रूस यूक्रेन में जारी गतिरोध के बीच भारत को रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की दूसरी खेप मिली है। मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पहली खेप भारत को नवंबर 2021 में प्राप्त हुई थी। अक्टूबर 2023 तक कुल 5 S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी होनी है। देश की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को और बेहतर व ताकतवर बनाने की दिशा में और पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए भारत को एस-400 की बहुत जरूरत थी।
रूस से हुए इस सौदे का अमेरिका करता रहा है विरोध
हालांकि, अमेरिका इस सौदे का शुरुआत से विरोध कर रहा है। भारत को रूस से S 400 डिफेंस सिस्टम की दूसरी खेप ऐसे वक्त पर भेजी जा रही है जब यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है। लिहाजा युद्ध के दौरान भारत द्वारा अपनाए गए रुख को लेकर भी कई सवाल उठे हैं। हालांकि इस बात के कयास भी लगाए जा रहे थे कि अमेरिका भारत पर रूस से हथियार खरीदने पर CAATSA के तहत कार्रवाई भी कर सकता है। परंतु बावजूद इसके रूस से इस घातक एयर डिफेंस सिस्टम की दूसरी खेप की डिलीवरी हो रही है।
प्रतिबंधों की चिंता किए बगैर अपनी सुरक्षा करेगा भारत विदेश मंत्री एस जयशंकर
वहीं दूसरी तरफ प्रतिबंध लगाए जाने वाले बयान पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिका को सीधे शब्दों में चेतावनी दे दी है। उन्होंने अपने एक बयान में यह साफ कर दिया कि भारत प्रतिबंधों की चिंता किए बगैर अपनी सुरक्षा करेगा। भारत को अपनी सुरक्षा के लिए जो भी करना होगा वो किसी भी हालात में करेगा।
पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है पहला S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
भारत ने रूस के साथ अक्टूबर 2018 में S-400 की सप्लाई को लेकर डील की थी। रूस से इस मसौदे पर सहमती के बाद नवंबर 2021 में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पहली खेप भारत पहुंची थी। जिसके बाद प्राप्त हुई इस सिस्टम को पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया। यहां से यह घातक एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है।
40 हजार करोड़ की है पूरी डील
S-400 एक एयर डिफेंस सिस्टम है, यानी ये हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकता है। ये दुश्मन देशों के मिसाइल, ड्रोन, राकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को भी रोकने में कारगर है। इसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है और दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है। भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए में डील हुई थी।
दुनिया का सबसे मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्टम
दुनिया के सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम माने जाने वाले S-400 से हवा में भारत की ताकत अभेद्य हो जाएगी। ये सिस्टम 400 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन और एयरक्राफ्ट पर हवा में ही हमला कर सकता है।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की क्या है खासियत ?
1. S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है। यानी, रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
2. इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
3. ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
4. S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।
5. S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यानी, ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। साथ ही यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।
सर्विलांस रडार से दुश्मन की मिसाइल की तुरंत पहचान
इस डिफेंस सिस्टम में सर्विलांस रडार लगा होता है, जो अपने ऑपरेशनल एरिया के इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बना लेता है। जैसे ही इस घेरे में कोई मिसाइल या दूसरा वेपन एंटर करता है, रडार उसे डिटेक्ट कर लेता है और कमांड व्हीकल को अलर्ट भेज देता है। अलर्ट मिलते ही गाइडेंस रडार टारगेट की पोजिशन पता कर काउंटर अटैक के लिए मिसाइल लॉन्च करता है।
एक साथ 36 टारगेट पर निशाना लगाने में सक्षम
यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 टारगेट पर निशाना लगा सकता है। इन्हें ट्रकों पर जगह-जगह तैनात किया जाता है और एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। अमेरिका के पास भी इनके मुकाबले वाली कोई मिसाइल नहीं है।
ये रूस की बनाई S-200 मिसाइलों और S-300 मिसाइलों का चौथा और ज्यादा मारक वाला वर्जन है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक S-400 दुनिया में मौजूद सभी बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। इसमें लगा हुआ एडवांस रडार 400 किमी की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है और उसे नष्ट कर सकता है।