देश के जाने माने संगठन BAVP द्वारा संचालित RSS के 'डॉ हेडगेवार अस्पताल' ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित डॉ हेडगेवार अस्पताल ने अपने विशिष्ट सेवा के चलते "सर्वाधिक प्रतिबद्ध एनजीओ" का पुरस्कार अपने नाम किया है। इस अस्पताल को राष्ट्रिय स्वयं सेवकों द्वारा चलाया जाता है। इसके कार्यों को 'कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी समिट 2023' यानि (CSR) में मान्यता मिली है। डॉ. हेडगेवार अस्पताल औरंगाबाद, महाराष्ट्र में स्थित एक चिकित्सा संस्थान है, जिसकी स्थापना 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की विचारधारा से प्रेरित युवा डॉक्टरों, बाबासाहेब अम्बेडकर वैद्यकी प्रतिष्ठान (BAVP) द्वारा की गई थी।
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान यानि (BAVP) देश भर में गरीबों व वंचितों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला एक धर्मार्थ ट्रस्ट है। अस्पताल में 300 बिस्तर हैं और कई विशिष्टताओं में चिकित्सा सेवाएं चलाता है। यह संस्थान महिलाओं व नागरिकों के लिए एड्स जागरूकता उत्थान जैसे कई अन्य सामाजिक उत्थान कार्यक्रम चलाता है। इसके अलावा औरंगाबाद के स्लम क्षेत्रों में किंडरगार्टन स्कूल व स्वरोजगार केंद्र जैसे अनेक संस्थानों को संचालित करता है।
बीएवीपी की शुरुआत 1989 में महज 10 बिस्तरों वाले अस्पताल के रूप में हुई थी, जिसे स्वयं प्रतिबद्ध डॉक्टरों का एक समूह चला रहा था। लेकिन आज यह अस्पताल एक विशाल रूप ले चुका है, और करीब 90 लाख से अधिक रोगियों का इलाज कर चुका है। बीएवीपी के पास एशिया के सबसे बड़े ब्लड बैंकों में से एक नर्सिंग कॉलेज है, और देश भर में 600 से अधिक झुग्गियों और गांवों में 'सामाजिक विकास कार्यक्रम' CSR भी चलाया जा रहा है। गरीबों की बेहतरी के लिए यह संस्थान सामुदायिक स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, कौशल विकास जैसी सेवाएं उपलब्ध करता है।
डॉ हेडगेवार अस्पताल, औरंगाबाद
बाबासाहेब अम्बेडकर मेडिकल रिसर्च सोसायटी, औरंगाबाद
दत्ताजी भाले ब्लड बैंक, औरंगाबाद
सावित्री बाई फुले महिला एकात्म समाज मंडल
डॉ हेडगेवार नर्सिंग कॉलेज औरंगाबाद
स्वर्गदेव सिउ-का-फा मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल, असम
श्री गुरुजी रुगनालय, नासिक।
डॉ हेडगेवार अस्पताल इस ट्रस्ट का केंद्र है। बीते 22 वर्षों से यह अस्पताल गरीबों, असहाय व आम आदमी को सस्ती कीमत पर उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। अस्पताल में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की विचारधारा से प्रेरित, डॉक्टर गरीब रोगियों को विशेष देखभाल प्रदान करने में सक्षम हुए हैं। साथ ही गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से अपनी गतिविधियों का विस्तार कर सकते हैं। चूंकि औरंगाबाद की करीब 25 फीसदी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है, लिहाजा उनकी बेहतरी के लिए NGO इन झुग्गियों में 3 केंद्र चला रहा है।
लगभग 1,50,000 लोग सामाजिक और चिकित्सा गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। एनजीओ की एक मोबाइल डिस्पेंसरी भी है, जिसका नाम श्री गुरुजी चलचिकित्सालय रखा गया है। इस डिस्पेंसरी से 7 साल की अवधि में 4,00,000 गरीब मरीज लाभान्वित हो चुके हैं। रतन टाटा ने 2001 में अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन करते हुए कहा, "अस्पताल अपनी भव्यता दिखाए बिना अच्छी तरह से सुसज्जित है। अस्पताल लोगों की, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए एक परियोजना है। मुझे आश्चर्य है कि हमें अन्य क्षेत्रों में भी समान सफलता क्यों नहीं प्राप्त करनी चाहिए!"।