22 जुलाई 1999 : कारगिल युद्ध के महानायक लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार की शौर्यगाथा
    22-जुलाई-2022
 
Lt. Praveen Kumar
 
 
22 जुलाई, 1999 : कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान, 14 वीं सिख बटालियन के घातक प्लाटून कमांडर लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार बराक को 23 जुलाई की सुबह तक बटालिक सेक्टर में सर्वोच्च विशेषता वाले प्वाइंट 5310 को पाक सैनिकों से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार ने अपनी बटालियन का नेतृत्व करते हुए मिशन को पूरा करने के लिए अपनी प्लाटून को 3 हिस्सों में बांट दिया। दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करने से पहले मार्गों की विस्तृत टोह लेने के बाद, 22 जुलाई की रात 9 बजे, लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार ने अपनी पलटन के साथ, प्वाइंट 5310 के लिए मार्च शुरू किया।
 
 
उधर दूसरी तरफ ऊंचाई पर बैठे पाक सैनिक भारतीय सेना की टुकड़ियों को आगे बढ़ता देख वे ऊंचाई वाली पोस्ट से गोले दागने लगते। दुश्मन की संख्या कम होने के बावजूद ऊंचाई वाले इस मोर्चे को वापस हासिल करना बेहद मुश्किल था। लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार के नेतृत्व में घातक प्लाटून इस बेहद मुश्किल मोर्चे को हासिल करने में जुट गई। प्वाइंट 5310 के लिए घातक प्लाटून ने 3 टुकड़ियों की रणनीति से काम लिया। लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार ने 300 मीटर ऊंची बर्फ की दीवार पर चढ़ने के लिए 250 मीटर ऊंचाई पर रस्सी लगाने का कारनामा कर दिखाया। इसके बाद रस्सी के सहारे ये दल ऊपर तक पहुंचने में कामयाब हो गया।
 
 
इसके बाद धीरे धीरे दूसरी टुकड़ी भी अपने लक्ष्य बिंदु तक पहुंच गई। तीसरी टुकड़ी चूंकि ऊपर चढ़ने में नाकाम रही लिहाजा उसे आधार स्थल की ओर डायवर्ट कर दिया गया। दुश्मन के मोर्चे पर पहुंचकर लेफ्टिनेंट प्रवीण की टीम ने अचानक पाक सैनिकों पर हमला बोल दिया। इस हमले में प्रवीण कुमार द्वारा बनाई गई रणनीति से 15 दुश्मनाें को ढेर कर दिया गया। प्रवीण कुमार की प्लाटून ने प्वाइंट 5310 पर बने दुश्मनों के ईंधन और आयुध भंडार को तबाह कर दिया गया।
 
 
इसके अलावा हमले में 15 पाक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने में प्रवीण कुमार के युद्ध कौशल को इसलिए भी खास माना गया क्योंकि भारतीय सेना ने बिना किसी जवान की जान गंवाए ही ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया। लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए वीरचक्र से सम्मानित किया गया।