Target Killing in J&K : अनंतनाग में हिन्दू युवक की गोली मारकर हत्या, लगातार कमज़ोर और मजलूमों को अपना निशाना क्यों बना रहे आतंकी ?
   30-मई-2023
 
Target Klling In Anantnag Jammu Kashmir
 
 
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई G20 की बैठक और उसको मिली सफलता से पाकिस्तान तथा उसके आतंकी संगठन बौखलाहट में है। पूरी दुनिया के सामने घाटी का सच सामने आने से पाकिस्तान सदमें में है। बैठक की सफलता के बाद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को लेकर अपने दुष्प्रचार अभियान में बिल्कुल अलग थलग पड़ गया है। माना जा रहा है कि इसी बौखलाहट में आकर सीमा पार से मिले निर्देश पर आतंकवादियों ने एक बार फिर घाटी में टारगेट किलिंग (Target killing) की घटना को अंजाम दिया है। आतंकियों ने गत सोमवार को अनंतनाग जिले में हिन्दू युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान दीपू के रूप में हुई। इस हत्याकांड को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा सोमवार 29 मई को अंजाम दिया गया। उधमपुर जिले के मजल्टा गांव का रहने वाला दीपू अपने अंधे भाई, बीमार पिता और गर्भवती पत्नी की आजीविका के लिए एक मनोरंजन पार्क में सर्कस में काम करता था।
 
 
 
 
 
लश्कर ने ली हत्या की जिम्मेदारी 
 
 
जानकारी के अनुसार सोनू किसी काम से सर्कस से बाहर निकला था तभी घात लगाए बैठे आंतिकयों ने अचानक उस पर हमला कर दिया। घायल अवस्था में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद इलाके में एक बार फिर दहशत का माहौल है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस हमले की जिम्मेदारी ली है।  संगठन ने अपने पत्र में गीदड़ भभकी देते हुए लिखा है कि हमने पहले भी यह चेतावनी जारी की थी कि हम कश्मीर गैर हिन्दुओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। कश्मीर में आकर अपने परिवार के लिए रोजी रोटी कमाने वाले सभी गैर हिन्दुओं का यही हाल होगा। 
 
 
 
Target Klling In Anantnag Jammu Kashmir lashkar-e-toiba letter
 
 
हत्या के बाद लोगों में रोष 
 
 
मंगलवार को हुई इस घटना के विरोध में उधमपुर और रियासी में प्रदर्शन हुआ। उधमपुर में लोगों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग जामकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद और पाकिस्तान का पुतला भी जलाया। उधर, रियासी में भी हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने लक्षित हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि घाटी में हाल ही में जी20 के सफल आयोजन के बाद पाकिस्तान और उसके आतंकी गुर्गे बौखलाए हुए हैं। उन्होंने घाटी में रोजगार के लिए गए निर्दोष युवक को निशाना बनाया है। उन्होंने सरकार से आतंकियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की और घाटी में रह रहे अल्पसंख्यकों को पर्याप्त सुरक्षा देने की मांग की।
 
 
 
 
 
लगातार कमज़ोर और मजलूमों को निशाना बना रहे आतंकी

 
गौर करने वाली बात यह है कि अगर पिछले कुछ वर्ष के आंकड़ों पर हम नजर डालें तो ये देखेंगे कि आतंकी लगातार मजलूम और कमजोर लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। आतंकियों के निशाने पर लगातार मजदुर वर्ग के लोग हैं जो अपने परिवार का गुजर बसर करने के लिए छोटी मोटी नौकरी कर रहे हैं। इनमें ना सिर्फ कश्मीरी हिन्दू शामिल हैं बल्कि स्थानीय मुस्लिम, गैर स्थानीय मजदुर वर्ग के लोग शामिल है। पर सवाल यही कि आखिरकार आतंकवादी लगातार इन निर्दोष लोगों को अपना निशाना क्यों बना रहे हैं ? 
 
 
 
 
 
दीपू के भाई ने लगाई न्याय की गुहार 
 
 
दीपू के भाई समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया कि पिछले 4 साल से मेरी आंखें खराब हैं। मेरे पिता नेत्रहीन हैं, वे काम नहीं कर सकते। दीपू ही बस पूरे परिवार में कमाने वाला था, उसके जाने के बाद हम पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। हम न्याय चाहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं मृतक दीपू की पत्नी भी गर्भवती थी। ऐसे वक्त में इस्लामिक जिहादियों द्वारा इस तरह से एक परिवार को पूरी तरह से तबाह करना किस हद तक जायज है ? आखिरकार इन गरीब कमजोर लोगों की क्या गलती है जिसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ रही है। 
 
 
इस साल नागरिकों की हत्या का दूसरा मामला
 
 
इस साल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाने का यह पहला मामला नहीं है। इस तरह की घटनाओं की एक लम्बी चौड़ी फहरिस्त है। इससे पहले फरवरी में भी आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी हिन्दू की हत्या कर दी थी। मृतक संजय शर्मा अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। सुबह के वक्त वह ड्यूटी से लौट रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी और उनकी मौत हो गई। इसके अलावा पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की शोपियां में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। शोपियां के हरमेन में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर नाम के दो मजदूर घायल हो गए थे। घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक माइग्रेंट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बिहार के मधेपुरा के 19 साल के जुलाहा मोहम्मद अमरेज को आतंकियों ने गोली मार दी थी।
 
 
पुलवामा के खरपोरा रत्नीपोरा में 25 सितम्बर 2022 को आतंकियों ने दो मजदूरों (Laborers) को गोली मार दी। दोनों मजदूर मूल रूप से बिहार (Bihar) के बेतिया के रहने वाले हैं और उनकी पहचान शमशाद और फैजान कासरी के रूप में हुई थी। हालाँकि इस बीच गनीमत रहा कि सही समय पर अस्पताल पहुँचने के कारण उनकी जान बाख गई थी। लेकिन सवाल यही कि आखिरकार इस कदर आतंकी गरीब और मासूम लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। 26 जुलाई को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि वर्ष 2017 से 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 28 मजदूरों की हत्या कर दी गई। मारे गए 28 मजदूरों में से 7 बिहार से, 2 महाराष्ट्र से और 1 झारखंड से था। इसके अलावा अन्य जम्मू कश्मीर से थे।
 
 
कौन है आतंकियों के निशाने पर ?
 
दरअसल इन आतंकियों के निशाने पर हमेशा से ग़ैर मुस्लिम ख़ासकर कश्मीरी हिंदू
 
स्थानीय भाजपा नेता, कार्यकर्ता
 
स्थानीय निकाय चुनाव में चुने गए लोग
 
जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान और अधिकारी
 
रोज़ी रोटी की तलाश में कश्मीर आने वाले ग़ैर स्थानीय नागरिक