें कुछ भी छोटा और अनुपयोगी नहीं है। सबको कुछ वृहद, निर्मल, टिकाऊ, पुराने दौर का ज्ञान और माहौल है, वह उन्हीं सवालों के जवाब देती हैं, जिनका आज हम अभ्यास करते हैं ”
 

Ralph Waldo Emerson  फ्रेडरिक वॉन हमबोल्ट
 
फ्रेडरिक वॉन जर्मनी के दार्शनिक, भाषाविद, नौकरशाह और हमबोल्ट विश्वविद्यालय के संस्थापक थे। उन्होंने प्रमुख रुप से उदारवाद को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पहले से मौजूद पारंपरिक प्रथाओं की जगह व्यक्ति की संभावनाओं को तरजीह दी। इस वजह से वह युवाओं में भी खासा लोकप्रिय थे। उन्होंने भगवद गीता के बारे में कहा कि “वह दुनिया में साहित्य के क्षेत्र में शायद सबसे बेहतरीन काम है।” उन्होंने 1821 में संस्कृत भाषा सीखी और सेलेगल संस्करण की गीता को भी पढ़ा। गीता ने हमबोल्ट के जीवन पर खासा प्रभाव डाला। उन्होंने उसके बारे में कहा कि महाभारत के अंदर यह सबसे खूबसूरत अध्याय है। जो शायद किसी भी भाषा में मौजूद सत्य के करीब सबसे बेहतरीन दर्शन है।
 
गीता को पढ़ने के बाद उन्होंने अपने दोस्त और राजनीतिज्ञ फ्रेडरिक वॉन गेंट्ज को पत्र लिखते हुए कहा है “मैंने इस पुस्तक को पहली बार उस वक्त पढ़ा था जब में अपने देश में था, उस समय मुझे ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का अनुभव हुआ और मैंने उसे मुझे जन्म देने और इस जगत में काम करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद कहा ”
 
इसके बाद बर्लिन अकादमी ऑफ साइंस में 30 जून 1825 को भाषण देते हुए कहा कि उन्हें भगवद गीता , अपने पूर्वजों का आध्यात्मिक ज्ञान लगती है। मुझे इसकी निर्मलता और सरलता सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। कृष्ण ने अपने सिद्धांत को जिस खास अंदाज में पेश किया है, उसमें मैं अध्यात्म की जटिलता नहीं देखता हूं। इसलिए यह किताब लोगों को सोचने के लिए मजबूर करती है।
 
Aldous Huxley
एलडस हक्सले
 
एलडस हक्सले अंग्रेजी के लेखक और दार्शनिक थे। उन्होंने करीब 50 किताबें लिखी। वह एक शांतिवादी विचारक थे। उन्होंने दार्शनिक आध्यात्मवाद पर खास तौर से जोर दिया और उस पर काम किया। उनका प्रमुख काम पश्चिम और पूरब के आध्यात्म का अध्ययन कर उनमें मौजूद समानताओं की व्याख्या करना था। उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास “ब्रेव न्यू वर्ल्ड” था। इसके अलावा उन्होंने एक प्रसिद्ध उपन्यास “आईलैंड” भी लिखा। जिसमें उनके आदर्श और निरंकुश राज्य की परिकल्पना का दर्शन सामने आता है।
 
भगवद गीता के बारे में उन्होंने लिखा है कि “यह मानव के आध्यात्मिक विकास का सबसे व्यवस्थित कथन है” उनका गीता के बारे में यह भी कहना है गीता , दर्शन के सबसे स्पष्ट और व्यापक व्याख्याओं में से एक है इसलिए इसका महत्व केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए है।”
 

Hugh Jackman ह्यूग जैकमैन
 
हॉलीवुड सुपर स्टार ह्यूग जैकमैन हिंदू धर्म से काफी प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कई साक्षात्कार में कहा है कि उन्हें भारत का आध्यात्म आकर्षित करता है। वह उपनिषद, भगवद गीता को पढ़ते हैं। एक बार उन्होंने कहा कि जिन धार्मिक ग्रंथों के उपदेशों का हम पालन करते हैं वह पूरब और पश्चिम का मिश्रण है। चाहे सुकरात के हो या फिर उपनिषद और भगवद गीता। सभी में समानाता है। ह्यूग कहते हैं “मैं एक ऐसा कलाकार हूं, जो ईसाई के रूप में पैदा हुआ वह अपने सगाई में जब अंगूठी पहनता है तो वह श्लोक भी पढ़ता है।”
 
Philip Glass
फिलिप ग्लास
 
वह अकसर अपने काम के दौरान भगवद गीता का उल्लेख किया करते थे। उन्होंने सत्याग्रह शीर्ष से एक ओपेरा के लिए संगीत दिया। जो कि महात्मा गंधी के जीवन पर आधारित था। जिसमें भगवद गीता को संस्कृत में गाया गया।
 

Annie Besant 
एनी बेसेंट
 
एनी बेसेंट ब्रिटिश सामाजिक कार्यकर्ता थी और महिला अधिकारों के लिए सदैव आवाज उठाती थी। इसके अलावा वह एक लेखक, शिक्षाविद और प्रमुख वक्ता भी थी। वह मानव स्वतंत्रता की हिमायती थी। इसके अलावा वह आयरलैंड और भारत की स्वतंत्रता की समर्थक थी। उन्होंने करीब 300 से ज्यादा किताबें और पर्चे निकाले। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल थी। उन्होंने भगवद गीता का अनुवाद “द लॉर्ड सॉन्ग” के नाम से किया। उनके द्वारा अनुवादित की गई किताब का एक उदाहरण है: आध्यात्मिक व्यक्ति बनने के लिए जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति एकाकी जीवन बिताए। भगवद गीता हमें सिखाती है कि कैसे ईश्वर को सांसारिक जीवन में रहते हुए पाया जा सकता है। इसे पाने के लिए बाधाएं हमारे अंदर मौजूद हैं और हम उसे बाहरी जीवन में ढूढ़ते हैं।
 
 
 
ब्लूनेट इसेविट
 
ब्लूनेट तुर्की के प्रमुख राजनेता, कवि, लेखक और पत्रकार थे। वह 1974-2002 के बीच चार बार तुर्की के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर, टी.एस.इलियन और उमर तारिन के कृतियों का तुर्की भाषा में अनुवाद किया। ब्रिटिश टेलीविजन को 1974 में दिए गए साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया कि साइप्रस पर हमला करने के लिए फौज भेजने की हिम्मत उनके पास कहां से आई। तो उन्होंने कहा कि यह साहस उन्हें भगवद गीता से मिला। गीता हमें सिखाती है कि अगर आप नैतिक रूप से सही है, तो अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए हिचकना नहीं चाहिए। इसके अलावा उन्होंने बताया था कि जब वह ताकतवर इसमत इनोनु के खिलाफ 1972 में खड़े हुए थे, तो उस वक्त भी उन्हें गीता से ही ताकत मिली थी।
 
संदर्भ
शंकराचार्य : गीताभाष्य;
लोकमान्य तिलक : गीता रहस्य;
मधुसूदन ओझा : श्रीमद्भगवदगीतायाः विज्ञानभाष्यम, कांडचतुष्टयात्मकम
मोतीलाल शास्त्री: गीताभाष्य भूमिका;
गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी : गीता प्रवचन भाष्य।