J&K: वन विभाग की ज़मीन क़ब्ज़ा करने वालों की लिस्ट जारी; कई बड़े नेताओं के नाम शामिल, 76% मुस्लिम
   05-अप्रैल-2022

Encroachers List Forest department J&K
 
 
शहर से लगते करनैल चक्क में राजस्व विभाग की जमीन पर बने पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन के बंगले को गिराए जाने के बाद अब वन विभाग भी ऐसी ही कार्रवाई करने जा रहा है। वन विभाग ने जम्मू संभाग के अंतर्गत आने वाले जिलों के कुल 996 वन भूमि अतिक्रमणकारियों की सूची तैयार कर ली है। अब जल्द ही जारी किए गए सूचि के आधार पर एक-एक कर वन विभाग भी अपनी जमीन खाली करवाएगा।
 
इन क्षेत्रों में है अवैध कब्ज़ा  
 
वन विभाग की सूची के मुताबिक , सुजवां, चौआदी, भठिडी, चाटा, बाहू, रैका, जटकी, दवारा, सिद्दड़ा, बजालता, परगालता, पलौड़ा, रूप नगर, चिन्नौर के अलावा अखनूर, पगरवाल आदि इलाकों में अतिक्रमणकारियों ने विभाग की लगभग 12,510 कनाल वन भूमि पर कब्जा जमा रखा है। इन अतिक्रमणकारियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अकेले ही भठिडी, सुंजवां आदि शहर से लगते क्षेत्रों में ही 50 से 150 कनाल वन भूमि पर कब्जा जमाया है।
 
कनाल भूमि की कीमत करोड़ों रूपये
 
खास बात यह है कि इन क्षेत्रों में एक कनाल भूमि की कीमत करोड़ों रूपये में हैं। लिहाजा वन विभाग ने इन भूमि का सर्वे कर एक रिकार्ड तैयार कर लिया है। अतिक्रमण किए गए भूमि पर कहीं कच्चा निर्माण हुआ है तो कहीं बड़े बंगले भी बन चुके हैं। इसके अलावा कुछ जगहों पर खेतीबाड़ी के नाम पर भी भारी संख्या में जमीनें कब्जाई गई हैं।
 
मिलीभगत कर बनवाये भूमि के अवैध दस्तावेज
 
इसके अलावा जानकारी के मुताबिक कुछ जगहों पर तो भूमि अतिक्रमणकारियों ने तो राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर भूमि के अवैध दस्तावेज भी बना लिए हैं। जबकि इस मामले में वन विभाग का रिकार्ड कुछ और ही कह रहा है। वहीं इस बारे वन विभाग के आयुक्त सचिव संजीव वर्मा का कहना है कि विभाग ने पिछले कुछ समय में अपनी काफी भूमि अतिक्रमणकारियों से छ़ुड़वाई है। वन विभाग अपनी एक इंच भूमि पर भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में नहीं रहने देगा।
 
सबसे ज्यादा अवैध कब्जा मुस्लिम आबादी का
 
फिलहाल विभाग द्वारा भूमि अतिक्रमणकारियों की जो सूचि जारी की गई है उनमें सबसे बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं। जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल अतिक्रमणकर्ताओं की जो संख्या है वो 996 है।
 
इनमें मुसलमान : 752 (यानी कुल संख्या का 76%)

गैर मुस्लिम: 244 ( यानी 24% भूमि अतिक्रमणकारी) हैं।
 
आपको यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन जम्मू जिले की केवल 7% मुस्लिम आबादी ने ही इसे अतिक्रमणकारियों की सूची में 76 फीसदी तक पहुंचाया है। अतिक्रमण की गई वन भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सभी तरह से अतिक्रमण को खाली कराए जाने को लेकर अपनी कमर कस ली है।
 
वन विभाग द्वारा जारी सभी लिस्ट को देखने के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 
 
 
 
अवैध कब्जा करने वाले मामले में शेख अब्दुल्ला का भाई भी शामिल
 
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह एक अतिक्रमण विरोधी अभियान में, जम्मू जिला प्रशासन ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राज्य मंत्री ताज मोहिउद्दीन सहित राजनेताओं से 260 कनाल से अधिक अतिक्रमित भूमि को खाली कराया था। सिर्फ इतना ही नहीं वन भूमि के अतिक्रमणकारियों की सूची में जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और शेख अब्दुल्ला के भाई मुस्तफा कमाल शामिल हैं।
 
अवैध कब्जे वाले जमीन पर गुपकार गैंग के नेताओं ने बनाया बंगला
 
जम्‍मू कश्‍मीर के नेताओं ने अपने फायदे के लिए एक्‍ट बनाए और उनके माध्‍यम से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्‍जा किया। इतना ही नहीं अवैध तरीके से किए गए कब्जे वाले जमीन पर आलीशान बंगले भी बनवाए। रोशनी एक्ट की आड़ में पूर्वर्ती तमाम राजनेताओं और नौकरशाहों ने इस बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर अपना कब्जा कर लिया था।
 
9 अक्टूबर 2020 को कोर्ट ने रोशनी एक्ट को कर दिया निरस्त
 
हालांकि इस मामले में सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने 9 अक्टूबर, 2020 को दिए गए अपने ऐतिहासिक निर्णय में जम्मू-कश्मीर के न केवल रोशनी एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए निरस्त कर दिया, बल्कि देश के इस सबसे बड़े भूमि घोटाले और जम्मू संभाग के इस्लामीकरण की जिहादी साजिश की जांच CBI को भी सौंप दी।
 
रोशनी एक्ट के तहत कब्जा करने वालों को मामूली कीमतों पर दिया जाता था कब्जा
 
वर्ष 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार द्वारा पारित किए गए 'द जम्मू-कश्मीर स्टेट लैंड्स' (वेस्टिंग ऑफ ऑनरशिप टू द ओक्युपेंट्स) एक्ट-2001 के तहत राज्य सरकार ने मामूली कीमतें तय करते हुए सरकारी भूमि का अतिक्रमण करने वाले लोगों को ही उस भूमि का कानूनी कब्जा देने का प्रावधान कर दिया।
 
सबसे पहले तो 1990 तक के अवैध कब्जों को वैधता देने की बात हुई। फिर बाद की मुफ्ती मोहम्मद सईद और गुलाम नबी आजाद की सरकारों ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस तिथि को आगे बढ़ाते हुए 2004 और 2007 तक के अवैध कब्जों को भी वैधता प्रदान कर दी।
 
रोशनी एक्ट क्यों पड़ा नाम ?
 
इस कानून को रोशनी एक्ट इसलिए कहा गया, क्योंकि इससे अर्जित किए गए धन से राज्य में पानी, बिजली परियोजनाएं लगाकर विद्युतीकरण करते हुए राज्य में रोशनी फैलाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन राजनेताओं द्वारा काम ठीक इसके उलट किया गया। इस एक्ट की आड़ में न सिर्फ सरकारी जमीन की बंदरबांट और संगठित लूट-खसोट हुई, बल्कि जम्मू संभाग के जनसांख्यिकीय परिवर्तन की सुनियोजित साजिश भी हुई। इस एक्ट के लाभार्थियों की सूची देखने से पता चलता है कि यह जम्मू संभाग के इस्लामीकरण का सरकारी षड्यंत्र भी था।
 
अवैध कब्जे वाले जमीन का रोहिंग्या भी ले रहे हैं लाभ 
 
उदाहरण स्वरूप जम्मू के उपायुक्त द्वारा उस वक्त न्यायालय में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के अनुसार तवी नदी के कछार में अतिक्रमण करने वाले 668 लोगों में से 667 मुस्लिम समुदाय से थे। जम्मू शहर की सीमावर्ती वनभूमि पर बसाई गई भटिंडी नामक कॉलोनी इसकी एक और उदाहरण थी। हजारों की संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए भी इसके लाभार्थी रहे हैं।
 
यह धर्म-विशेष के लोगों को लाभ पहुंचाकर, विशेष रूप से जम्मू संभाग में उनके वोट बनवाकर और बढ़वाकर लोकतंत्र के अपहरण और अपनी सत्ता के स्थायीकरण की बड़ी सुनियोजित और संगठित कोशिश थी। अगर कहा जाए कि रोशनी एक्ट वास्तव में भ्रष्टाचार और जिहादी एजेंडे के कॉकटेल की एक बेमिसाल नजीर है तो कदापि गलत नहीं होगा।
 
रोशनी एक्ट गुपकार गैंग के कारनामों की बानगी
 
रोशनी एक्ट तो गुपकार गैंग के कारनामों की बानगी भर है। अभी ऐसे ना जाने कितने कच्चे चिट्ठे खुलने बाकी हैं जो इनकी हकीकत से परिचित कराएगा। रोशनी एक्ट वाली जांच में तो मात्र साढ़े 3 लाख कैनाल भूमि की लूट का ही हिसाब-किताब हुआ है, बल्कि जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि इस भूमि को लुटाने से कितनी कमाई हुई, उससे कितने पावर प्रोजेक्ट लगे और कितने गांवों का विद्युतीकरण कराया गया ?
 
इसके अलावा बात करें वर्ष 2014 के आंकड़ों की तो उन आंकड़ों के अनुसार तकरीबन साढ़े 17 लाख कैनाल वन भूमि, नदी भूमि और अन्य भूमि पर धर्म विशेष के लोगों ने और रसूखदार नेता व नौकरशाहों ने अतिक्रमण कर रखा है।