जम्मू कश्मीर NH-44 पर मारोग टनल और वायाडक्ट(पुल) का निर्माण कार्य पूरा, देश को समर्पित
   08-अक्तूबर-2023
 
Ramban banihal Maroge tunnel
 

केंद्र की मोदी सरकार देश के हर हिस्से में रोड इंफ़्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने की दिशा में तेज़ी से काम कर रही है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अनेक एक्प्रेसवे और नेशनल हाईवे का निर्माण हो रहा है। पहाड़ी इलाक़ों में हाईवे के साथ टनल निर्माण का भी कार्य तेज़ी से जारी ताकि लोगों को यात्रा करने में और अधिक सुविधा मिल सके। इसी कड़ी में जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग (Jammu Kashmir National Highway's) पर यात्रा करने वाले लोगों को एक और बड़ी सुविधा मिली है। जम्मू-श्रीनगर NH-44 पर रामबन-बनिहाल सेक्शन में 2 लेन पुल और सुरंग (Marog Tunnel And Bridge) बनकर तैयार हो गई है। कुल 645 मीटर लंबे इस सेगमेंट के तैयार होने से दूरी करीब 200 मीटर कम हो जाएगी, जिससे यात्रा में कम समय लगेगा।


Maroge Tunnel  


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने ट्विटर पर इस टनल के निर्माण कार्य पूरा होने की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि NH-44 के रामबन-बनिहाल सेक्शन पर 82 करोड़ की लागत से 2 लेन पुल और सुरंग का निर्माण पूरा हो गया है। 2 लेन वाला यह पुल 250 मीटर लंबा है। वहीं, 2 लेन में बनी सुरंग की लंबाई 395 मीटर है। कुल 645 मीटर लंबे इस सेगमेंट के तैयार होने से करीब 200 मीटर की दूरी कम हो जाएगी, जिससे सफ़र करने वाले यात्रियों को यात्रा के दौरान कम समय लगेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि 82 करोड़ की लागत से तैयार हुई इस सुरंग और पुल में बड़े पैमाने पर स्टील और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।


Maroge Tunnel ramban 


जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे के तैयार होने के बाद दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय घटकर सिर्फ 3 घंटे रह जाएगा। इस बड़े प्रोजेक्ट के तहत रामबन जिले के बनिहाल में रामबन और बनिहाल के बीच 45 किलोमीटर के दायरे में कुल 5 सुरंगें बन रही हैं। साथ ही जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा को बेहतर बनाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की लागत से 3 कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं। इसमें जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से आगे श्रीनगर तक के पहले कॉरीडोर में श्रीनगर से बनिहाल सेक्शन है। 16,000 करोड़ रुपये की लागत से 250 किमी लंबाई में यह 4-लेन रोड बनाया जा रहा है।


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आगे कहा कि 645 मीटर का यह खंड केवल यात्रा की दूरी को 200 मीटर तक कम कर देगा, बल्कि खड़े ढलानों को कम करेगा। साथ भूस्खलन प्रभावित प्रसिद्ध सीता राम पस्सी ढलाव क्षेत्र से बचते हुए एक वैकल्पिक मार्ग भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह चुनौतीपूर्ण मारोग क्षेत्र के ढलानों से बचते हुए वाहनों के सुचारू प्रवाह की सुविधा प्रदान करेगा।