विकास पथ पर अग्रसर नया जम्मू-कश्मीर ; पिछले साल NIP के तहत सर्वाधिक 2200 करोड़ रु का निवेश
   10-जून-2023
 
National investement policy jammu kashmir
 

अनुच्छेद 370 व 35 A की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 1 अप्रैल, 2022 को जम्मू कश्मीर में लागू हुई नई औद्योगिक नीति (NIP) ने जमीन पर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। लिहाजा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर अब तेजी से एक निवेश केंद्र में तब्दील होता नजर आ रहा है। नई औद्योगिक नीति के तहत 1947 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में एक साल में लगभग 2200 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में कार्यशील हुई नई व्यावसायिक इकाइयों ने 10,000 से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। नई औद्योगिक नीति के तहत अधिकारियों द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 5327 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर में लगभग 66,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5 हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्राप्त करने वाली औद्योगिक इकाइयों पर काम शुरू हुआ। ये उद्यम निकट भविष्य में हजारों युवाओं को रोजगार देने के लिए तैयार हैं। 2022 से जम्मू-कश्मीर उद्योग विभाग ने 1 हजार 854 इकाइयों को भूमि आवंटित की है, जिनमें से 854 ने प्रीमियम का भुगतान किया है। इसके अलावा, 560 इकाइयों ने लीज डीड पर हस्ताक्षर किए हैं और NIP के तहत अनिवार्य रूप से अपनी इकाइयों पर काम शुरू करने के लिए आवंटित भूमि का कब्जा ले लिया है। विशेष रूप से, नई औद्योगिक नीति में अगले 15 वर्षों के लिए जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास पर 28, 400 करोड़ रुपये यानि कुल (284 अरब रुपये) का व्यय परिव्यय है, जो अब तक का सबसे बड़ा प्रोत्साहन है। योजना अवधि में इससे 20,000 करोड़ रुपये (200 अरब रुपये) का निवेश और 4.5 लाख रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

 
निवेशकों की सुविधा का रखा जा रहा ध्यान  
 

गौरतलब है कि यह पहली ब्लॉक-स्तरीय विकास परियोजना है, जो केंद्र शासित प्रदेश के भीतर उपलब्ध स्थानीय संसाधनों, कौशल और प्रतिभा का उपयोग करके औद्योगीकरण की प्रक्रिया को जमीनी स्तर पर शुरू करने का इरादा रखती है। जम्मू कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के मिशन के साथ नीति की परिकल्पना की गई थी। लिहाजा लागू होने के बाद से ही यह नीति उद्यमियों की आकांक्षाओं को प्राथमिकता दे रही है। साथ ही जम्मू-कश्मीर को सबसे अधिक निवेशक-अनुकूल केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। नई नीति उन औद्योगिक नीतियों से भिन्न है जो इस नीति के लागू होने तक प्रचलित थीं। निवेशकों की सुविधा के लिए सरकार ने सिंगल विंडो पोर्टल पर 18 विभागों की 167 सेवाएं उपलब्ध कराने जैसे कई कदम उठाए हैं। एक बयान में कहा गया है कि नए औद्योगिक एस्टेट विकसित किए गए हैं और मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है।

 

सरकार के 'बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसी पहल के कारण 352 BRP बिंदुओं का संकलन हुआ है। इससे 3 हजार 188 बोझ अनुपालन कम हुए हैं। गौरतलब है कि 2018 तक जम्मू कश्मीर में राज करने वाले अलगाववादी और आतंक समर्थक राजनेताओं के कार्यकाल में  भी व्यापार प्रस्तावों की बौछार शुरू हुई थी, लेकिन उन्होंने दावा किया था कि ये सभी प्रस्ताव केवल कागजों तक ही सीमित थे। नई इकाइयों के सक्रिय होने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने से उनका प्रचार दूर हो गया है। लेकिन जब केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान को समाप्त कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला किया उसके बाद जम्मू कश्मीर निवेश केंद्र के रूप में बनकर उभरा।

 
 
Jammu Kashmir  New Industria
 
 
विदेशी निवेशकों ने दिखाई रूचि
 

75 वर्षों में पहली बार, जम्मू-कश्मीर को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है क्योंकि दुबई के एम्मार ग्रुप जैसे अंतरराष्ट्रीय निवेशक श्रीनगर में एक भव्य मॉल का निर्माण कर रहे हैं। ट्रेंड्ज़, पारस ग्रुप और अन्य जैसी राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शोरूम जम्मू-कश्मीर में पहले ही शुरू हो चुके हैं, और धीरे धीरे इनकी संख्या भी बढ़ेगी। आज से 4 वर्ष पूर्व तक जम्मू कश्मीर में जबरन लागू अनुच्छेद 370 ने प्रदेश के विकास का पहिया पूरी तरह से रोक रखा था। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते कोई भी निवेशक जम्मू कश्मीर में निवेश की स्थिति में नहीं था। लिहाजा 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद ना सिर्फ पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम लगा, बल्कि जम्मू कश्मीर में लेकर दुनिया के मन में फैली एक भ्रान्ति का भी खात्मा हुआ जिससे वहां निवेशक निवेश करने की हिम्मत जुटा पाए।

तीन दशकों तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की मार झेल चुके जम्मू कश्मीर में अब शान्ति बहाल हो चुकी है। जम्मू कश्मीर के सकारातमक तस्वीर ने बहुत सी भ्रांतियों को दूर किया है, इससे निवेशकों में विश्वास पैदा हुआ है कि उनका निवेश सुरक्षित हाथों में है।

 
अलगावादी नेताओं ने स्थानीय युवाओं को किया दिग्भ्रमित 
 

I&C विभाग के लिए विचार विमर्श के लिए बुलाई गई बैठक में मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने कहा कि "जम्मू-कश्मीर के युवा जिनके पास 2019 तक रोजगार का कोई रास्ता नहीं था, वे 'नया जम्मू कश्मीर' के मशालची बन गए हैं।" वे नए उद्यमों और विचारों से जुड़कर आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें यह एहसास हो गया है कि पाकिस्तान ने उन्हें अपने छद्म युद्ध लड़ने के लिए इस्तेमाल करता आया। उन्हें अब इस बात की समझ हो गई है कि पड़ोसी देश के अलावा, हुर्रियत के दिवंगत नेता सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी तथाकथित जेकेएलएफ अध्यक्ष आतंकी यासीन मलिक और अन्य अलगाववादी और आतंक समर्थक नेताओं ने कश्मीरी युवाओं को पत्थरबाजों और आतंकवादियों में बदलने का कोई मौका नहीं छोड़ा। 1990 के बाद जम्मू-कश्मीर पर शासन करने वाले राजनेता दो नावों में सवार हुए। बयान में कहा गया है कि वे लोगों को यह सच बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाए कि 'आजादी' और पाकिस्तान भ्रम है और हिंसा उन्हें कहीं नहीं ले जाएगी। कश्मीर को "मुद्दा" करार देकर उन्होंने आतंकवादियों, अलगाववादियों और उनके आकाओं को खुश करने के लिए कश्मीरी युवाओं को विनाश और मौत की ओर धकेलने का काम किया।

 
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद विकास पथ पर जम्मू कश्मीर  
 

भारत का नमक खाकर पाकिस्तान का गुणगान करने वाले इन अलगाववादी नेताओं ने कभी भी जम्मू-कश्मीर में निवेशकों को लाने का कोई प्रयास नहीं किया और न ही उन्होंने लोगों को यह बताने का कोई प्रयास किया कि उनका भविष्य भारत के साथ सुरक्षित है। फर्जी आख्यानों और खोखले नारों ने स्थानीय युवाओं में भ्रम और अराजकता पैदा की। पाकिस्तानी एजेंटों ने बेरोजगार युवाओं को पथराव करने, प्रदर्शन करने और आतंकी संगठनों में शामिल होने का झांसा दिया। चंद पैसों का लालच देकर इन अलगाववादी नेताओं ने स्थानीय कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद की आग में झोंकने का काम किया। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को देश से किया अपना वायदा निभाते हुए जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से आजाद कर जम्मू कश्मीर को विकास मार्ग से जोड़ने का काम किया। आज की तारीख में, जम्मू-कश्मीर एक बार फिर पर्यटकों से भरा हुआ है, और निवेशक और अर्थव्यवस्था फलफूल रही है। युवाओं को कॉर्पोरेट जगत से नौकरी के प्रस्ताव मिल रहे हैं क्योंकि निवेशक जम्मू-कश्मीर में अपनी इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक हैं।

 

मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने अपने बयान में आगे कहा कि स्थानीय युवा नए बाजार में पैर जमाने में उनकी काफी मदद कर सकते हैं। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में राजनीतिक शासन ने समय-समय पर औद्योगिक नीतियों को अपनाया था (यानि 1995, 1998 और 2004) नवीनतम औद्योगिक नीति, 2016 थी। पुरानी औद्योगिक नीतियों का समर्थन करने के लिए, केंद्र ने प्रोत्साहन के पैकेजों को मंजूरी दी लेकिन कश्मीर में औद्योगिक क्षेत्र विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश के अन्य हिस्सों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में जम्मू कश्मीर विफल रहा था। उद्योगों के अभाव में, युवाओं के पास सहारा लेने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि निजी क्षेत्र में नौकरियां नहीं थीं। बहरहाल, 'नया जम्मू-कश्मीर' में युवा समृद्धि और विकास की नई इबारत लिख रहे हैं। बयान में कहा गया है कि उन्होंने पीएम मोदी के दृष्टिकोण का समर्थन किया है और पाकिस्तान और उसके गुर्गों द्वारा प्रचारित नफरत और हिंसा के एजेंडे को खारिज कर दिया है।