20 अक्टूबर 2021 बलिदान दिवस : शोपियां मुठभेड़ में आतंकियों को ढेर कर देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने वाले शौर्यचक्र विजेता सिपाही करणवीर सिंह की शौर्गाथा
20-अक्तूबर-2023
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Written By : Arnav Mishra
20-Oct-2021 :"मुझसे कल सुबह ही (19 अक्टूबर को) करन से फोन पर बात हो रही थी। बात करते वक्त उसने बोला था कि वो 12 दिन बाद छुट्टी लेकर घर आएगा और फिर मेरा इलाज कराएगा। लेकिन वो तो लौटकर नहीं आया लेकिन इससे पहले उसकी खबर आ गई।" दरअसल ये दर्द भरे शब्द देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले माँ भारती के वीर सपूत और सतना जिले के लाल करणवीर सिंह के पिता रिटायर्ड मेजर रवि कुमार सिंह (Major Rtd. Ravi Singh) के हैं। पिता रवि कुमार सिंह अपने पुत्र को खोने के बाद आँखों में आंसू लिए गर्व से सीना चौड़ा किए अपने बेटे की बहादुरी के किस्से सूना रहे थे। (Story Of Shaurya Chakra Awardee Karan Veer Singh)
सिपाही करणवीर सिंह की शौर्यगाथा
आज की इस कड़ी में हम बात करेंगे शौर्यचक्र से सम्मानित सिपाही करणवीर सिंह (Karan Veer Singh) के शौर्यगाथा की। कर्णवीर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले की रामपुर बाघेलान तहसील के दलदल गांव के निवासी थे। उनका पूरा परिवार सतना शहर के वार्ड नंबर 22 उतैली में रहता है। साल 2017 में स्नान्त्कोत्तर करने के उपरान्त करणवीर सिंह सेना में शामिल हो गए। उन्हें राजपूताना रेजिमेंट की 21 राजपूत रेजिमेंट बटालियन में भर्ती किया गया था। 21 राजपुताना रायफल्स बटालियन में कुछ दिनों तक सेवा करने के उपरान्त करणवीर सिंह को 44 आरआर बटालियन के साथ सेवा करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया। यह बटालियन जम्मू कश्मीर में आतंकविरोधी अभियानों में आतंकियों के खात्में के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जानी जाती है।
करणवीर सिंह के बचपन की तस्वीर (साभार -गाँव कनेक्शन)
20 अक्टूबर 2021 सिपाही करणवीर सिंह की बटालियन को कश्मीर संभाग के शोपियां जिले में तैनात किया गया था। उनकी बटालियन को ख़ुफ़िया इनपुट मिली कि इलाके में 2 से 3 आतंकी छिपे हुए हैं जो किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। इनपुट के आधार पर सिपाही करणवीर अपने कुछ साथियों के साथ 20 अक्टूबर की सुबह ही उस इलाके की घेराबंदी के लिए निकल पड़े। इस आतंकविरोधी अभियान में करणवीर सबसे आगे थे। संदिग्ध इलाके में पहुँचने के बाद उनकी टुकड़ी ने घेराबंदी की और आतंकियों की तलाश शुरू कर दी। तभी लगभग सुबह 10:30 बजे इलाके में छिपे 2 आतंकी खुद को बचाने के लिए एक नाले में कूद पड़े।
घायल अवस्था में होने के बावजूद आतंकियों को किया ढेर
सिपाही इस दौरान स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आतंकियों का पीछा करते हुए करीब 100 मीटर तक अकेले ही उनके पीछे भागे। इस बीच आतंकी यह सोचकर घबरा गए कि उनका पीछा किया जा रहा है। लिहाजा आतंकियों ने अचानक सिपाही करणवीर सिंह पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी और हथगोले भी फेंके। इस हमले में करणवीर घायल हो गए। लेकिन घायल अवस्था में होने के बावजूद भी उन्होंने आतंकियों का पीछा करना नहीं छोड़ा और 1 आतंकी को तुरंत गोलीमारकर मौके पर ही ढेर कर दिया। इसके अलावा बचे हुए दूसरे आतंकी को भी उन्होंने निशाना बनाया और उसे घायल कर दिया।
राष्ट्रपति से पुरष्कार प्राप्त करतीं करणवीर सिंह की माँ मिथिलेश देवी
मरणोपरांत शौर्य चक्र
हालांकि इस भीषण गोलीबारी के दौरान सिपाही करणवीर सिंह को भी सिर पर गोली लगी और वे चोटों के कारण वीरगति को प्राप्त हो गए। सिपाही करणवीर सिंह एक निडर, साहसी और वीर बहादुर सैनिक थे, जिन्होंने महज 25 वर्ष की छोटी उम्र में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। सिपाही करणवीर सिंह को उनकी सराहनीय बहादुरी, कर्तव्य के प्रति समर्पण, सौहार्द और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत 15 अगस्त 2022 को वीरता पुरस्कार, "शौर्य चक्र" से अलंकृत किया गया। करणवीर की माता मिथिलेश देवी ने यह सम्मान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों स्वीकार प्राप्त किया।