सोमवार यानी 21 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में देश के कई दिग्गज हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। इन हस्तियों में शामिल एक ऐसे शख्स जिनका नाम स्वामी शिवानंद है और इनकी उम्र 125 वर्ष है। आज हर तरफ स्वामी शिवानंद के उम्र की चर्चा हो रही है। ऐसे में हम आपको इस आर्टिकल में स्वामी शिवानंद के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराएंगे।
सिलेट जिले के हरिपुर गाँव में हुआ था जन्म
स्वामी शिवानंद का जन्म 08 अगस्त 1896 को सिलेट जिले के हरिपुर गाँव में हुआ था (जो अब पड़ोसी देश बांग्लादेश) का हिस्सा है। स्वामी शिवानंद ने 6 वर्ष से भी कम उम्र में अपने माता-पिता और बहन को खो दिया था। जानकारी के मुताबिक शिवानंद ने ब्रह्मचर्य का रास्ता चुनने का मन बना लिया था। स्वामी शिवानंद के इस फैसले के चलते उनके रिश्तेदारों ने उन्हें पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में एक आध्यात्मिक गुरु के आश्रम ले आए। गुरु ओंकारानंद गोस्वामी ने उनका पालन-पोषण किया, स्कूली शिक्षा के बिना योग सहित सभी व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की।
3 दशकों से भी ज्यादा समय से काशी में कर रहे हैं जीवन व्यतीत
स्वामी शिवानंद ने अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण की भलाई के प्रति समर्पित कर दिया है। फिलहाल स्वामी शिवानंद 3 दशकों से भी ज्यादा समय से पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी (वाराणसी) में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वह काशी के घाट पर योगाभ्यास करते हैं और लोगों को योग के लिए प्रशिक्षित भी करते हैं।
स्वामी शिवानंद कई देशों की कर चुके हैं यात्रा
स्वामी शिवानंद कई देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। इनमें अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस आदि देश शामिल हैं। स्वामी शिवानंद का कहना है कि ‘दुनिया मेरा घर है, और यहां रहने वाले लोग मेरे माता-पिता हैं। उनसे प्यार करना और उनकी सेवा करना मेरा धर्म है।'
स्वामी शिवानंद अपने दिनचर्या को लेकर बेहद ही गंभीर हैं। वह सुबह 3 बजे ही उठ जाते हैं और एक अविचलित दिनचर्या का पालन करते हैं। नित्यक्रिया से निवृत होकर वह प्रतिदिन योग करते हैं तत्पश्चात श्रीमद भगवद्गीता का पाठ करते हैं। स्वामी शिवानंद का मानना है कि योग, प्राणायाम और घरेलू उपचार से इंसान हमेशा स्वस्थ रह सकता है। शायद यही कारण है कि आज स्वामी शिवानंद की उम्र 125 वर्ष है और उनके स्वस्थ और लंबे जीवन ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है।
50 वर्षों से कर रहे हैं कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा
काशी के कबीरनगर में रहने वाले स्वामी शिवानंद बेहद ही सादा जीवन जीते हैं, सादा भोजन करते हैं, निस्वार्थ सेवा भाव से दूसरों की सेवा करते हैं। मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए वह पिछले 50 वर्षों से कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं।
कई पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित
स्वामी शिवानंद को 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वह 21 जून, 2019 में विश्व योग दिवस पर एक योग प्रदर्शन में देश के सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी थे। इसके अलावा 30 नवंबर 2019 को समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें रेस्पेक्ट एज इंटरनेशनल द्वारा वसुंधरा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पद्म पुरस्कार विजेताओं पर राष्ट्रपति भवन के दस्तावेज़ के अनुसार, स्वामी आज तक देश के विभिन्न हिस्सों में – उत्तर-पूर्व भारत में, वाराणसी, पुरी, हरिद्वार, नवद्वीप आदि में वंचितों की सेवा कर रहे हैं।
विभिन्न विषयों पर लिखी हैं पुस्तकें
स्वामी शिवानंद ने योग, वेदांत और विभिन्न विषयों पर लिखी हैं 296 पुस्तकें स्वामी शिवानंद ने योग, वेदांत और विभिन्न विषयों पर 296 पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तकों ने सैद्धांतिक ज्ञान पर योग दर्शन के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर जोर दिया। प्रतिष्ठित सम्मान ने उन्हें देश के इतिहास में शायद सबसे उम्रदराज पद्म पुरस्कार विजेता बना दिया है।
सभागार में सम्मानित होने से पूर्व पीएम मोदी और राष्ट्रपति को किया साष्टांग प्रणाम
राष्ट्रपति भवन में समारोह के दौरान जब स्वामी शिवानंद जी का नाम लिया गया तो बेहद ही साधारण वेश भूषा में वो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साष्टांग नतमस्तक हुए जिसके तुरंत बाद पीएम मोदी ने भी उनकी तरफ झुक कर उन्हें प्रणाम किया। पीएम को प्रणाम करने के बाद स्वामी शिवानंद महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष भी साष्टांग होकर उन्हें प्रणाम किया। राष्ट्रपति ने आगे बढ़ कर उन्हें उठाया और अपने हाथों से उन्हें पद्म सम्मान प्रदान किया। ये वो समय था जब राष्ट्रपति भवन में बैठे सभी लोग इस दृश्य को देखकर न सिर्फ भावुक हो गए बल्कि पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
119 पद्म पुरस्कार प्रदान किया गया
कल राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान कुल 119 पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए। पुरस्कार विजेताओं की सूची में 7 पद्म विभूषण पुरस्कार, 16 पद्म भूषण और 102 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। 119 में से, कुल 29 विजेता महिलाएं हैं, 16 मरणोपरांत पुरस्कार विजेता हैं और एक ट्रांसजेंडर पुरस्कार विजेता है। सोमवार को कच्छ बाढ़ पीड़ितों के लिए क्लॉथ बैंक का आयोजन करने वाली 91 वर्षीय महिला, पोलियो सेलड़ने वाले 82 वर्षीय ऑर्थोपेडिक सर्जन और जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले के 33 वर्षीय मार्शल आर्टिस्ट को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
पृथ्वी का सबसे वृद्ध इंसान 179 साल है उम्र
दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 1857 में भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई देख चुका एक व्यक्ति पृथ्वी का सबसे वृद्ध इंसान है। 'गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' के मुताबिक महसता मुरासी नाम का व्यक्ति 179 साल का है। महसता मुरासी ने दावा किया है कि वह दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति हैं। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक मुरासी का जन्म 06 जनवरी 1835 को बैंग्लोर शहर में हुआ। मुरासी 1903 से वाराणसी शहर में रह रहे हैं जहां उन्होंने 1957 तक एक मोची काम किया। जब वह अपने काम से सेवानिवृत हुए तब उनकी उम्र 122 साल थी।
तस्वीर साभार - दैनिक जागरण
मेरी मौत मुझे भूल गई है
महसता मुरासी के मुताबिक मेरे पौत्र कुछ साल पहले मर चुके थे, मैं बहुत सालों से जिंदा हूं, मौत मुझे भूल गई है और अब शायद ही कोई उम्मीद बाकी है। इस चीज पर मुझे लगता है कि शायद मैं अमर हूं या फिर कुछ और। इसके जन्म प्रमाणपत्र और पहचान पत्र से तो यह जाहिर हो जाता है कि यह सही बोल रहे हैं लेकिन दुर्भाग्यवश कोई भी मेडिकल जांच उनके जन्म की पुष्टि नहीं कर पा रही है। वैसे इस वृद्ध इंसान के शरीर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो यह कह रहे हैं उसमें कहीं न कहीं सच्चाई तो जरूर है। बड़े-बड़े नाखून तथा बदन से निकलती पपड़ियां इनके उम्र को साफ तौर पर दर्शा रही है।