अब 'सिंधु जल संधि' पर घिरा पाकिस्तान ; भारत ने जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला
   27-जनवरी-2023
 
Indus water treaty
 
 
Sindhu Jal Sandhi : भारत सरकार ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि यानि (IWT) में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान की गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि (Sindhu Jal Sandhi) के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत को सिंधु जल संधि के संशोधन के लिए नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है। भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि पारस्परिक रूप से एक मध्यस्थ रास्ता खोजने के लिए भारत द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद, पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की 5 बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार किया है। लिहाजा इन कारणों के चलते अब भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया है।
 
 
क्या है असल विवाद ? 
 
 
गौरतलब है कि सिंधु जल समझौते को लेकर असली विवाद तब शुरू हुआ जब 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (HEP) पर अपनी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया। इसके बाद 2016 में, पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। हालांकि, पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई आईडब्ल्यूटी के अनुच्छेद IX द्वारा परिकल्पित विवाद समाधान के श्रेणीबद्ध तंत्र का उल्लंघन है।
 
 
इसके बाद भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए विश्व बैंक में एक अलग अनुरोध किया। जिसके बाद विश्व बैंक ने 2016 में खुद इसे स्वीकार किया और हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन प्रक्रियाओं दोनों पर कार्रवाई शुरू की है। हालांकि, समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार आईडब्ल्यूटी के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं।
 
 
 
 
उल्लंघन सुधारने के लिए पाकिस्तान को मोहल्लत
 
 
Sindhu Jal Sandhi में संशोधन के लिए भारत सरकार द्वारा जारी नोटिस का मुख्य कारण पाकिस्तान को IWT के उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान करना है। बता दें कि यह वार्ता पिछले 62 वर्षों में तय किए गए समझौते को शामिल करने के लिए IWT में भी संशोधन करेगी।
 
 
सिन्धु जल समझौता पर एक नजर  
 
 
प्राकृतिक रूप से पाकिस्तान में कोई भी ऐसी नदी नही है, जिसका उद्गम स्थान पाकिस्तान में हो। अतः पाकिस्तान पानी की जरूरतों के लिए प्रत्यक्ष रूप से भारत से होकर बहने वाली नदियों पर निर्भर करता है। भारत से होकर पाकिस्तान मे 6 नदियां बहती हैं , जो आगे चलकर अरब सागर में गिरती हैं। ये नदियां सिंधु , चिनाब , झेलम , रावी, सतलज तथा व्यास हैं।हिंदुस्तान के विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बॅटवारे को लेकर सिंधु जल-संधि की नीव रखी गयी। इसके सभी प्रोटोकोलों के पालन के लिए सिंधु जल संधि आयोग का गठन किया गया था। आगे चलकर यही समझौता सिंधु जल-संधि समझौते के रूप मे चर्चित हुआ था। 
 
 
भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संथि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा लाई गई थी। संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को दिया गया। वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया। इस समझौते में विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता है। समझौते के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में 2 बार मुलाकात करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है। लेकिन पाकिस्तान ने पिछली 5 बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से साफ़ इनकार कर दिया। इसी को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को नोटिस जारी कर दिया है।