26 अक्तूबर, 1947 को जम्मू कश्मीर का विलय भारत में हो चुका था। आज पाकिस्तान के अवैध कब्जे में मौजूद हमारा मीरपुर शहर भी जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी सीमा पर बसा हिन्दू-सिख बहुल एक शहर था। बंटवारे के बाद यहां के रहने वाले हिन्दुओं, सिक्खों को लगा कि अब जम्मू कश्मीर तो भारत का अभिन्न हिस्सा हो गया है, लिहाजा अब शहर छोड़ने या पलायन करने की जरूरत नहीं है। बंटवारे की आग में झुलसे, पाकिस्तान के बाकी इलाकों के अपने घरों से भगाए 10,000 हिन्दू बेफिक्र होकर यहां आकर बस गए थे। उन्हें क्या पता था कि इस्लामी जेहाद के रस में डूबी कौम और तात्कालिक स्वार्थी राजनीतिक सत्ता उनका मीरपुर में ही नरसंहार कर देगी। अगले पल उनके साथ क्या होना है इस बात से वे पूरी तरह बेखबर थे।
मीरपुर चूँकि जम्मू कश्मीर का हिस्सा था लिहाजा उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी जम्मू कश्मीर की सेना निभा रही थी। मीरपुर में जम्मू-कश्मीर की जो 8 सौ सैनिकों की चौकी थी, उसमें आधे से अधिक मुसलमान सैनिक थे। जब पाकिस्तानी सेना ने 24 नवंबर को हमला किया तब वे सभी मुस्लिम सैनिक अपने हथियारों समेत पाकिस्तान की सेना से जा मिले थे। लिहाजा मीरपुर के लिए 3 महीने तक कोई सैनिक सहायता नहीं पहुंची। सैनिकों के इस विश्वासघात के कारण मीरपुर को पाकिस्तानी हमलावरों से बचा पाना मुश्किल था। लिहाजा 25 नवम्बर 1947 को मीरपुर में जो कत्लेआम शुरू हुआ वो कई दिनों तक चलता रहा। आधुनिक हथियारों से लैस पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर के मीरपुर पर धावा बोल दिया और केवल एक ही दिन में 20 हज़ार निर्दोष स्त्री, पुरुष समेत बच्चों की निर्मम हत्या कर दी। हज़ारों हिन्दू और सिखों के अमानवीय नरसंहार के बाद पाकिस्तान ने अवैध रूप से मीरपुर को अपने कब्जे में ले लिया। जो आज भी पाकिस्तान के कब्ज़े में है और जिसे हम पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर यानि (PoJK) के नाम से जानते हैं।
उधर मीरपुर शहर में जो हुआ, वह बहुत ही दर्दनाक था। पाकिस्तान की फौज ने शहर को घेर कर हर हिन्दू का कत्लेआम कर दिया। किसी परिवार का एक व्यक्ति मारा गया था, किसी के दो व्यक्ति। कई ऐसे थे जिनकी आंखों के सामने उनके भाइयों, माता-पिता और बच्चो को मार दिया गया था। कई ऐसे थे जो रो-रो कर बता रहे थे कि कैसे वे लोग उनकी बहन-बेटियों को उठाकर ले गए।
25 नवबंर को हवाई उड़ान से वापस आए एक पायलट से भारतीय सेनाओं को भी पता चल गया था कि मीरपुर से हजारों की संख्या में काफिला चल चुका है और पाकिस्तानी सेना ने शहर लूटना शुरू कर दिया है। लेकिन सेना दिल्ली से आदेश न मिलने पर लाचार थी। मीरपुर में उत्तर की ओर गुरुद्वारा दमदमा साहिब और सनातन धर्म मंदिर थे। इनके बीच में एक बहुत बड़ा सरोवर और गहरा कुआं था। लगभग 75 प्रतिशत लोग कचहरी से आगे निकल चुके थे। शेष महिलाओं, लड़कियों और बूढ़ों को पाकिस्तानी सैनिकों ने इस मैदान में घेर लिया।
#AlibegTrap Here the remainders were continued to be killed at a gradual pace by the prison guards. Women were raped in the camp.
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) March 21, 2022
In Mar' 48, the ICRC, International Committee of the Red Cross rescued 1,600 of the survivors from Alibeg camp.
YES, only 1600 survived. 13/n pic.twitter.com/Ja3rk69fDo
आर्य समाज के स्कूल के छात्रावास में 100 छात्राएं थीं। छात्रावास की अधीक्षिका ने लड़कियों से कहा अपने दुपट्टे की पगड़ी सर पर बांधकर और भगवान का नाम लेकर कुओं में छलांग लगा दें और मरने से पहले भगवान से प्रार्थना करें कि अगले जन्म में वे महिला नहीं, बल्कि पुरुष बनें। बाद में उन्होंने खुद भी छलांग लगा दी। कुंआ इतना गहरा था कि पानी भी दिखाई नहीं देता था। ऐसे ही सैकड़ों महिलाओं ने अपनी लाज बचाई।
बहुत से लोग अपनी हवेली के तहखानों में परिवार सहित जा छुपे, लेकिन वहशियों ने उन्हें ढूंढ निकाला। मर्दों और बूढ़ों को मार दिया। उस दौरान पाकिस्तानी सेना सारी हदें पार कर चुकी थी। 25 नवंबर के आसपास 5 हजार हिंदू लड़कियों को वे लोग पकड़ कर ले गए। बाद में इनमें से कई को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब देशों में बेचा गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने बाकी लोगों का पीछा करने के बजाय नौजवान लड़कियों को पकड़ लिया और शहर को लूटना शुरू कर दिया। इसी दौरान वहां से भागे हुए मुसलमान मीरपुर वापस आ गए और शाम तक शहर को लूटते रहे। उन सबको पता था कि किस घर में कितना माल और सोना है।
मीरपुर को लूटने में लगे पाकिस्तानी सैनिकों ने यहां से करीब 2 घंटे पहले निकल चुके काफिले का पीछा नहीं किया। काफिला अगली पहाड़ियों पर पहुंच गया। वहां 3 रास्ते निकलते थे। तीनों पर काफिला बंट गया। जिसको जहां रास्ता मिला, भागता रहा। पहला काफिला सीधे रास्ते की तरफ चल दिया जो झंगड़ की तरफ जाता था। दूसरा कस गुमा की ओर चल दिया। पहला काफिला दूसरी पहाड़ी तक पहुंच चुका था, परंतु उसके पीछे वाले काफिले को पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया और नाबालिग लड़कियों को किनारे कर अन्य लोगों की नृशंस हत्या कर दी। उसके बाद हिन्दू लड़कियों संग सरेआम सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। तत्पश्चात उन्हें अपने साथ लाहौर ले गए और बाजारों में भी बेच दिया।