"किस देश की इकॉनोमी कैशलैस है, क्या यूएस की है। क्या सिंगापुर के पास है। देश में बिजली कहां है, मशीन (POS Terminals) कहां हैं..?"
13 दिसंबर 2016 को यूपीए सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने एक प्रेस कांफ्रेंस देश में कैशलैस लेन-देन (Cashless Transactions) पर कटाक्ष करते हुए ये सवाल खड़े किए थे और दावा किया था कि भारत कैशलैस लेन-देन के लिए तैयार नहीं है। Unified Payments Interface यानि UPI लॉन्च हो चुका था, जिसने रियल-टाइम लेन-देन को बेहद आसान कर दिया था।
चिदंबरम की आशंकाओं के विपरीत Cashless Transactions के मामले में भारत ने जो रिकॉर्ड स्थापित किया है, वो आज पूरी दुनिया के लिए उदाहरण है। विशेष तौर पर Unified Payments Interface यानि UPI लेन-देन के मामले में। पिछले 7 सालों UPI लेने-देन के कुछ आंकड़े देखिए...
वित्त वर्ष 2016-2017 में 6700 करोड़ रू का कुल 10 करोड़ लेन-देन हुआ,
वित्त वर्ष 2017-2018 में 1.5 लाख करोड़ रू का कुल 25 करोड़ बार लेन-देन हुआ,
वित्त वर्ष 2018-2019 में 2.9 लाख करोड़ रू का कुल 40 करोड़ रियल-टाइम लेन-देन हुआ,
वित्त वर्ष 2019-2020 में 4.3 लाख करोड़ रू का कुल 65 करोड़ बार लेन-देन हुआ,
इस बीच कोविड काल में UPI गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचा, 2020-2021 में यूपीआई लेन-देन की स्पीड बढ़ी, लेकिन 2021-2022 में ऐसी छलांग लगाई कि पूरी दुनिया हैरान हो गई।
2021 में सिर्फ जून महीने में 5.6 लाख करोड़ रू 149 करोड़ लेन-देन के जरिए ट्रांसफर हुए,
वित्त वर्ष 2021-2022 में 126 लाख करोड़ रू UPI के जरिये ट्रांसफर किये गये,
वित्त वर्ष 2022-2023 में 8375 करोड़ बार UPI लेन-देन हुए हैं।
ये आंकड़े भारत में डिजिटल लेन-देन की सफलता की कहानी स्पष्ट बयान करते हैं। ध्यान रहे कि उपरोक्त आंकड़े सिर्फ यूपीआई लेन-देन के आंकड़े हैं। UPI पेमेंट के मामले में आज भारत नंबर बन है, बल्कि पूरी दुनिया में भारत की हिस्सेदारी 46 फीसदी है, आधे से बस थोड़ी ही कम। टॉप 5 के अन्य देश जैसे ब्राजील, चीन, थाईलैंड, साउथ कोरिया में कुल मिलाकर जितनी UPI पेमेंट होती है, भारत की कुल पेमेंट उनसे कहीं ज्यादा है।