10-फ़रवरी-2023 |
देश में पहली बार लिथियम (Lithium Inferred Resources) का भंडार मिला। इसकी कैपेसिटी 5.9 मिलियन टन बताई जा रही है। लिथियम (G3) की यह पहली साइट है, जिसकी पहचान 'जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया' (GSI) ने जम्मू-कश्मीर के रियासी में की है। लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल यानि (अलौह धातु) है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। गौरतलब है कि भारत अब तक लिथियम के लिए पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर है। लेकिन जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में अब इसके भंडार के दोहन से देश की आयात पर निर्भरता कम होगी।
माइंस सेक्रेटरी विवेक भारद्वाज ने बताया कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी में लिथियम के भंडार की खोज की गई है। उन्होंने कहा कि चाहे मोबाइल फोन हो या सोलर पैनल, महत्वपूर्ण खनिजों की हर जगह आवश्यकता होती है। आत्मनिर्भर बनने के लिए देश के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का पता लगाना और उन्हें संसाधित करना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सोने का आयात कम किया जाता है तो हम आत्मानिर्भर बन जाएंगे।
GSI ने राज्य सरकारों को सौंपी 51 खनिज के ब्लॉकों की रिपोर्ट
62वीं CGPB की मीटिंग के दौरान GSI ने लिथियम और गोल्ड समेत 51 खनिज के ब्लॉकों की रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपी। इनमें से 5 ब्लॉक सोने के भंडार हैं। इनके अलावा अन्य ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल से जुड़े हुए हैं। ये मेटल्स 11 राज्यों के अलग-अलग जिलों में मिले हैं। इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं।
बता दें कि भारत अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा अन्य देशों से आयात करता है। लिहाजा 2020 से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है। भारत अपनी लिथियम-ऑयन बैटरियों का करीब 80% हिस्सा चीन से मंगाता है।इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में भारत ने लीथियम बैटरी का तीगुना आयात किया था। यह 1.2 अरब डॉलर था। बेंगलुरु से लगभग 100 किलोमीटर दूर मांड्या में साल 2020 की शुरुआत में ही इस तत्व का भंडार मिला भी लेकिन पर्याप्त से काफी कम है।
गौरतलब है कि लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति आयोग भी इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है, जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है। इसके साथ ही भारत को अन्य देशों पर निर्भर होने के बजाय अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मदद मिलेगी।
दरअसल ये एक रासायनिक तत्व (Chemical Element) है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बावजूद भी इसे चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। इस तरह से तेल से चलने वाली चीजों की जगह ये रिचार्जेबल बैटरी ले चुकी है। इलेक्ट्रिक कारों और आजकल देश के कोने-कोने में चलने वाले ई-रिक्शा में (EV) ई-बैटरी का इस्तेमाल होता है। मोबाइल फोन भी लिथियम-आयन बैटरी से चलते हैं, जिसे (LIB) भी कहते हैं।