20 जून 1999 : कारगिल युद्ध की दास्तां ; जब प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराकर वीर जवानों ने फहराया था तिरंगा
   20-जून-2022
 
20 June 1999
 
26 जुलाई को कारगिल युद्ध को 23 साल पूरे हो जाएंगे। वर्ष 1999 में मई, जून और जुलाई के महीने में जब लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठे थे, तब मां भारती के वीर जवान 'ऑपरेशन विजय' को अंजाम देने में लगे हुए थे। इस पूरे ऑपरेशन में भारत के 527 जवान बलिदान हुए थे और 363 जवान घायल हुए थे। जबकि इस युद्ध में घुसपैठिए पाकिस्तानी सेना को हार का सामना करते हुए मुंह की खानी पड़ी थी।
 
प्वाइंट 5140 मुक्त कराने की जिम्मेदारी कैप्टन विक्रम बत्रा को सौंपी गई
 
कारगिल युद्ध के दौर को आज जब हम याद करते हैं तो उसमें आज का दिन बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाता है। दरअसल आज ही के दिन प्रातः 3:30 पर भारतीय सेना ने अपने जोश, पराक्रम और वीरता का परिचय देते हुए द्रास सेक्टर में तोलोलिंग की दुर्गम चोटी प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना से मुक्त करा कर तिरंगा फहराया था। इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी सेना ने भारतीय सेना के वीर जाबांज सिपाही कारगिल वॉर के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा को सौंपी थी।
 
आदेश मिलते ही कैप्टन विक्रम बत्रा अपने साथियों के साथ प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराने के लिए ऊंची दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ाई शुरू कर दी। इस दौरान ऊंचाई पर बैठी पाकिस्तानी सेना लगातार गोलीबारी कर रही थी। किंतु जीत का जज्बा लिए कैप्टन बत्रा और उनकी टीम निडरता से आगे बढ़ती जा रही थी। इस बीच कैप्टन की टीम ने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।
 
प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराया
 
आखिरकार वो वक्त आया जब कैप्टन बत्रा और उनकी टीम ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए प्वाइंट 5140 को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराया और साथियों के साथ 5140 चोटी पर खड़े हो कर कैप्टन विक्रम बत्रा ने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल Y.K जोशी को रेडियो से संदेश भेजा। अपने संदेश में कैप्टन बत्रा ने कहा, ''ये दिल मांगे मोर'। कैप्टन बत्रा का साफ संदेश था कि उनकी टीम ने प्वाइंट 5140 को मुक्त करा लिया है और वहां तिरंगा फहरा दिया है अब उन्हें आगे की चढ़ाई कर दुश्मनों से प्वाइंट 4875 को मुक्त कराना था।
 
 
 
डेल्टा कंपनी ने 13 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को किया था ढेर 
 
 
कैप्टन विक्रम बत्रा की डेल्टा कंपनी ने इस दौरान 13 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था इनमें से कई पाक सैनिक जान बचाकर भाग निकले थे। कैप्टन बत्रा ने अपनी जीत के बारे में कहा था कि 'हमारे लड़के इतने जोश में थे कि उनका एक ही मकसद था पॉइंट 5140 को कैप्चर करना'। पॉइंट 5140 से कैप्टन बत्रा की डेल्टा कंपनी ने 13 पाकिस्तानी सैनिकों को मार कर भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किए थे।
 
जिनमें हैवी मशीन गन भी शामिल थी। जैसे ही पाकिस्तानी सैनियों को पता चला कि पॉइंट 5140 पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया है, बचे हुए सैनिक सबकुछ छोड़कर भाग निगले। इस लड़ाई में एक बीच ऐसा भी आया जब कैप्टन विक्रम बत्रा ने हैंड-टू-हैंड फाइट में 4 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और प्वाइंट 5140 पर कब्जा किया। इसके बाद रेडियो पर जीत का कोड बोला- यह दिल मांगे मोर।
 
5140 के बाद  शुरू हुआ मिशन प्वाइंट 4875
 
प्वाइंट 5140 के बाद आर्मी ने प्वाइंट 4875 को भी कब्जे में लेने का मिशन शुरू कर दिया। कैप्टन बत्रा को इसकी जिम्मेदारी दी गई। जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैय्यर के साथ कैप्टन बत्रा ने 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।
 
7 जुलाई 1999 को मिशन पूरा होने ही वाला था कि उनके जूनियर ऑफिसर लेफ्टिनेंट नवीन के पास एक विस्फोट हुआ। इसमें नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। कैप्टन बत्रा नवीन को बचाने के लिए पीछे घसीटने लगे, तभी उनकी छाती में गोली लगी और 7 जुलाई 1999 को भारत का यह शेर बलिदान हो गया।
 
कारगिल युद्ध में मां भारती की सेवा और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी वीर बलिदानी को हमारा नमन।