वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा का सुरक्षा कवच तैयार ; ड्रोन और माइन प्रूफ वाहनों का होगा इस्तेमाल, परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर
   20-मार्च-2023

Shri Amarnath Yatra Security 2023 
 

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद इन दिनों अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है। कश्मीर घाटी में अब सक्रिय लोकल आतंकवादियों की संख्या घटकर महज 28 रह गई है। जोकि यह अब तक के इतिहास की सबसे कम संख्या है। ADGP विजय कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही यह संख्या और कम होगी। आगामी वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा की शुरुआत भी होने वाली है। लिहाजा समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित बाबा अमरनाथ की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को फुलप्रूफ सुरक्षा मुहैया कराये जाने को लेकर तैयारियां भी जोरों पर हैं। अमरनाथ यात्रा पर अक्सर आतंकी घटनाओं का खतरा मंडराता रहता है ऐसे में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जम्मू कश्मीर पुलिस व सुरक्षाबलों संयुक्त रूप से यात्रियों को फुलप्रूफ सुरक्षा प्रदान करेंगे।

 
सुरक्षा में ड्रोन व माइन प्रूफ वाहनों का इस्तेमाल


ADGP विजय कुमार ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ड्रोन और माइन प्रूफ वाहनों का का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी जगह जगह लगाए जाएंगे ताकि यात्रा के दौरान हर एक गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इस साल शुरू हो रहे श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में पिछले साल की तुलना में अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है लिहाजा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रशासन द्वारा तैयारियां की जा रही हैं। विजय कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि "अमरनाथ यात्रा के दौरान पिछले साल की तरह ही इस वर्ष भी फुलप्रूफ सुरक्षा प्रदान की जाएगी। ड्रोन, माइन-प्रूफ वाहनों और बड़ी संख्या में CCTV कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि यात्रा के समय तक यहां आतंकवादियों की संख्या और भी कम हो जाएगी।"

 
 
 
 
सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर 
 

जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से सीमांत इलाकों को हाईवे से जोड़ने वाले उन सभी स्थानों की पहचान की जा रही है, जहां पर सुरक्षा की अधिक आवश्यकता है। खासकर जहां यात्रियों के रुकने की व्यवस्थाएं होंगी, वहां पर अतिरिक्त नाके स्थापित करने और बुलेटप्रूफ मोर्चें बनाने पर काम चल रहा है। सीमांत इलाकों में उन चौक-चौराहों और रास्तों की भी पहचान की जा रही है, जहां से आतंकियों की घुसपैठ होने के बाद शहर में घुसने का प्रयास हो सकता है। यानि हमेशा की तरह इस बार भी यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त रहेगी कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। जानकारी के अनुसार जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में पुलिस अपने स्तर पर हाईवे पर अतिरिक्त नाके स्थापित कर रही है। यह नाके वहां पर होंगे, जो सीमांत इलाकों को जोड़ेंगे। इन नाकों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टीमों की तैनाती होंगी।

  
पंजीकरण की प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद
 
 
बाबा बर्फानी की वार्षिक यात्रा के लिए यात्रियों के पंजीकरण की प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। यात्री पंजीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने भी कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसमें चिकित्सकों का पैनल संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों में यात्रियों को अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी करेगा। इस बार 30 अगस्त को रक्षाबंधन पड़ रहा है, लिहाजा ऐसी संभावनाएं हैं कि यात्रा भी करीब 2 माह लंबी हो सकती है। बता दें कि श्री अमरनाथ यात्रा का समापन रक्षाबंधन पर ही होता है। अमरनाथ की यात्रा जून के अंत या जुलाई महीने पहले हफ्ते में शुरू किया जाता रहा है। यात्रा पर आने वाले सभी शिव भक्तों को पर्याप्त यात्री आवास की सुविधा मिलेगी। इसके लिए चंद्रकोट (रामबन) में 3000 से अधिक यात्रियों को एक साथ ठहराने के लिए यात्री निवास का निर्माण किया गया है।
 
 
डाप्लर प्रणाली की व्यवस्था 
 
 
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वर्ष बनिहाल टॉप पर अत्याधुनिक 'डाप्लर रडार प्रणाली' स्थापित की गई है। इसकी मदद से अमरनाथ यात्रा के दौरान मौसम की स्टीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। जानकारी के अनुसार यह डाप्लर 100 किमी. की परिधि में मौसम की पूर्व में 2 से 3 घंटे पहले जानकारी देगा। इससे बाढ़, बादल फटने, तूफान आदि मौसम संबंधी आपदाओं की पहली जानकारी मिलने से जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। इस डाप्लर को अमरनाथ यात्रा के दौरान चालू रखा जाएगा।
 
 
मई माह में G-20 की बैठक
 

गौरतलब है कि यहाँ मई के महीने में कश्मीर घाटी में G-20 की बैठक होने वाली है और इसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस बैठक को लेकर पाकिस्तान अपने मित्र देशों जैसे चीन, तुर्की, सऊदी अरब जैसे देशों द्वारा इसके खिलाफ आपत्ति जता रहा है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने स्पष्ट किया है कि भारत का फैसला निर्धारित सभा के साथ आगे बढ़ना है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि ने कहा कि भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक विभिन्न स्थानों पर 56 बैठकें करेगा। अरुणाचल प्रदेश सहित 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में G20 बैठकें आयोजित की जाएंगी। दुनिया के देशों के प्रतिनिधियों को लाकर हम एक बार फिर दुनिया के सामने साबित कर सकते हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का हमेशा से अभिन्न हिस्सा था, है और सदा रहेगा।

 
अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमला
 

अमरनाथ यात्रा पर पहली बार साल 1993 में आतंकी हमला किया गया था। 2017 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंस राज अहीर ने लोकसभा में बताया था कि 1990 से 2017 के बीच अमरनाथ यात्रा पर कुल 36 आतंकी हमले हो चुके हैं। जिसमें 53 तीर्थ यात्री मारे गए , जबकि 167 यात्री घायल हुए। सबसे बड़ा हमला साल 2000 में हुआ था। जिसमें आतंकियों ने 2 अगस्त 2000 को यात्रियों के पहलगाम बेस कैंप पर हमला किया था। आतंकियों का अंधाधुंध फायरिंग में 32 तीर्थ यात्रियों, दुकानदारों और पोर्टरों की मौत हो गई थी। जबकि 60 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा 2019 में आतंकी खतरे को देखते हुए अमरनाथ यात्रा को सिमित कर दिया गया था।