75 वर्षों बाद LOC पर स्थित ऐतिहासिक शारदा मंदिर में हुई शारदीय नवरात्रि की पूजा; गृहमंत्री शाह ने बताया घाटी में शांति की वापसी का प्रतीक

    16-अक्तूबर-2023
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Sharda Temple Teetwal
 
 Image Credit : Amar Ujala
 
 
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा (Kupwara) जिले में नियंत्रण रेखा (LOC) के करीब स्थित तिथवाल (Teetwal) में हिन्दू आस्था की प्रतिक, पुनर्निर्मित माँ शारदा मंदिर (Maa Sharda Devi Temple) में देश विभाजन (1947) के बाद पहली बार शारदीय नवरात्रि में पूजा अर्चना की गई। इस दौरान देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी शामिल हुए और मंदिर में पूजा अर्चना कर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त किया। यह बेहद ही ऐतिहासिक क्षण था। मंदिर में पूजा के दौरान हम्पी के स्वामी गोविंदानंद सरस्वती अपने अनुयायियों के साथ यहां पहुंचे हैं। इसके अलावा इस मौके पर कश्मीरी हिन्दू एवं प्रसिद्ध थियेटर कलाकार एमके रैना भी मौजूद रहे।
 
 
 
 
 
‘’घाटी में शांति की वापसी का प्रतीक’’
 
 
1947 के बाद पहली बार शारदीय नवरात्रि में माता शारदा देवी मंदिर मंदिर में हुए पूजा को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी ऐतिहासिक क्षण बताया। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि यह आध्यात्मिक महत्व की बात है कि 1947 के बाद पहली बार इस वर्ष कश्मीर के ऐतिहासिक शारदा मंदिर में नवरात्रि पूजा आयोजित की गई है। Twitter (नया नाम 'X') पर अपनी एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के अवसर पर भी यहां पूजा की गई थी और अब शारदीय नवरात्रि के अवसर पर भी मंदिर में पूजा के मंत्र गूंज रहे हैं।
 
मंदिर के पुनर्रुद्धार के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअली शारदा मंदिर का उद्घाटन किया था। लिहाजा उसका जिक्र करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्हे मंदिर के पुनर्रुद्धार के बाद 23 मार्च, 2023 को इस मंदिर को दोबारा खोलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। यह न केवल घाटी में शांति लौटने का प्रतीक है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक लौ के फिर से प्रज्वलित होने का भी प्रतीक है।
 
 
 
 
 
वहीं मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए सेवा शारदा कमेटी कश्मीर के संस्थापक रविंद्र पंडिता ने कहा कि 23 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शारदा माता के इस मंदिर का उद्घाटन किया था। इस दौरान मंदिर में पंचलोहा मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई थी। इससे पहले मां शारदा की मूर्ति को कर्नाटक के श्रृंगेरी से उत्तरी कश्मीर संभाग में नियंत्रण रेखा के करीब स्थित तिथवाल तक ले जाने के लिए एक भव्य सोभा यात्रा भी निकाली गई थी।
 

Sharda Peeth POJK 
 PoJK में स्थित ऐतिहासिक शारदा पीठ 
 
 
शारदा पीठ - भारतीय सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र
 
 
हिंदूओं का यह धार्मिक स्थल लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन काल से कश्मीर को शारदापीठ के नाम से ही जाना जाता है, जिसका अर्थ है देवी शारदा का निवास। यह मंदिर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र PoJK में नीलम नदी के तट पर स्थित है। पाकिस्तान के कब्जे में जाने के बाद धीरे-धीरे यह मंदिर खंडित हो चुका है। मान्यता है कि देवी सती के शरीर के अंग उनके पति भगवान शिव द्वारा लाते वक्त यहीं पर गिरे थे। इसलिए यह 18 महाशक्ति पीठों में से एक है या कहें कि ये पूरे दक्षिण एशिया में एक अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर, शक्ति पीठ है। आज भारतीय हिंदू माता के दर्शन के लिए उत्सुक रहते है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में होने के कारण कोई भारतीय आसानी से यहां नहीं जा पाता है।
 
 
1948 तक, गंगा अष्टमी पर नियमित शारदापीठ यात्रा शुरू होती थी। भक्त नवरात्रों के दौरान मंदिर भी जाते हैं। विभाजन से पहले शारदा देवी का तिथवाल मंदिर विश्व प्रसिद्ध शारदा तीर्थ का आधार शिविर था। किशनगंगा नदी के तट पर स्थित मूल मंदिर और निकटवर्ती गुरुद्वारा को 1947 में पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। तब से, न तो सरकारों और न ही किसी संगठन ने इन धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए कोई पहल की। शारदा पीठ देवी सरस्वती का कश्मीरी नाम है। यह छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था और मध्य एशिया और भारत के विद्वान ऐतिहासिक शिक्षा के लिए यहां आते थे। गौरतलब है कि तिथवाल में शारदा मंदिर का पुनर्निर्माण शारदा पीठ की प्राचीन तीर्थयात्रा की पुन: शुरुआत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।