कांस्टेबल मंजूर अहमद के वीरता की कहानी, मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया गया सम्मानित
   05-मार्च-2022

Manzoor Ahmad - 5 March,2017
 
जम्मू कश्मीर पुलिस के ''कांस्टेबल मंजूर अहमद नाइक'' के वीरता की कहानी वाकई में अनुकरणीय है। मंजूर अहमद की वीरता और साहस के चलते उन्हें ''शौर्य चक्र'' से सम्मानित किया गया था। उन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे सदियों तक याद किया जाता रहेगा। मंजूर अहमद जम्मू कश्मीर में बारामुला जिले के उड़ी के रहने वाले थे। 5 मार्च 2017 को पुलवामा जिले में त्राल के हफ्फू नगीनपोरा गांव में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में उनकी शहादत हो गई।
 
घटना वाले दिन मंजूर अहमद एक घर में छिपे आतंकियों को बाहर निकालने की कोशिश में लगे हुए थे। दूसरी तरफ भारी गोलीबारी हो रही थी। गोलीबारी के बीच ही मंजूर अहमद नाइक ने उस घर के चारों तरफ विस्फोटक रख दिया जिस घर में आतंकी छिपे हुए थे। विस्फोटक रख कर जब वह घर से बाहर निकल रहे थे तभी आतंकियों ने मंजूर पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी।
 
घायल होने के बाद भी घर के बाकी बचे हिस्सों को बम से उड़ाया
 
हालांकि उस गोलीबारी से बचते हुए वो किसी तरह से सुरक्षित बाहर निकल आए। मंजूर अहमद जैसे ही बाहर आए उस घर के कुछ हिस्सों में जोरदार धमाका हुआ और घर का आधा हिस्सा ध्वस्त हो गया। करीब 2 घंटे बाद घर के बाकि हिस्सों को उड़ाने के लिए जैसे ही कांस्टेबल मंजूर अहमद आगे बढ़े तभी वो आतंकियों की गोली के शिकार हो गए। हालांकि घायल होने के बाद भी अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए घर के भीतर पहुंचे और विस्फोटक से घर के बचे हुए हिस्सों को भी उड़ा दिया।
 
 
तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है शौर्य चक्र
 
सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच इस मुठभेड़ में 'हिजबुल मुजाहिदीन' के 2 आतंकी मारे गए थे और उनके पास से भारी मात्रा में हथियार व विस्फोटक पदार्थ भी बरामद हुआ था। मंजूर के इसी अनुकरणीय साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद ''शौर्य चक्र'' तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है।