परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों और लोक सभा सीटों का पुनर्निर्धारण कर दिया गया है। परिसीमन आयोग की ओर से कुछ संशोधनों के साथ मसौदे को सार्वजनिक करने के साथ ही जनता से आपत्तियां व सुझाव मांगे गए हैं। 21 मार्च तक आपत्तियां दाखिल करने के बाद आयोग इन पर विचार करेगा।
5 लोकसभा सीट वहीं 90 विधानसभा सीट होंगी
मसौदे के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 5 लोकसभा सीट होंगी, खास बात यह है कि यह सभी सीट सामान्य होंगी। इसके आलावा प्रदेश में 90 विधानसभा सीट होंगी, जिसमें एससी के लिए 07 और एसटी के लिए 09 सीट आरक्षित की गयीं हैं। जम्मू संभाग में जम्मू-रियासी और उधमपुर-डोडा निर्वाचन क्षेत्र होंगे जबकि कश्मीर संभाग में श्रीनगर-बडगाम और बारामूला-कुपवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र होंगे। अनंतनाग-पुंछ सीट दोनों संभागों का हिस्सा होगी। राजपत्र की प्रतियां मुख्य निर्वाचन अधिकारी, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश के सभी जिलों में चुनाव अधिकारियों के पास उपलब्ध हैं।
पांच लोकसभा सदस्य आयोग के सहयोगी सदस्य होंगे
आयोग ने इसमें जम्मू कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्यों को अपना सहयोगी सदस्य बनाया है। जिनमें जिनमें NC से तीन और अन्य दो सदस्य PMO में केंद्रीय राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर हैं। NC ने अपने असहमति नोट में आयोग के गठन को चुनौती दी है। NC का असहमति नोट पैनल द्वारा प्रस्तावित विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से भी संबंधित है।
6 मई तक है आयोग का कार्यकाल
उधमपुर जिले के रामनगर, कठुआ जिले के कठुआ दक्षिण, सांबा जिले के रामगढ़ सहित जम्मू क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी सात सीटें आती हैं। जम्मू जिले में बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़ और अखनूर। पैनल अब अपने प्रस्ताव को सार्वजनिक कर रहा है, कोई भी आपत्तियां दर्ज कर सकता है जिसे अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले आयोग द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जाना है। आयोग का कार्यकाल 6 मई तक है और संभावना है कि वह समय सीमा के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंप देगा।
6 मई, 2020 को हुआ था पैनल का गठन
पैनल का गठन 6 मई, 2020 को एक वर्ष के कार्यकाल के साथ किया गया था, जिसे 6 मई, 2021 को 1 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था। जबकि इसका कार्यकाल 6 मई, 2022 को समाप्त होने वाला था। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई आयोग की अध्यक्षता कर रही थीं। वहीं इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के.के. शर्मा भी शामिल थे।
POJK के अनतर्गत आने वाली 24 सीटें रहेंगी खाली
बता दें कि प्रस्तावित 90 विधानसभा सीटों के अलावा, जिन पर चुनाव होंगे उनमें से 24 सीटें खाली रहेंगी क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) के अंतर्गत आती हैं। पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर की विधानसभा सीटों को सात से बढ़ाकर 114 कर दिया था, जिनमें से 24 पीओजेके के लिए आरक्षित हैं जबकि चुनाव 90 सीटों के लिए होंगे।
1994-95 में राष्ट्रपति शासन के दौरान हुआ था आखिरी परिसीमन
सदन में दो महिला विधायक मनोनीत होंगी, जो पहले भी थी। पिछली विधानसभा में कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में चार सीटें थीं। विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन आखिरी बार 1994-95 में राष्ट्रपति शासन के दौरान हुआ था, जब तत्कालीन राज्य विधानसभा की सीटों को 76 से बढ़ाकर 87 कर दिया गया था। परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट के बाद, जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बाद मतदाता सूची का सारांश संशोधन किया जाएगा।