प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारतीय नौसेना के नए निशान का अनावरण किया। नौसेना के नए निशान से अंग्रजों की पहचान क्रॉस को पूरी तरह से हटा दिया गया है। साल 1950 के बाद से आज चौथी बार भारतीय नौसेना के निशान को बदला गया है। नौसेना का नया ध्वज छत्रपति शिवाजी महाराज के शाही मुहर से प्रेरित है। नौसेना के नए निशान में छत्रपति शिवाजी महाराज की अष्टकोणीय मुहर का उपयोग किया गया है।
बता दें कि अब तक इंडियन नेवी के ध्वज पर सेंट जॉर्ज क्रॉस का झंडा लगा होता था किन्तु आज उसे पूरी तरह से हटा दिया गया। अब इंडियन नेवी का नया पताका "औपनिवेशिक अतीत से दूर समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप" होगा। हमारे देश में वरुण को समुद्र का देवता माना जाता है। लिहाजा भारतीय नौसेना के ध्वज में नीचे संस्कृत भाषा में 'शं नो वरुणः' लिखा है। जिसका अर्थ होता है 'हमारे लिए वरुण शुभ हों'।
आज भारत ने गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया - PM मोदी
आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
नौसेना के ध्वज में कब कब हुआ बदलाव ?
गौरतलब है कि औपनिवेशिक काल के हर प्रतीक से आज़ादी की मुहिम के तहत यह बदलाव किया जा रहा है। देश की स्वाधीनता के बाद जब बंटवारा हुआ तो नौसेना का भी बंटवारा हुआ। जिसके बाद इनके नाम रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी पड़े। 26 जनवरी 1950 को भारत जब गणतंत्र बना, तो इसमें से 'रॉयल' शब्द को हटा दिया गया और नया नाम 'इंडियन नेवी' यानी 'भारतीय नौसेना' रखा गया। नौसेना का नाम तो बदल गया परन्तु नौसेना के ध्वज पर ब्रिटिश काल की झलक नजर आ रही थी, जो 'सेंट जॉर्ज क्रॉस' है। 'सेंट जॉर्ज क्रॉस' अंग्रेजी झंडे यूनियन जैक का हिस्सा हुआ करता था।
लाल क्रॉस नौसेना के निशान पर बना रहा और इसके ऊपरी बाईं ओर तिरंगा लगा दिया गया। 2001 में ये झंडा बदला गया और लाल क्रॉस हटा दिया गया। इसकी जगह नीले रंग में अशोक चिह्न बनाया गया। हालांकि, इसमें शिकायत आई कि नीला रंग समुद्र और आसमान से मिल जाता है, जिस कारण ये दिखाई नहीं पड़ता।
इसके बाद 2004 में ध्वज में एक बार फिर बदलाव किया गया और लाल क्रॉस लगाया गया। पर इस बार लाल क्रॉस के बीचों-बीच अशोक चिह्न लगाया गया। 2014 में फिर इसमें थोड़ा बदलाव किया गया और अशोक चिह्न के नीचे 'सत्यमेव जयते' लिखा गया। अब 2014 के बाद पुनः ध्वज में बदलाव किया गया जहाँ औपनिवेशिक काल के प्रतिक को पूरी तरह से हटा दिया गया।
क्या है सेंट जॉर्ज क्रॉस?
सफेद बैकग्राउंड पर बने लाल क्रॉस को 'सेंट जॉर्ज क्रॉस' के रूप में जाना जाता है। इसका नाम एक ईसाई योद्धा संत के नाम पर रखा गया था। माना जाता है कि जब तीसरा धर्मयुद्ध हुआ तो सेंट जॉर्ज एक योद्धा की भूमिका में थे। ये क्रॉस इंग्लैंड के झंडे पर भी बना है। 1190 में इंग्लैंड और लंदन सिटी ने इस झंडे को अपनाया था, ताकि अंग्रेजी जहाजों की पहचान की जा सके। रॉयल नेवी अपने जहाजों पर जॉर्ज क्रॉस वाले लगाया करती थी। अभी ब्रिटिश नेवी में जो झंडा इस्तेमाल होता है, वो 1707 में अपनाया गया था।