18 मई, 1948 : महावीर चक्र विजेता हवलदार लाल बहादुर खत्री की शौर्यगाथा, जिनके नेतृत्व में उनकी पलटन ने 14 पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा मौत के घाट
    18-मई-2023
 
MVC Havildar Lal Bahadur Khattri
 
 
 
भारतीय सेना का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। भारतीय सेना ने यूँ तो कई ऐतिहासिक लड़ाईयां लड़ी हैं और हर बार अपनी वीरता से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर किया है। भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम और बलिदान की गाथाएं सदियों से गाई जाती रही हैं। यह गाथाएं इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। शौर्य और साहस के अलावा भारतीय सेना सैन्य धर्म और चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है। 1948 में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान का हमला हो, 1962, 1971 की जंग हो या 1999 में कारगिल का युद्ध हर युद्ध में भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपने उत्तम युद्ध कौशल से भारत का सीना गर्व से चौड़ा करने का काम किया है।
 
 
वर्ष 1948 में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की नियत से हमला किया और एक बड़े भू-भाग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। उसकी नियत तो पुरे जम्मू कश्मीर पर कब्ज़ा करने की थी लेकिन वक्त रहते भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर पहुंचकर पाकिस्तान के इस नापाक मंसूबों को विफल करने का काम किया। पाकिस्तान के साथ इस युद्ध में माँ भारती के वीर जवानों ने पाकिस्तानी सैनकों को घुटने टेंकने पर मजबूर कर दिया साथ ही इस युद्ध में देश के अनेक वीर सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। ऐसी ही एक कहानी 1948 में पाकिस्तानी हमले से जुड़ी है।
 
 
17 मई 1948  हवलदार लाल बहादुर खत्री की शौर्य गाथा 
 
 
17 मई 1948 की रात जम्मू कश्मीर के पुंछ में, गोरखा राइफल्स की डी' कंपनी को एक उच्च चोटी के दाईं ओर स्थित पिम्पल पॉइंट को पाकिस्तानी सैनिकों से मुक्त कराने का आदेश दिया गया था। प्लाटून कमांडर के घायल होने के कारण हवलदार लाल बहादुर खत्री ने कमान संभाली। उनके नेतृत्व में उनकी टुकड़ी ने समोच्च इलाके को सुरक्षित कर लिया। हालाँकि कुछ ही समय बाद दुश्मन सेना ने 'स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए बड़ी ताकत' से जवाबी हमला किया। इधर हवलदार लाल बहादुर की टुकड़ी के पास गोला-बारूद तेजी से घट रहा था और कुछ लोग हिम्मत हारकर वापस लौटने को मजबूर भी होने लगे। लेकिन बावजूद इसके हवलदार खत्री ने हार नहीं मानी और पूरी वीरता के साथ युद्ध में पाकिस्तानी सेना के समक्ष बने रहे और आगे बढ़ते हुए दुश्मन का सामना करते रहे।
 
 
 
 
 
14 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा मौत के घाट 
 
 
पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में हवलदार खत्री की टुकड़ी का एक राइफलमैन घायल हो गया। घायल साथी को बाहर निकालने के लिए हवलदार खत्री वीरतापूर्ण मौत का सामना करते हुए आगे बढ़े। जब उनके पास grenade कम पड़ गए, तो उन्होंने आगे बढ़ते हुए दुश्मन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, और अपने बाएं हाथ से घायल साथी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। अपने कमांडर के साहस और अथक प्रयास देख उनकी टुकड़ी के अन्य जवानों में जोश की एक लहर दौड़ उठी और पाकिस्तानी सेना के जवाबी हमले के बीच भारतीय शुरवीरों ने 14 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। एक महत्वपूर्ण समय में अपनी बटालियन को एक गंभीर झटके से बचा के हवलदार लाल बहादुर खत्री ने वीरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
 
 
उत्कृष्ट वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित  
 
 
हवलदार लाल बहादुर खत्री ने न केवल अपनी पलटन का बहादुरी से नेतृत्व किया और दुश्मन की स्थिति पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया, बल्कि अकेले ही दुश्मन के जवाबी हमले को भी नाकाम कर दिया और लड़ाई के दौरान घायल सैनिकों को भी सुरक्षित निकाल लिया। राष्ट्र की सेवा में उत्कृष्ट वीरता का परिचय देने के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। देश के ऐसे रणबाकुरों को हमारा कोटि कोटि नमन।