जम्मू कश्मीर में PM मोदी के मास्टरस्ट्रोक ; पिछले 8 वर्षों में विकास की नई कहानी लिख रहा जम्मू-कश्मीर
   17-सितंबर-2022
 

PM Modi Master Stroke
 
 
पिछले 8 वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर विकास की उंचाईयों पर तेजी से बढ़ रहा है। इस सिर्फ सरकारी कागजों पर नहीं बल्कि धरातल पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। एक वक्त में सड़क, बिजली, पानी के साथ ही अन्य सभी बुनियादी सुविधाओं से दूर जम्मू-कश्मीर वासियों के लिए 2014 से ही केंद्र की मोदी सरकार बेहद संवेदनशील रही है। बीते इन 8 वर्षों में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बहाने के लिए उसे विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए तमाम प्रयास किए। पर अधिकांश प्रयास जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 और 35A के कारण धरातल पर उसे उतारना और लागू करना मुमकिन नहीं था।
 
परंतु 2019 में अनुच्छेद 370 निषेध होने के बाद केंद्र सरकार प्रदेश को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए तेजी से उभर कर आगे आई। इनमें खास बात यह रही कि सरकार की तमाम कोशिशों और केंद्र सरकार की नीतियों को स्थानीय लोगों का भी साथ मिला। आज न सिर्फ आतंकी गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा रहा है बल्कि लोगों की तस्वीर के साथ-साथ तकदीर भी बदलती नजर आ रही है। पिछले 8 वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा एक के बाद एक ऐसे कई कदम उठाए गए और बदलाव की ऐसी बयार बही कि जम्मू-कश्मीर के लोग और वहां के इलाके खुल कर जी रहे हैं। आइए जानते हैं कि मोदी सरकार के इन पिछले 8 वर्षों में जम्मू कश्मीर में कितना कुछ बदलाव हुआ।
 
 
 
सर्जिकल स्ट्राइक व एयरस्ट्राइक
 
 
जब बात देश की आन, बान और शान की आती है तो हमारे देश के वीर जवान हर चुनौती से निपटने के लिए सदैव तैयार रहते हैं। जब जब दुश्मनों ने देश की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की तब तब शांति की पथ पर चलने वाला भारत दुश्मनों को ऐसा करारा जवाब दिया जिसे वो कभी भूल नहीं सकेंगे।
 
 
इसका एक ताजा उदाहरण 18 सितंबर 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना का पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करना है। उरी में आतंकी हमले में सेना के कुल 18 जवान वीर गति को प्राप्त हो गए थे। देश भर में गुस्से का माहौल था। हर कोई पाकिस्तान के इस नापाक हरकतों का बदला लेना चाहता था। परंतु जरूरत थी एक ऐसे निर्णय कि जो पाकिस्तान को उसी के भाषा में जवाब दे सके और उसे उसकी औकात याद दिला सके।
 
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आखिरकार वो दिन आया जब केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सेना के जवानों को पाकिस्तान को उसके ही भाषा में जवाब देने का काम सौंपा। 29 सितंबर 2016 की रात भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर की सीमा में घुसकर वहां मौजूद केल, भिंबर, लीपा इलाके में आतंकी ठिकानों की रेकी कर उन्हें ध्वस्त किया। सेना ने इस कार्रवाई में बिना किसी हताहत के करीब 38 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। सेना ने इस मिशन को नाम दिया सर्जिकल स्ट्राइक। इस तरह सेना ने उरी आतंकी हमले में बलिदान हुए सभी जवानों का बदला लिया।
 
एयर स्ट्राइक
 
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से इस कार्रवाई के बाद भी बाज नहीं आया और उसने 14 फरवरी 2019 में आतंकियों की मदद से पुलवामा में एक दिल दहला देने वाले आतंकी हमले को अंजाम दिया। इस हमले में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया जिसमें 40 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। इस घटना से पूरे देश में उबाल था हर कोई पाकिस्तान को कभी न भूल पाने वाली सजा देने के पक्ष में था।
 
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आखिरकार फिर एक बार केंद्र की मोदी सरकार ने 56 इंच का सीना दिखाते हुए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक का ऑर्डर दिया। ऑर्डर मिलते ही पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के आतंकियों का खात्मा कर दिया। भारतीय वायु सेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक में इतनी बड़ी संख्या में बम गिराया कि इस स्ट्राइक में करीब 300 से ज्यादा आतंकियों की मौत हुई।
 
आर्टिकल 370 व 35ए का खात्मा
 
 
अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A को संविधान से समाप्त हुए 3 साल हो चुके हैं और इन तीन वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में बहुत कुछ बदल गया है। अब यह स्थापित हो गया है कि अनुच्छेद 370 और 35A जम्मू-कश्मीर के लोगों के विकास और विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा थी। इसके निरस्त होने के साथ, जम्मू-कश्मीर पर 890 केंद्रीय कानून लागू किए गए हैं और सभी अन्यायपूर्ण, भेदभावपूर्ण कानूनों को हटा दिया गया है, जबकि सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया है। 205 राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है जबकि 130 को संशोधित किया गया है।
 
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आतंकी नेटवर्क का खात्मा : यासीन मलिक जैसों को जेल
 
 
मोदी सरकार ने देश में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये। सबसे पहले मोदी सरकार ने आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए ''गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम, 1967'' के प्रावधानों को मजबूत किया। केंद्र और राज्य की एजेंसियों द्वारा एक दूसरे के साथ सूचना साझा करने के लिए ''जाली भारतीय करेंसी नोट समन्वय समूह'' (FCORD) बनाया गया। टेरर फंडिंग और फेक करेंसी की जांच के लिए NIA ने टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी सेल (TFFC) बनाया गया है। 24 घंटे निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकियां स्थापित की गई है, सीमा पर बाड़ लगाए गए हैं और सीमा पर लगातार गहन गश्ती की जाती है। इन उपायों ने आतंक के वित्तपोषण को रोकने में मदद की है।
 

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आतंकियों की टूटी कमर
 
 
28 जुलाई को राज्यसभा में दिए अपने एक बयान में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि ”जम्मू कश्मीर में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में आतंकी हिंसा की घटनाओं में 59% की कमी आई है। वहीं वर्ष 2020 में जून तक हुई आतंकी घटनाओं की तुलना में, वर्ष 2021 में जून तक आतंकी हिंसा में 32 % की कमी आई है।
 
 
रेल, सड़क, संचार
  
जम्मू-कश्मीर में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सड़क, रेल से लेकर संचार पर भी ध्यान लगातार ध्यान दिया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में बॉर्डर के निकट के जिन गांव में लोगों का पहुंचना भी असंभव था वहां अब सिर्फ सड़के हैं। इसके आलावा गाँव के उन लोगों तक सेना की ओर से हर संभव मदद भी पहुंचाई जाती है। इसके अलावा रेल मार्ग को लेकर सरकार की कोशिश है कि रेलवे नेटवर्क के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पूरे भारत से जुड़े। इसके लिए हाल ही में जम्मू के कोड़ी जिले में सबसे ऊंचे रेलवे पुल को बनाने के लिए आर्च पर काम पूरा हो गया है। श्रीनगर स्टेशन सहित 15 रेलवे स्टेशन पर सार्वजनिक वाईफाई उपलब्ध कराया गया है।
 
 
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इसके आलावा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में रेल कनेक्टिविटी के विस्तार और सामरिक, सुरक्षा के हिसाब से महत्वपूर्ण उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के कटड़ा-बनिहाल सेक्शन का काम दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा। इसके अलावा खिलनई को सुदामहादेव से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम शुरू हो गया है और 2-3 वर्षों में पूरा हो जाएगा। डोडा जिला बहुत जल्द 6 किलोमीटर लंबी सुरंग के जरिए हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से जुड़ जाएगा, जो दोनों जगहों के बीच सफर के समय को बहुत ज्यादा घटा देगा। बीआरओ की बीकन परियोजना के तहत लखनपुर को वाया बनी-बसोहली डोडा-बदरवाह से जोड़ दिया जाएगा। क्षेत्र में बिजली उत्पादन के बारे में पाकलदुल, धुलहस्ती-II जैसी बिजली परियोजनाएं क्षेत्र को बिजली में आत्मनिर्भर बनाएंगी और इलाके के बाहर भी बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम होंगी।
 
 
पर्यटन 
 
 
3 दशक में पहली बार कश्मीर संभाग के सभी 10 जिले पर्यटकों के लिए खोले गए। पहले सैलानी श्रीनगर, बडगाम, बारामुला और अनंतनाग ही जा पाते थे। लेकिन अब तेजी से बदलते जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा का तंगधार, बंगस, बांदीपोरा का गुरेज, पुलवामा का शिकारगाह जैसे पर्यटन स्थल सैलानियों का स्वागत करने के लिए तैयार रहते हैं।
 
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यही कारण है कि देश-विदेश के सैलानी भारी संख्या में सैर-सपाटे के लिए निडर होकर जम्मू-कश्मीर पहुंच रहे हैं। गुलमर्ग जैसे हिल स्टेशन के होटल अधिकांश 100% बुक रह रहे हैं। पर्यटकों की आमद का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि श्रीनगर एयरपोर्ट से रोज 40 से अधिक फ्लाइट अप-डाउन हो रही हैं। पहले यह संख्या 10-15 रहती थी। पढ़ाई की बात हो, रोजगार की, इंफ्रास्ट्रक्चर की, पर्यटन को बढ़ावा देना हो, नई फ्लाइट्स या परिवहन की बात हो जम्मू कश्मीर आये दिन अपने विकास के कारण सुर्खियों में बना रहता है।
 
 
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
 
 
इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो “स्मार्ट सिटी” प्रोजेक्ट के तहत, श्रीनगर के 20 धार्मिक स्थलों को रेनोवेट किया जा रहा है। इसके अलावा, ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के डाउनटाउन क्षेत्र के महत्वपूर्ण बाजारों को, अत्याधुनिक तकनीक के साथ शहर के पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से डिजाइन किया जाएगा।
 
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वीर बलिदानियों के नाम पर स्कूल व सार्वजनिक स्थानों के नाम
 
 
भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने 75 स्कूलों और 75 सड़कों का नाम पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के वीर बलिदानियों के नाम पर रखने का फैसला किया है। इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि जम्मू कश्मीर में स्कूलों, सड़कों व भवनों समेत सभी सार्वजनिक संस्थानों का नामकरण वीर बलिदानियों व प्रतिष्ठित शख्सियतों के नाम पर होगा।
 
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पंचायती राज्य व्यवस्था
 
 
आजादी के 73 साल बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई है। जिसके बाद अब आगामी दिनों में राज्य में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के लिए वोटिंग शुरू होगी। डीडीसी चुनाव के साथ ही राज्य में पहली बार एससी-एसटी समुदाय के लोगों को राजनीतिक आरक्षण भी मिला है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बीते 24 अक्टूबर, 2020 को पंचायती राज नियमों में संशोधन किया था, जिसके बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए जिला विकास परिषदों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है। एक आधिकारिक प्रवक्ता के मुताबिक सरकार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 की धारा 80 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के माध्यम जम्मू-कश्मीर पंचायती राज नियम, 1996 में संशोधन किया है।
 
 
 
 
इसके तहत प्रत्येक जिला विकास परिषद (डीडीसी) के लिए अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और महिलाओं के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या प्रत्येक श्रेणी के लिए अधिनियम की धारा 45-ए के तहत निर्धारित अनुपात के आधार पर तय की जायेगी। अधिसूचना में कहा गया है कि नियम 3 ए के तहत अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को अलग-अलग क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित किया जायेगा, जो की निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात पर होगा। इसके आलावा महिलाओं, एससी व एसटी को राजनीतिक आरक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की गईं।
 
 
नयी डोमिसाइल पॉलिसी लागू करना
 
 
1947 में पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर के बड़े हिस्से पर कब्जा करने के बाद जो लाखों हिंदू विस्थापित होकर जम्मू कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में बसे थे। उसको आर्टिकल 35ए के चलते कभी जम्मू कश्मीर में रहते हुए स्थायी निवासी होने के नाते कोई आधिकार नहीं मिले थे। इसमें सबसे ज्यादा मुश्किलें उन पीओजेके विस्थापितों को झेलनी पड़ी जो जम्मू कश्मीर से बाहर दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान समेत देश के अन्य हिस्सों में बसे।
 
 
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उन्हें कभी शरणार्थी होने का दर्जा भी नहीं मिला, क्योंकि तकनीकी रूप से चूंकि वो भारत के हिस्से पीओजेके के निवासी थे, इसीलिए उन्हें देश में ही विस्थापित होने के बावजूद पिछले 73 सालों में न तो शरणार्थी का दर्जा मिला और न ही जम्मू कश्मीर का स्थायी निवासी होने का हक उनको मिला। हालांकि वो हमेशा अपने हक के लिए संघर्ष करते रहे। परंतु अब नयी डोमिसाइल पॉलिसी लागू होने के बाद उन्हें उनका हक मिल रहा है।
 
 
खेलो इंडिया
 
जम्मू कश्मीर में खेलों इंडिया को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग में खेलो इंडिया के दूसरे संस्करण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए थे, जो मार्च के आखिर में समाप्त हुए। पीएम मोदी ने इसपर कहा कि गुलमर्ग के इन खेलों से पता चलता है कि जम्मू और कश्मीर शांति और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए उत्सुक है और ये खेल “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के उद्देश्य को मजबूत करेंगे।
 
 
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युवाओं को रोजगार
 
 
कहते हैं युवा किसी भी देश का भविष्य होता हैं। जम्मू कश्मीर के जिन युवाओं के हाथों में पत्थर होते थे, आज उनके हाथों में कलम और रोजगार इंतजार कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए स्पेशल स्कॉलरशिप प्रोग्राम शुरू किया गया है। इसके साथ सरकारी विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि केंद्र द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ युवाओं को मिले, ताकि वे जीवन में एक प्रगतिशील रास्ता चुन सकें।
 
 
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ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर राज्य में हिमायत योजना (एचएस) नामक योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, जम्मू-कश्मीर राज्य के बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण सह नियुक्ति प्रदान की जाती है। ये युवा अपनी पसंद का पाठ्यक्रम चुनकर नौकरियां प्राप्त करते हैं। इन सब के अलावा भारतीय सेना भी कश्मीर के लोगों के लिए कई तरह के विकास कार्यक्रम का आयोजन कर रही है।
 
 
एम्स व आईआईएम जैसी 60 डेवलपमेंट परियोजना
 
 
हाल ही में जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्वस्थ राष्ट्र के लिए मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे को अपग्रेड करने को जरूरी बताते हुए कहा कि मेडिकल कालेज और एम्स स्थापित कर जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। सोपोर में जन औषधी केंद्र का निर्माण किया गया है। वहीं प्रशासन जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को स्वास्थ्य बीमा के तहत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये का यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस दिया जा रहा है। इसे इसे आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ लागू किया गया है।
 

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ग्लोबल समिट: 50 हजार करोड़ का निवेश
 
जम्मू कश्मीर में 2022 तक 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव आ चुका है। जापान, यूएस और दुबई जैसे देशों ने जम्मू कश्मीर में निवेश के लिए इच्छा जताई है।
 
 
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कह सकते हैं आज का समय जम्मू कश्मीर के लोगों का समय है। ये समय जम्मू कश्मीर की युवाओं,महिलाओं, दलितों को मिले अधिकारों का समय है। ये जम्मू कश्मीर में शरणार्थियों के गरिमापूर्ण जीवन का समय है और ये समय जम्मू कश्मीर में विकास का एक नया युग गढ़ने का समय है।
 
 
CISF को एयरपोर्ट की जिम्मेदारी
 
समय बदला परिस्थिति बदली, इसका ताजा उधाहरण है, श्रीनगर में रात्रि हवाई सेवा। इस साल यानि 18 मार्च को श्रीनगर हवाई अड्डे रात्रिकालीन विमान सेवा यानि फर्स्ट नाईट फ्लाइट सर्विस शुरू किया गया है, इसे एक नए युग की सुबह को कहा जा रहा है। इसके माध्यम से देश के बाकी हिस्सों के साथ जम्मू और कश्मीर के लिए हवाई संपर्क में सुधार होगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक विकास में भी काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा 6 मार्च से पहले जम्मू-कश्मीर के एयरपोर्ट पर सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ लगाई जाती थी, लेकिन देश के अन्य स्थलों की तरह ही अब वहां भी CISF ने जिम्मेदारी संभाल ली है।
 
 
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विधानसभा व लोकसभा सीटों का परिसीमन
 
 
जम्मू-कश्मीर में संसदीय और विधानसभा सीटों के सीमांकन के लिए हुए परिसीमन आयोग के आदेश 20 मई से प्रभावी हो गए हैं। आयोग ने 14 मार्च के जारी आदेश में विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षित किए गए निर्वाचन सीटों की संख्या और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के आकार के संबंध में जारी आदेश को एक साथ 20 मई से प्रभावी कर दिया है।
 
 
जम्मू कश्मीर में अब 83 नहीं 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। अनुसूचित जनजातियों के लिए नौ और अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें आरक्षित भी हो गई हैं। परिसीमन आयोग का अंतिम आदेश शुक्रवार को पूरी तरह प्रभावी हो गया है। भारत सरकार ने आज इस संदर्भ में आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी है। जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में मार्च 2020 में गठित परिसीमन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट पांच मई 2022 को ही सौंपी थी।
 
 
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