पाकिस्तान : 75 वर्षों के इतिहास में बनें 22 प्रधानमंत्री, किसी ने पूरा नहीं किया 5 वर्षों का कार्यकाल
पड़ोसी देश पाकिस्तान में इन दिनों सियासी संकट का माहौल बना हुआ। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास में जुटे हुए हैं। हालांकि पाकिस्तान में यह सब कुछ कोई नया या पहली बार नहीं है जब कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया हो।
पाकिस्तान के 75 वर्षों के इतिहास में हुए 22 प्रधानमंत्री किसी ने पूरा नहीं किया कार्यकाल
पाकिस्तान का इतिहास ही ऐसा रहा है कि आजादी के बाद से अब तक के उसके कुल 22 प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन कोई भी प्रधानमंत्री 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। आखिर क्या रहा है पाकिस्तान की सियासत का इतिहास ? आखिर क्यों कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है ? लिहाजा इस कड़ी में जिक्र होगा पाकिस्तान में हुए अब तक के कुल 22 प्रधानमंत्रियों का, जिन्हें वक्त से पहले अपने पद से रुखसत होना पड़ा है या फिर उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
1. देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान अलग मुल्क बना तो उस मुल्क के पहले प्रधानमंत्री बने लियाकत अली खान। मुहम्मद अली जिन्ना के बाद लियाकत अली खान मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता थे। लियाकत अली खान 15 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने।
सत्ता संभालने के साथ ही उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिशें भी शुरू हो गईं थीं। 15 अगस्त 1947 को लियाकत खान ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली लेकिन वह मात्र 4 वर्षों तक ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। रावलपिंडी में 16 अक्टूबर 1951 को एक जनसभा को संबोधित करते वक्त उन्हें गोली मार दी गई।
2. लियाकत अली खान की मौत के बाद ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री बने। हत्या के एक दिन बाद यानी 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन ने पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
जिसके मात्र 2 साल के भीतर ही पाकिस्तान के तात्कालीन गवर्नर जनरल जनरल गुलाम मोहम्मद ने नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। जब वह नहीं मानें तो नजीमुद्दीन को गवर्नर जनरल ने पीएम पद से 17 अप्रैल 1953 को हटा दिया।
3. ख्वाजा नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री पद से हटाये जाने के बाद मुहम्मद अली बोगरा को पाकिस्तान के गवर्नर जनरल द्वारा 17 अप्रैल 1953 को पाकिस्तान के तीसरे प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त किया। हालांकि इन्हें भी 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया। 12 अगस्त 1955 को कार्यवाहक गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्जा द्वारा हटा दिया गया। कुल मिलाकर उन्होंने भी अपना 2 वर्षों से कम का भी कार्यकाल ही पूरा किया।
4. मुहम्मद अली बोगरा के हटाये जाने के बाद से चौधरी मुहम्मद अली को 12 अगस्त 1955 को गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने चौधरी मुहम्मद अली को पाकिस्तान का चौथा प्रधानमंत्री नामित किया था। चौधरी मुहम्मद ने 12 सितंबर 1956 को पाकिस्तान के तानाशाह जनरल अयूब खान के खिलाफ आवाज उठाई थी।
जिसके कारण उनके खिलाफ उनकी ही पार्टी के सांसदों ने आवाज उठानी शुरू कर दी जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ गया। माना जाता है कि इसमें भी उस वक्त के तत्कालीन गवर्नर जनरल का हाथ था।
5. चौधरी मुहम्मद अली को पीएम पद से हटाये जाने के बाद से हुसैन शहीद सुहरावर्दी ने 12 सितंबर 1956 को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री पद संभाला। पर ये भी ज्यादा दिनों तक टिक न सके और इस्कंदर मिर्जा के साथ हुए मतभेदों के कारण 17 अक्टूबर 1957 को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ गया।
6. हुसैन शहीद सुहरावर्दी के पीएम पद से इस्तीफ़ा देने के बाद से इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर को 17 अक्टूबर 1957 को 6वें प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। लेकिन उनका शासन भी केवल दो महीने तक ही चला।
7. फ़िरोज़ खान नून को 17 दिसंबर, 1957 को इस्कंदर मिर्ज़ा द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया था। लेकिन, 7 अक्टूबर, 1958 को नून को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया, जब जनरल अयूब खान ने पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू कर दिया था।
पाकिस्तान में 1948 से लेकर 1958 के बीच 7 प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसत निकाला जाए तो 1 प्रधानमंत्री का कार्यकाल 1 साल 5 महीने के करीब रहा। लगातार हुए सियासी तख्तापलट के बाद पाकिस्तान में 1958 से 1971 तक सैन्य शासन लागू कर दिया गया।
8. अयूब खान के 13 साल के मार्शल लॉ के बाद तानाशाह याह्या खान के प्रशासन में नूरुल अमीन को प्रधान मंत्री बनाया गया। पदभार ग्रहण करने के 13 दिनों के भीतर ही 20 दिसंबर 1971 को अमीन को बर्खास्त कर दिया गया।
9. 14 अगस्त 1973 को जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1977 में फिर से आम चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन सैन्य तानाशाह जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक ने उन्हें कैद कर लिया। बाद में जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में फांसी दे दी गई थी।
10. मुहम्मद खान जुनेजो को 23 मार्च 1985 को सैन्य तानाशाही के शासन के तहत प्रधानमंत्री चुना गया था। हालांकि, 29 मई, 1988 को जुनेजो की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था।
11. बेनज़ीर भुट्टो को 1988 में पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में और जनरल ज़िया-उल-हक द्वारा पाकिस्तान में वर्षों के सैन्य शासन के बाद चुना गया था। उनकी पार्टी 1989 में महाभियोग से बच गई। हालांकि, उनकी सरकार सत्ता बरकरार नहीं रख सकी और 6 अगस्त 1990 को राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने उनसे इस्तीफा ले लिया।
12. 1990 में नवाज शरीफ पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने 1993 में एक निर्वाचित सरकार को फिर से बर्खास्त कर दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ की सरकार फिर से बहाल कर दिया। लेकिन, सेना के तत्कालीन प्रमुख वहीद काकर ने नवाज शरीफ और गुलाम इशाक खान को 18 जुलाई, 1993 को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया।
13. बेनज़ीर भुट्टो साल 1993 में फिर से पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं, क्योंकि राष्ट्रपति फारूक लेघारी ने नवंबर 1996 में उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
14. साल 1997 में पाकिस्तान में हुए चुनाव के बाद नवाज शरीफ फिर से प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे, लेकिन अपने पूर्ववर्ती की तरह अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रहे और 12 अक्टूबर 1999 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया और नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया।
15. जनरल परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में जफरुल्ला खान जमाली पहले प्रधानमंत्री थे। लेकिन मुशर्रफ द्वारा बर्खास्त किए जाने से पहले उन्होंने केवल 19 महीने ही प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए काम किया।
16. जफरुल्ला खान जमाली के सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से चौधरी शुजात 30 जून 2004 को संसद में एक चुनाव के माध्यम से प्रधानमंत्री बने। शुजात ने केवल तब तक काम किया, जब तक शौकत अजीज को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं चुना जा सका।
17. शौकत अजीज को 28 अगस्त 2004 को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपना संसद कार्यकाल पूरा करने के बाद 15 नवंबर, 2007 को पद छोड़ दिया।
18. यूसुफ रज़ा गिलानी 2008 में आम चुनाव के बाद 18 वें प्रधानमंत्री बने, जिसमें उनकी पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने राष्ट्रीय विधानसभा में बहुमत हासिल किया।
19. पीपीपी सरकार के शेष कार्यकाल को पूरा करने के लिए राजा परवेज अशरफ ने गिलानी से प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने 22 जून, 2012 से 24 मार्च, 2013 तक कार्यालय का कार्यभार संभाला।
20. नवाज़ शरीफ़ जून 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में वापस आए थे। उन्होंने पाकिस्तान में पिछले सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना में कार्यालय में अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया है।
28 जुलाई, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाभियोग चलाने से पहले वह चार साल 53 दिनों तक सत्ता में रहे।
21. नवाज शरीफ को पद से हटाए जाने के बाद शाहिद खाकान अब्बासी को 21वें प्रधानमंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था। उन्होंने अगस्त 2017 में पदभार ग्रहण किया था। हालांकि, उनका कार्यकाल 31 मई, 2018 को समाप्त हो गया, क्योंकि राष्ट्रीय विधानसभा को नए सिरे से चुनाव कराने के लिए भंग कर दिया गया था।
22. प्रधानमंत्री इमरान खान 18 अगस्त, 2018 को चुने गए थे, और उनका कार्यकाल 2023 में समाप्त होने की उम्मीद है। लेकिन, उनके खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है।
और माना जा रहा है, कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ेगा और इमरान खान भी पूरे पांच सालों तक पाकिस्तान का प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड कामय नहीं कर सके।
आर्मी का रहा है पाकिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा
एक अलग राष्ट्र के रूप में सामने आने के बाद से ही पाकिस्तान में कई बार आर्मी सत्ता अपने हाथों में ले चुकी है। 75 वर्षों के इतिहास में दशकों तक पाकिस्तान में आर्मी सत्ता का केंद्र रही है।
पाकिस्तान में 1958 से 1971 तक सैन्य शासन रहा, 1977 से 1988 तक और 1999 से 2008 तक पाकिस्तान में लोकतंत्र को कुचलकर आर्मी सत्ता में रही। इसके अलावा भी 1951, 1980 और 1995 में भी पाकिस्तानी सेना ने सत्ता हथियाने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रही। सिर्फ इतना ही नहीं 1953-54 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी एक बार संवैधानिक तख्तापलट कर चुके हैं।