8 नवंबर 2020, बलिदान दिवस ; शौर्य चक्र विजेता कैप्टन आशुतोष कुमार, जिन्होंने 3 आतंकियों को ढेर कर बड़ी आतंकी साजिश को किया था नाकाम

    08-नवंबर-2023
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Shaurya Chakra Awardee Captain Ashutosh Kumar
 
 
8 नवंबर 2020 कैप्टन आशुतोष कुमार (Shaurya Chakra Awardee Captain Ashutosh Kumar)  की यूनिट 18 मद्रास को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में माछिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LOC) पर तैनात किया गया था। यूनिट के सभी सैनिक नियमित तौर पर सीमा पार से आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को रोकने में जुटे थे। चूँकि उन दिनों यह इलाका आतंकवाद से बहुत अधिक प्रभावित था। लिहाजा सीमा पर चौकसी को और अधिक बढ़ा दिया गया था। सेना के लिए सीमा पार से ना सिर्फ आतंकी घुसपैठ बल्कि पाकिस्तानी सेना द्वारा सीजफायर की घटना भी चुनौती बनी हुई थी। कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर में अग्रिम चौकियों पर निगरानी रखने के अलावा, कैप्टन आशुतोष कुमार की यूनिट ने घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए भी अभियान चलाया। 8 नवंबर 2020 को, BSF के गश्ती दल द्वारा लगभग 1 बजे एलओसी से लगभग 3.5 किलोमीटर दूर आतंकियों के घुसपैठ की इनपुट मिली। 
 
 
3 आतंकवादियों को किया ढेर 
 
 
सेना को इसकी जानकारी दी गई और घुसपैठ को रोकने के लिए गोलीबारी शुरू हुई। 18 मद्रास यूनिट के सैनिकों ने आगे बढ़कर आतंकी घुसपैठियों को रोकने के लिए कमान संभाली। घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने और आतंकवादियों को मार गिराने के लिए कैप्टन आशुतोष कुमार अपनी टीम के साथ कार्रवाई में जुट गए। हालाँकि इसी बीच अचानक घुसपैठ कर रहे आतंकियों से संपर्क टूट गया। वो कहीं नजर नहीं आ रहे थे लेकिन सेना के बहादुर जवान अपनी पोस्ट पर पूरी तरह से मुस्तैद थे। लेकिन जल्द ही लगभग 10:20 बजे विशिष्ट उपकरणों के माध्यम से सेना ने पुनः घुसपैठियों को ट्रैक किया। कैप्टन आशुतोष कुमार ने तत्परता दिखाते हुए आतंकियों के भाग निकलने वाले सभी संभावित मार्गों को बाधित करने के लिए अपने सैनिकों को उन क्षेत्रों में तैनात कर दिया। खुद भी सबसे आगे इस मुठभेड़ में तैनात हुए। अचानक कुछ ही देर बाद आतंकियों ने कैप्टन आशुतोष की टुकड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। कैप्टन आशुतोष ने भी आतंकियों के इस हमले को जोरदार जवाब दिया। देखते ही देखते इस मुठभेड़ ने भीषण रूप ले लिया और इस मुठभेड़ में 3 आतंकवादी मारे गए।
 
 
Capt Aashutosh Kumar Shaurya Chakra
 
 
शौर्य चक्र से सम्मानित  
 
 
हालांकि, गोलीबारी के दौरान कैप्टन आशुतोष कुमार और उनके 4 साथियों को भी गोलियां लगीं और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। हालाँकि अभी कैप्टन आशुतोष और उनके दो अन्य सैनिकों हवलदार प्रवीण कुमार और राइफलमैन रियादा महेश्वर को अस्पताल में इलाज के लिए ले जाता उससे पहले ही कैप्टन आशुतोष वीरगति को प्राप्त हो गए। कैप्टन आशुतोष कुमार एक बहादुर सैनिक और एक अच्छे सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने आगे बढ़कर अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया था। आतंकियों का सामना करते हुए महज 24 वर्ष की आयु में कैप्टन आशुतोष अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कैप्टन आशुतोष कुमार को उनकी सराहनीय बहादुरी, नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए वीरता पुरस्कार, "शौर्य चक्र" से सम्मानित किया गया।
 
 
 
 
 
संक्षिप्त परिचय
 
 
कैप्टन आशुतोष कुमार के परिवार में उनके पिता श्री रवींद्र यादव, माता श्रीमती गीता देवी और बहनें खुशबू कुमारी और अंशू कुमारी हैं। कैप्टन आशुतोष कुमार का जन्म 15 अक्टूबर 1996 को हुआ था। वह बिहार के मधेपुरा जिले के परमपुर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ओडिशा के सैनिक स्कूल भुवनेश्वर से की। सैनिक स्कूल में पढ़ते हुए उनका आर्म्‍ड फोर्सेज के प्रति झुकाव बढ़ा। वहीं से उनके भविष्य के सैन्य जीवन की नींव पड़ी। सेना में शामिल होने का उनका संकल्प उम्र के साथ बढ़ता गया। स्कूल खत्म होने के बाद उनका सेलेक्‍शन एनडीए में हो गया। बाद में वह आईएमए देहरादून गए। जून 2018 में 21 साल की उम्र में लेफ्टिनेंट के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने मद्रास रेजिमेंट के 18 मद्रास में कमीशन प्राप्त किया। यह एक इंफैंट्री रेजिमेंट है जो अपने निडर सैनिकों और कई युद्ध कारनामों के लिए जानी जाती है। एक युवा लेफ्टिनेंट के रूप में उन्हें अपने पहले असाइनमेंट के रूप में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में तैनात किया गया था। वह जल्द ही एक शानदार अधिकारी के तौर पर उभरे।