चलो जम्मू ; 8 मई को जम्मू में PoJK विस्थापित भरेंगे हुंकार, PoJK वापसी की उठेगी मांग
   27-अप्रैल-2022
 
PoJK Displaced ; Chalo Jammu
 
 
 
22 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू कश्मीर का भारत में अधिमिलन करने के फैसले से पहले ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और जम्मू कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया। इस हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (PoJK) से करीब 50 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हुए। 50 हजार परिवार यानी कि अनुमान के मुताबिक लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हुए जोकि जम्मू कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में बसे और इनमें से करीब 5300 परिवार ऐसे थे जो जम्मू कश्मीर में न बसकर देश के अन्य हिस्सों में बसे।
 
 जम्मू में 8 मई को  पुण्य भूमि स्मरण सभा का आयोजन
 
आज इतिहास के उस काले दिन को 75 साल का समय गुजर चुका है। हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से  जहां-वहां बिखरे हुए इन लोगों को एक मंच पर एकत्र करने, 1947 के दौर में अपना बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने व अपनी भूमि को नमन करने के लिए 8 मई को 'जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम' के तत्वाधान में जम्मू के गांधीनगर में 'पुण्य भूमि स्मरण सभा' का आयोजन किया जा रहा है।
 
 
PoJK विस्थापितों के लिए विशाल कार्यक्रम का किया जाएगा आयोजन 
 
'जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम' के प्रधान रमेश सभ्रवाल ने मीडिया को अवगत कराते हुए कहा कि 8 मई को PoJK विस्थापितों के लिए एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा ताकि उन दिनों को याद किया जा सके जिसके जख्म आज भी लोगों के दिलों में हरे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के रिफ्यूजी जो आज देश के विभिन्न हिस्सों में भी अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उन्हें जम्मू बुलाने के लिए न्यौते दिए जा रहे हैं।
 
कौन हैं पीओजेके विस्थापित परिवार ?
 
आज से 75 वर्ष पहले पाकिस्तानी सेना समर्थित कबाइलियों ने कुल्हाड़ियों, तलवारों और बंदूकों और हथियारों से लैस होकर जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था। जहां उन्होंने पुरुषों, बच्चों की हत्या कर दी और महिलाओं को अपना गुलाम बनाकर उनका कई दिनों तक बलात्कार किया था। 73 साल पहले हुई इस घटना को जम्मू-कश्मीर के लोग अभी तक नहीं भूले हैं। उस वक्त लाखों की तादाद में हिंदू व सिखों ने आज के पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर से पलायन किया था। पाकिस्तानी सैनिकों की मुजफ्फराबाद, केल, जोड़ा, चोहाला, मीरपुर, कोटली में की गई हैवानियत के भुक्तभोगियों की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर देगी। उस दर्द को जम्मू-कश्मीर के लोग आज भी नहीं भूलते हैं। 
 
इस नरसंहार के दौरान 50 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हुए
 
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित लोगों की पीढ़ियों ने, पूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य के अंदर और बाहर दोनों जगह, न केवल एक भयानक और कठिन जीवन का सामना किया है, बल्कि नियमित जीवन जीने में अनगिनत समस्याओं का भी सामना किया है।
 
बुजुर्गों की भयानक कहानियां न केवल युवा पीढ़ियों के मनोबल को बढ़ाने का काम करती हैं, बल्कि तब तक लड़ने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में भी काम करती हैं। पाकिस्तान के इस हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से करीब 50 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हुए। जोकि जम्मू कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में बसे, इनमें से करीब 5300 परिवार जम्मू कश्मीर में न बसकर देश के अन्य हिस्सों में बसे।
 
5300 परिवारों को 75 वर्षों तक अपने अधिकारों के लिए करना पड़ा है लंबा संघर्ष 
 
इन 5300 परिवारों को 75 वर्षों तक अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। न तो उनको जम्मू कश्मीर में पीआरसी मिला, न ही कोई मुवाअजा। 1971 में जम्मू कश्मीर सरकार ने विस्थापित परिवारों के लिए 'द जम्मू कश्मीर डिस्पलेस्ड पर्सन्स' (परमानेंट रीसेटलमेंट) एक्ट 1971 बनाया। इसके बाद 1978 में Rajya Sabha Committee on Petitions (Persons Uprooted From Pak Occupied areas of J&K State), इसके बाद 2013 में बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी की अध्यक्षता में सब-कमेटी बनी।
 
मोदी सरकार में 36, 384 विस्थापित परिवारों को मिला मुआवजा 
 
पार्लियामेंट्री कमेटी की सिफारिशों के बावजूद इन परिवारों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली। लेकिन 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद पीओजेके स्थापितों को फिर से उम्मीद जगी। जिसको 2016 में मोदी सरकार ने पूरा किया। लेकिन उस वक्त भी 36, 384 परिवारों को ही मुआवजा मिला। इसमें भी 5300 परिवार बचे रहे। इनमें से कुछ लोग हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे देश के ने हिस्सों में अपना जीवन यापन करने लगे।
 
1994 को देश की संसद में प्रस्ताव पारित
 
आपको बता दें कि नरसिम्हा राव सरकार के दौरान 22 फरवरी 1994 को देश की संसद में प्रस्ताव पारित कर कहा गया था पीओजेके जम्मू कश्मीर और भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान ने हिस्से पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। लिहाजा पाकिस्तान को ये हिस्सा खाली करना होगा। हालांकि बावजूद इसके पाकिस्तान ने उस हिस्से को नहीं छोड़ा। लिहाजा एक बार फिर जम्मू में 8 मई को हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से जहां-वहां बिखरे हुए इन लोगों को एक मंच पर एकत्र करने, 1947 के दौर में अपना बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने व अपनी भूमि को नमन करने के लिए 'जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम' द्वारा 'पुण्य भूमि स्मरण सभा' का आयोजन किया जा रहा है।