जम्मू कश्मीर में G20 की ऐतिहासिक बैठक ; पाकिस्तान और अलगावादी नेताओं में इतनी बौखलाहट क्यों ?
24-मई-2023
जम्मू कश्मीर के पिछले 75 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब वहाँ किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित ‘शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन सेंटर’ में G-20 की बैठक चल रही है। आज इस बैठक का अंतिम दिवस है। बैठक में पर्यटन, फ़िल्म, आतंकवाद, और रोज़गार से जुड़े संभावनाओं को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य को लेकर भी चर्चाएं हुईं।
जम्मू कश्मीर में आख़िरी बड़ा आयोजन-1986 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हुआ था। उसके बाद लगभग 37 सालों के बाद घाटी में हो रहा ये सबसे बड़ा आयोजन है। घाटी में हो रहे बदलाव का ही यह असर है कि वर्ष 2022 में जहां रिकॉर्ड पौने 2 करोड़ से ज़्यादा पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुँचे थे। वहीं इस बार ये आँकड़ा 2 करोड़ को पार कर सकता है। लेकिन यह सब अलगाववादी नेताओं और देश के दुश्मनों को रास नहीं आ रहा है।
G20 की बैठक से अलगाववादियों को लगी मिर्ची
लेकिन इन सब के बीच जम्मू कश्मीर में बैठे अलगाववादी नेताओं को प्रदेश में हो रहा यह बदलाव देखा नहीं जा रहा है। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे लोगों को इस बात को पचा पाना मुश्किल हो रहा है कि प्रदेश में इतने बड़े स्तर का आयोजन किया जा रहा है। यह सभी अलगाववादी नेता पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। G20 के आयोजन से जिस प्रकार पाकिस्तान को मिर्ची लगी है वही मिर्ची इन अलगावादियों को लगी है। फारूक अब्दुल्ला तो इस G20 की बैठक को महज़ एक नाटक करार दिया है।
J&K | The tragedy is they(Centre) have avoided Jammu. Why is it only held in Ladakh? Why is it held in Kashmir? Why not Jammu? I’m surprised not a single BJP leader of Jammu…is speaking about why the G20 did not occur in Jammu?: National Conference Chief Farooq Abdullah on G20… pic.twitter.com/pATtW5FYdz
दरअसल G20 का यह बैठक फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे अलगाववादियों की राजनीति के लिए बड़े झटके के से कम नहीं है। हम सब जानते है कि कैसे इन अलगाववादियों द्वारा यह बताने का प्रयास किया जाता रहा है कि प्रदेश में कुछ भी सामान्य नहीं है। कश्मीर की हालत बद्दतर है। बहरहाल इस इवेंट को आधार बनाकर फारूक अब्दुल्ला जम्मू संभाग पहुँचे थे और वहाँ के लोगों को यह कहते हुए भड़काने का प्रयास किया कि देखिए कैसे श्रीनगर में बैठक का आयोजन हो रहा है लद्दाख में बैठक का आयोजन हो रहा है, लेकिन जम्मू में नहीं हो रहा। यानि जो इंसान कल तक घाटी के लोगों के मन में ज़हर भरने का काम किया करता था आज वही इंसान अब जम्मू पहुँचकर लोगों को भड़काने का काम कर रहा है।
सुरक्षा को महबूबा ने बताया निजता का हनन
G20 की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाबलों को लेकर उधर दूसरी तरफ़ जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि श्रीनगर में G20 की बैठक से पहले सुरक्षा बल घरों में घुसकर कश्मीरी नागरिकों की निजता का उल्लंघन कर रहे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख ने यह दावा आतंकी गतिविधियों में संलिप्त और जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की बेटी सहर शब्बीर शाह के कथित सुरक्षा बलों द्वारा उनके घर की तलाशी लेने के बाद किया। उसने कहा कि लगभग 20 से 30 सुरक्षाकर्मी उनके घर में घुसने के लिए दीवार फांद गए और तलाशी लेने के नाम पर उन्हें परेशान किया। यानि कि महबूबा यहाँ भी अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने में लगी रही।
बेंगलुरू में पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा मुफ़्ती ने तो यहाँ तक कह दिया कि भाजपा ने इस पूरे समिट को हाईजैक कर लिया है। उनका आरोप है कि सरकार ने G20 का जो लोगो डिज़ाइन किया वो भाजपा के कमल का निशान है। वो यहीं नहीं रुकी उन्होंने आरोप लगाया कि G20 की आड़ में कश्मीर के मासूम युवाओं को गिरफ़्तार किया जा रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घाटी में सैंकड़ों युवाओं को जेल में डाल दिया गया है। पर सच्चाई क्या है ? दरअसल हक़ीक़त यह है कि महबूबा जिन लोगों को युवाओं और मासूम बताते हुए आ रही हैं वो दरअसल आतंकी मददगार हैं या फिर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त है। ये वो लोग थे जिन्हें उनके आकाओं से पूरे सम्मेलन का माहौल बिगाड़ने की ज़िम्मेदारी मिली थी।
#WATCH | Bengaluru: ..." G20 is an event for the country but BJP has hijacked it, they have even replaced the logo with Lotus, the logo should have been something related to the country, not a party...it is the SAARC that will establish the leadership of our country within this… pic.twitter.com/UPzCXqe94B
दरअसल आतंकियों की भाषा बोलने वाली महबूबा को इस बात की ख़ुशी नहीं है कि प्रदेश में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है जो जम्मू कश्मीर को एक नई पहचान देगा। बल्कि वो तो हमेशा की भाँति आतंकियों के लिए आंसू बहाते हुए सुरक्षाबलों पर सवाल या निशान खड़ी करती नज़र आई। खून की नदियाँ बहेंगी, तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा, आतंकियों को मासूम और भटका हुआ बताने वाले ये वही लोग हैं जो अक्सर आतंकियों के लिए अपने ही देश की सेना पर सवाल खड़े करते आये हैं। कारण हैं कि इनसे इतना बड़ा आयोजन देखा नहीं जा रहा।
अलगाववादियों को क्यों लगी मिर्ची ?
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद आज तेज़ी से बदलते जम्मू कश्मीर में अब आतंकवाद को लेकर बात नहीं होती, अलगाववाद को लेकर बात नहीं होती, ना ही अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित प्रदर्शन और पत्थरबाज़ी को लेकर बात होती है। अब विकास पथ पर तेज़ी से अग्रसर होते नये जम्मू कश्मीर में विकास की बात होती है और युवाओं को बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर सड़क मार्ग, बेहतर रोज़गार और स्किल डेवलपमेंट से जुड़े संभावनाओं की बात होती है। भारत सरकार भी लगातार विकास और संभावनाओं को लेकर जम्मू-कश्मीर में काम कर रही है। शायद यही कारण है कि आतंकवाद का सबसे बड़ा मसीहा हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को और भारत में बैठे उनके हमदर्द अलगाववादी नेताओं को यह सब कुछ पचाना संभव नहीं हो पा रहा। अनुच्छेद 370 के ख़ात्मे के बाद इन अलगाववादियों की दुकानें पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। इनके कच्चे चिठ्ठे देश की जानता के सामने आ चुके हैं लिहाज़ा बौखलाहट में यह प्रदेश में होने वाले तमाम बड़े राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों पर सवाल खड़े करने में लगे हैं।
यह केंद्र की मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है कि जिस जम्मू-कश्मीर को लेकर दुनिया भर के मंचों पर पहले आलोचनाएं और गलतबयानी होती थी, आज उसी कश्मीर को 17 देशों के प्रतिनिधियों ने भारत का अभिन्न अंग स्वीकारा है। ये स्थितियां तब है, जब कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और चीन दुनिया भर को गीदड़ भभकियां देने की कोशिश करते रहे। G-20 देशों में तुर्की, चीन और सउदी अरब को छोड़कर सभी देशों के प्रतिनिधि कश्मीर में हो रहे G-20 देशों के सम्मेलन में पहुंचे तो यहां के माहौल की जमकर प्रशंसा की। जो देश ना भी आए, उन्होंने कश्मीर में हुए इस आयोजन को लेकर कोई गलत शब्द नहीं कहा। 30 वर्षों तक आतंक का दंश झेलने वाले कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधान खत्म होने के बाद ये एक नई शुरुआत है।
केंद्र सरकार के प्रयास से टूटा अलगाववादियों का मंसूबा
केंद्र सरकार के इस अथक प्रयास के बाद आज कभी केंद्र के समानांतर सरकार चलाने का दावा करने वाले अलगाववादियों के मंसूबे टूट गए हैं। आतंकवाद पर निर्णायक चोट हुई है। सरकार ने ना सिर्फ कूटनीति बल्कि विकास के हर स्तर पर दुनिया को यह दिखाया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। G-20 का सम्मेलन इस बात का प्रमाणिक आयोजन है कि जम्मू कश्मीर कितना बदल चुका है। कभी अतीत में जिस घाटी को लेकर दुनिया में संशय दिखता था, आज वहाँ जी-20 के शिखर सम्मेलन के आयोजन ने दिखाया है कि हिंदुस्तान के जम्मू-कश्मीर का वर्तमान कितना बुलंद है।
तीन महत्वपूर्ण फायदे
1- पाकिस्तान जब से आस्तित्व में आया तभी से वो यह दावा करते आ रहा है कि जम्मू कश्मीर पर उसका अधिकार है। पर सच पूरी दुनिया को मालूम है। 80 और 90 के दशक में जम्मू कश्मीर में फैले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के बाद विश्व के सामने जम्मू कश्मीर की एक अलग छवि बनी हुई थी। लोगों का मानना था कि वहाँ जाना ख़तरों से ख़ाली नहीं है। लेकिन G20 देशों के प्रतिनिधियों ने जम्मू कश्मीर में आकर बता दिया कि जम्मू कश्मीर ना तो डिस्प्यूटेड एरिया है और ना ही अब पहले की भाँति यहाँ कोई ख़तरा है।
2 - जम्मू कश्मीर जाने से पहले अपने ही देश के लोग डरा करते थे। लेकिन इस बैठक के बाद लोगों के मन का वहम भी दूर हो चुका है। अब जम्मू कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने से कोई नहीं रोक सकता। अनुच्छेद 370 के ख़ात्में के बाद जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में भी ज़ोरदार वृद्धि हुई है। साथ ही उद्योग के भी नये अवसर खुलेंगे।
3- घाटी में फैले आतंकवाद के चलते किसी भी फिल्म की शूटिंग करने के लिए भी लोग डरते थे लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है अब फिल्म पर्यटन को भी तेजी से बढ़ावा मिलेगा। जिससे कि वहाँ के लोगों को रोज़गार मिलेगा।
— Jammu-Kashmir Now (@JammuKashmirNow) May 22, 2023
जम्मू कश्मीर के लिए जी-20 बड़ा मौका
G-20 की बैठक जम्मू कश्मीर की जनता और वहां के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़ा मौका है। अब जम्मू कश्मीर के उत्पादों को बड़ा बाजार मिलने वाला है अब यहां के उत्पाद लोकल से ग्लोबल बनने की ओर बढ़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पारंपरिक कढ़ाई यानि कि सोजनी कढ़ाई को अपना खोया हुआ स्थान मिल जाएगा। पश्मीना शॉल की पहचान दुनिया भर में है और इसके हुनरमंदों को बड़ा बाजार मिलेगा।